देश के दसवें पीएम:
1991 पी. वी. नरसिम्हा राव देश के दसवें प्रधानमंत्री हुए थे। इसके अलावा आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री 4 बार चुने गए थ्ो। दक्षिण भारत से यह पहले प्रधानमंत्री हुए थे।
राजनीति में अनुभव:
पीएम बनने से पहले राजनीति में उनके विविध अनुभव जांचे गए थ्ो। शायद इन्हीं वजहों से उन्हें केंद्र सरकार में गृह, रक्षा और विदेश मंत्रालय जैसे मंत्रालयों की जिम्मेदारी दी गई
थी।
बड़े स्तर पर सुधार:
जिस समय ये प्रधानमंत्री हुए थे उस समय देश की आर्थिक स्थिति बहुत गड़बड़ थी। इनके शासन काल में विदेशी निवेश, पूंजी बाज़ार, मौजूदा व्यापार व्यवस्था और घरेलु व्यापार के क्षेत्र बड़े स्तर पर सुधार हुए।
दीवालिया होने बचाया:
इसके बाद देश में मुद्रा स्फीति पर नियंत्रण इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में निवेश आदि काफी तेजी से बढा था। कई बार ऐसी स्िथतियां आईं जब देश दीवालिया होने की कगार पर था, लेकिन उन्होंने बचा लिया था।।
मार्डन इंडिया के चाणक्य:
इस दौरान वह परेशान नहीं हुए बल्कि बहुत सूझ-बूझ से काम लिया। इसीलिए ये मार्डन इंडिया के चाणक्य कहे गए। इन्होंने देश को बड़े आतंकी हमलों से भी कई बार बचाया।
इजराइल का दूतावास:
1992 में प्रधानमंत्रित्व में इजराइल का दूतावास नई दिल्ली में खोला गया था। जो एक बड़ी सफलता थी। सन 1993 के मुंबई में बम धमाकों के बाद नरसिम्हा राव के शासन में काफी अच्छे से संकट प्रबंधन हुआ।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज:
1994 में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एन.एस.इ.) का शुभारंभ हुआ। यह भारत का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज हुआ। उन्हें कंप्यूटर प्रोग्रामिंग जैसे विषयों में भी रूचि अधिक होने से वह भारत को हाइटेक बनाने की कोशिश में थे।
इन भाषाओं में पारंगत रहे:
पीएम राव एक नहीं कई भाषाओं के ज्ञानी थे। वह तेलुगु, तमिल, मराठी, हिंदी, संस्कृत, उड़िया, बंगाली और गुजराती अंग्रेजी, फ्रांसीसी, अरबी, स्पेनिश, जर्मन और पर्शियन समेत 17 भाषाएं बोलते थे। संगीत, सिनेमा में उनकी रुचि थी। साहित्य एवं राजनीतिक टिप्पणी लिखने, भाषाएं सीखने, तेलुगू एवं हिंदी भाषा में कविता लिखने एवं साहित्य में भी वह एक्सपर्ट थे।
किताब लिखी गई:
राव देश के हित में बड़ा फैसला लेने से पीछे नहीं हटते थ्ो। फेमस राइटर विनय सीतापति ने उन पर ‘हाफ लायन: हाउ पीवी नरसिम्हा राव ट्रांसफार्म इंडिया’ लिखी है। जिसमें दावा किया गया है कि 1992 बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के बाद पीएम राव ने आईबी से सोनिया गांधी और उनके घर 10 जनपथ पर नजर रखवाई थी।
अंतिम सांस ली थी:
9 दिसंबर 2004 को उन्हें दिल का दौरा पड़ा। उन्हें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (नयी दिल्ली) में भर्ती कराया गया। प्रॉपर उपचार होने के बाद भी वह ठीक नहीं हुए। 23 दिसंबर को उन्होंने अंतिम सांस ली थी।
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