RANCHI : राज्य की सभी सड़के और गली-मुहल्ले एलईडी लाइटों की दुधिया रोशनी से जगमग होंगी। बुधवार को झारखंड मंत्रालय में मुख्यमंत्री रघुवर दास की उपस्थिति में नगर निकायों और इइएसएल के साथ एलईडी स्ट्रीट लाइट लगाने के लिए हुए एमओयू संपन्न हुआ। एमओयू के तहत रांची नगर निगम समेत राज्य के सभी 43 नगर निकायों में एक साल के अंदर एलईडी लाइट लगाई जाएगी। पहले चरण में 11 नगर निकायों में लगभग एक लाख एलईडी स्ट्रीट लाइट लगायी जा रही है। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी एलईडी स्ट्रीट लाइट लगाने के लिए 100 करोड़ रुपये स्वीकृत किये गये हैं। जिन गांवों में बिजली पहुंच गयी है, वहां पहले एलईडी स्ट्रीट लाइट लगायी जाएगी।

नियुक्त होंगे नोडल अफसर

मुख्यमंत्री ने कहा कि दुर्गा पूजा से पहले भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में तथा सावन से पहले देवघर में कांवडि़या पथों पर एलईडी स्ट्रीट लाइट लगायें। उन्होंने निदेश दिया कि सभी नगर निकायों को प्रतिनिधियों से एक-एक नोडल अधिकारी नियुक्त करें तथा विभाग के सहयोग से ससमय से काम पूरा करें। किसी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। कार्यक्त्रम में मुख्य सचिव राजबाला वर्मा, इएसएल के प्रोग्राम मैनेजर प्रभात कुमार समेत नगर निकायों के प्रतिनिधि मौजूद थे।

कैबिनेट में रखा जाएगा प्रस्ताव

नगर निकायों में एलईडी लाइट लगाने से संबंधित प्रस्ताव नगर विकास विभाग तैयार कर रही है। इसे कैबिनेट में रखा जाएगा। कैबिनेट से प्रस्ताव पारित होने के बाद शहरी व ग्रामीण इलाकों में एलईडी लाइट लगाने का काम शुरू कर दिया जाएगा। इन एलईडी स्ट्रीट लाइट के लगने से 4.66 करोड़ यूनिट बिजली की बचत होगी, जिससे सरकार को 21 करोड़ रुपये वार्षिक बचत होगा।

पहले फेज के लिए चुने गए शहर (बॉक्स)

देवघर

बासुकीनाथ

दुमका

आदित्यपुर

हजारीबाग

जुगसलाई

जमशेदपुर अक्षेस

मानगो अक्षेस

धनबाद

मेदिनीनगर

ये होंगे फायदे

बिजली की कम खपत

सोडियम वेपर लाइट से जहां 500 वाट्स बिजली की खपत होती है, वहीं एलइडी में मात्र 90 वाट बिजली की खपत होगी। इन एलईडी स्ट्रीट लाइट के लगने से 4.66 करोड़ यूनिट बिजली की बचत होगी

बिजली पर बचेंगे पैसे

नगर निकाय इलाकों में एलईडी लाइट्स लगाए से से बिजली पर होने वाले खर्च में भी भारी कमी आएगी। एक अनुमान के मुताबिक, इससे सरकार को करीब 21 करोड़ रुपए की बचत होगी।

एनवायरमेंट फ्रेंडली

इस लाइट का सबसे बड़ा फायदा इसका एनवायरमेंट फ्रेंडली होना है। इससे एनर्जी पॉल्यूशन के खतरे को काफी कम किया जा सकता है।