एक रुपया का नोट 400 में खरीदा अब 20 हजार कीमत

धनबाद के कुसुम विहार निवासी नोट और क्वाइन कलेक्टर अमरेंद्र आनंद के पास 1917 में जारी एक रुपया का पहला नोट है। श्री आनंद ने बताया कि उन्हें बचपन से ही नोट कलेक्शन का शौक है। उनके पास एमएमएस गुब्बे, एसी मैकवाटर और एच डेनिंग के सिग्नेचर से जारी 1917 में जारी किए गये एक रुपया के नोट हैं। यही नहीं उनके पास 1917 से 2017 तक जारी किया गया तकरीबन हर एक रुपया का नोट है। श्री आनंद ने बताया कि यह एक रुपया का नोट उन्होंने 15 साल पहले 400 रुपये में खरीदा था और आज इसकी कीमत न्यूमिस्मैटिक मार्केट में 20,000 से उपर है। उन्होंने बताया कि वर्ष 1917 में जारी एक रुपया के नोट में पहला सिग्नेचर एसी मैकवाटर का था। एमएमएस गुब्बे 1920 में गवर्नर एप्वाइंट किये गये पर 1917 में जारी किये गये नोट में उनके और एच डेनिंग के सिग्नेचर थे। इसकी वजह यह थी कि 1917 से 1934 तक जो भी एक रुपया के नोट जारी किये गये उसमें नोट जारी करने का वर्ष 1917 ही था चाहे वह 1920 में जारी किये गये हों या 22 में।

100 साल का हुआ 1 रुपया : तब एक रुपया था 13 अमेरिकी डॉलर के बराबर,इतने में मिल जाते थे 5 सेर चावलएक नोट बना सकता है आपको करोड़पति

अनूठा संग्रह है डॉ. पांडेय रविभूषण के पास

रांची के नगराटोली के रहनेवाले जमशेदपुर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज में पैथोलॉजी के एचओडी डॉ. पांडेय रविभूषण के पास एक रुपया के नोटों का अनूठा संग्रह है। इनके पास वर्ष 1935 में जारी एक रुपया के नोट से लेकर 2017 तक जारी हर एक रुपया का नोट है। इसमें 1940 में जारी सीई जोंस के हस्ताक्षर वाला नोट और केआरके मेनन के सिग्नेचर वाला आजाद भारत का पहला नोट शामिल है। इनके अनूठे कलेक्शन में पाकिस्तान के लिए प्रिंट किया गया एक रुपया का नोट और रेयर माना जानेवाला वर्ष 1964 के एस भूतलिंगम के बी सीरीज का एक रुपया का नोट भी है। भूतलिंगम के बी सीरीज के एक नोट की गडडी एक समय न्यूमिस्मैटिक मार्केट में 30 लाख रुपये में बिकी थी। उन्होंने बताया कि इन सभी नोटों को कलेक्ट करने में उन्होंने दस वर्षो से अधिक का समय लगाया है।

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तब एक रुपया में मिलता था पांच सेर चावल

एक रुपया के नोट की सौवीं वर्षगांठ की कहानी जितनी रोचक है उससे रोचक उससे जुड़ी लोगों की यादें हैं। एक जमाने में एक रुपया में आधा सेर (करीब 466 ग्राम) घी और एक किलो सरसो तेल खरीदा जा सकता था। रिम्स के एक्स डायरेक्टर डॉ. तुलसी महतो, आरयू पीजी हिन्दी डिपार्टमेंट के पूर्व एचओडी डॉ. नागेश्वर सिंह व वर्तमान एचओडी डॉ. जंगबहादुर पांडेय से जानिए 1955-60 में एक रुपया का महत्व।

