अप्रैल के बाद पहली गिरावट

कच्चे तेल की इंटरनेशल कीमतों में मौजूदा ट्रेंड अगर इस महीने जारी रहा तो देश में पेट्रोल का दाम कम से कम 1 रुपये तक घट जायेगा. ऐसा हुआ तो यह अप्रैल के बाद इसमें पहली गिरावट होगी. पेट्रोल-डीजल बेचने वाली सरकारी कंपनियों का डीजल पर होने वाला नुकसान भी घटकर प्रति लीटर 1.40 रुपये से कम रह जाने की संभावना है. इस तरह डीजल प्राइसेस से सरकारी नियंत्रण हटने की राह आसान होगी.

घट रही सब्सिडी

सरकारी तेल कंपनियों इंडियन ऑयल कॉर्प, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्प के हाथ जून 2010 से ही पेट्रोल की कीमतें तय करने के लिये खुले थे, लेकिन कंपनियों के एग्जिक्यूटिव्स का कहना है कि ऑयल मिनिस्ट्री अब भी अनौपचारिक रूप से इस मामले में नियंत्रण रखती है. डीजल अब भी रिटेल कस्टमर्स को लागत से कम पर बेचा जाता है, लेकिन सरकार इस बार सब्सिडी धीरे-धीरे घटा रही है. सूत्रों के मुताबिक, इस महीने के बाकी दिनों में भी अगर तेल की इंटरनेशल कीमतों में गिरावट जारी रही तो देश में पेट्रोल का दाम 1 रुपये प्रति लीटर से ज्यादा घटाया जा सकता है. इस संबंध में अंतिम निर्णय सरकारी विभागों में चर्चा के बाद होगा.

डीजल होगा डीरेगुलेटेड

ब्रेंट क्रूड के दाम 1 महीना पहले करीब 115 डॉलर थे, जो अब लगभग 108 डॉलर है. पेट्रोल और डीजल की इंटरनेशनल कीमतें भी लेवल पर हैं. ऑफिशियल के मुताबिक,'अगर अगले तीन महीनों तक यह ट्रेंड बना रहा तो डीजल अपने आप डीरेगुलेटेड हो जायेगा.' गौरतलब है कि एक रिपोर्ट में यह कहा गया था कि ऑयल मिनिस्ट्री ऑयल सब्सिडी में काफी कमी करने और ओएनजीसी तथा ऑयल इंडिया जैसी कंपनियों के लिये साझेदारी का साफ सिस्टम बनाने से जुड़ा एक प्रस्ताव कैबिनेट के सामने रखने के लिये तैयार कर रही है. पिछले फाइनेंशियल ईयर में फ्यूल सब्सिडी लगभग 1.40 लाख करोड़ रुपये थी.

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