- कैबिनेट ने फिर पलटा अपना फैसला, पांच लाख से दस लाख की सीमा

LUCKNOW :

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को कैबिनेट ने दस लाख रुपये तक के कार्यो में ई-टेंडरिंग की बाध्यता को खत्म कर दिया। ध्यान रहे कि हाल ही में राज्य सरकार ने इसे एक लाख से बढ़ाकर पांच लाख रुपये किया था जबकि विशेष परिस्थितियों में इसकी सीमा दस लाख रुपये की गयी थी। आज एक बार फिर कैबिनेट ने अपने फैसले को पलटते हुए दस लाख रुपये तक के कार्यो में ई-टेंडरिंग की बाध्यता को समाप्त करने का फैसला लिया है। इससे तमाम छोटे निर्माण कार्य, सप्लाई आदि सुगमता से हो सकेंगे क्योंकि ई-टेंडरिंग अनिवार्य होने से इसमें खासा वक्त लग जाता था।

एई-जेई को मात देगा रिसर्च सेंटर

कैबिनेट ने गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च द्वारा संचारी एवं असंचारी रोगों को लेकर होने वाले उच्चस्तरीय शोध के लिए रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर खोलने के लिए भूमि देने का फैसला लिया है। इसकी कवायद वर्ष 2014 से चल रही थी लेकिन तत्कालीन राज्य सरकार ने इसके लिए पर्याप्त भूमि नहीं दी थी। केंद्र सरकार के सहयोग से बनने वाले इस रिसर्च सेंटर के लिए अब राज्य सरकार 3448 वर्ग मीटर भूमि देगी। इसके निर्माण में करीब 84 करोड़ रुपये की लागत आएगी जिसे केंद्र सरकार वहन करेगी। वहीं दूसरी ओर कैबिनेट ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज के नेहरू चिकित्सालय में अतिरिक्त लेबर कांप्लेक्स के निर्माण का निर्णय भी लिया गया है। उल्लेखनीय है कि वर्तमान लेबर कांप्लेक्स करीब 37 साल पुराना है। अब मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के मानकों के मुताबिक 932.69 लाख रुपये की लागत से नया लेबर कांप्लेक्स बनाया जाएगा।

एआईसीटीई के मानकों पर होगी भर्तियां

कैबिनेट ने सूबे के पॉलीटेक्निक में एआईसीटीई के मानकों के मुताबिक शिक्षक व अन्य पदों पर भर्तियां की जाएंगी। इसके लिए केंद्र सरकार कई सालों से राज्य सरकार से अनुरोध कर रही थी। यह मामला कोर्ट में भी जा चुका है। अब नई भर्ती वालों को एआईसीटीई के मानकों के मुताबिक सैलरी दी जाएगी। इसके अलावा शैक्षिक अहर्ता भी इसके मुताबिक ही होगी। राज्य सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने साफ किया कि नये मानकों को लागू करने से पुराने कर्मचारियों का कोई अहित नहीं होने दिया जाएगा।

मोहद्दीपुर चीनी मिल के लिए गारंटी देगी सरकार

कैबिनेट ने उप्र राज्य चीनी निगम लिमिटेड की मोहद्दीपुर चीनी मिल के लिए वित्तीय संस्थाओं से लोन लेने के लिए शासकीय गारंटी प्रदान करने का निर्णय लिया है। मालूम हो कि चीनी मिल को इंडियन बैंक से 60 करोड़ की कैश क्रेडिट लिमिट लेनी है। इससे वह गन्ना मूल्य का भुगतान और कर्मचारियों की तनख्वाह वितरित करेगी।