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1 रुपया में आधा किलो घी

1960 में एक रुपया में आधा किलो शुद्ध देसी घी खरीदा जा सकता था। सरसो तेल एक रुपया किलो था। इस समय हम एक रुपया में भरपेट जलेबी भी खा लेते थे और खिलौने खरीदने के बाद भी पैसे बच जाते थे। 1964 में मुझे ढाई रुपये की स्कॉलरशिप मिली थी और आज की तारीख में वह ढाई रुपये ढाई हजार से भी अधिक की रकम होगी। 1950 में पहला एक रुपया का सिक्का जारी किया गया, जिसमें गेहूं की बालियां थीं और यह प्योर निकेल का था। उस समय एक सिक्का लगभग 12 ग्राम का होता था।

- डॉ. जंगबहादुर, एचओडी, पीजी हिंदी डिपार्टमेंट, आरयू

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1 रुपयो में ढाई किलो चावल

1955-60 में एक रुपया बहुत मूल्यवान था। एक रुपया में ढाई किलो चावल मिलता था। 1964 में जब मैं मैट्रिक में पढ़ रहा था तो चार आने जेब खर्च के लिए मिलते थे, जो बहुत होते थे। तब दो आने में इतनी जलेबी मिल जाती थी कि पेट भर जाए। अव्वल तो हमें एक रुपया मिलता ही नहीं था पर कभी संयोग से मिल गया तो इतनी खुशी होती थी कि उसे शब्दों में बयान करना मुश्किल है।

-डॉ. नागेश्वर सिंह, पूर्व एचओडी, पीजी हिंदी डिपार्टमेंट, आरयू

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सिनेमा देखने, खाने के बाद भी बचते थे पैसे

1960 में एक रुपया बहुत बड़ी चीज हुआ करती थी। उस समय हमें जेब खर्च के लिए एक आना मिलता था। एक रुपया में सिनेमा देखकर और खाना खाकर भी कुछ पैसे बच ही जाते थे। उन्होंने बताया कि एक रुपया का जलवा हमेशा रहा। शादी-ब्याह हो या दक्षिणा देना, लोग शगुन के रूप में एक रुपया देते थे।

- डॉ. तुलसी महतो, एक्स डायरेक्टर रिम्स

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80 पैसे में मिलता था मसाला डोसा

एक रुपया का नोट वर्ष 1978 में देखा था। तब एक रुपया के नोट का बहुत महत्व था और वह बच्चों को आसानी से मिलता भी नहीं था। तब रुपये की क्रय शक्ति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एक रुपया में चार पीस समोसा, कचौड़ी और जलेबी मिल जाती थी। पंजाब स्वीट हाउस में 80 पैसे में एक मसाला डोसा मिलता था।

- डॉ. रवि भट्ट, संचालक इंद्रप्रस्थ गैस एजेंसी चुटिया

एक रुपया में मिल जाते थे 16 केले

एक रुपया का नोट उन्होंने पहली बार तब देखा था जब वे चार साल के थे। तब यानि 1977 में एक रुपया में चार आने होते थे और एक रुपया में 16 केले मिल जाते थे। दस पैसे में अच्छी आइसक्रीम मिलती थी और ख्0 पैसे में बहुत अच्छी क्रीम वाली आइसक्रीम मिलती थी। तब तीन महीने के स्कूल की फीस साढ़े सात रुपये हुआ करती थी।

-डॉ. हेमंत नारायण हेड, कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट रिम्स

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एक रुपया के बंडल को रखा है संभालकर

एक रुपया के नोट से उनकी यादें जुड़ी हुई है इसलिए एक रुपया के वर्ष 1985 के नोट का एक पूरा बंडल उन्हें संभाल कर रखा हुआ है। उन्होंने बताया कि वर्ष 1959 में जब वह पांच साल के थे तो पहली बार एक रुपया का नोट देखा था। तब मेरी दीदी एक आना दिया करती थी और उसमें मूंगफली और खीरा सब मिल जाया करता था।

- डॉ. सुशील अंकन पीजी फिलॉस्फी डिपार्टमेंट, आरयू

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