तारीखें बदलती हैं। निशान छोड़ जाती हैं। इन्हीं निशानों को शायद यादें, इतिहास, अतीत कहते हैं। गुजरते 2011 की बड़ी सुर्खियां

1. वीसी प्रो। एचसी गुप्ता

आईआईटी जैसे संस्थान से सीसीएसयू के कुलपति की कुर्सी पर जब प्रो। वीसी गुप्ता की ताजपोशी हुई तो लगा कि हालात अब सुधर जाएंगे। प्रो। गुप्ता की हरकतें कुछ ऐसी रहीं कि पूरा विश्वविद्यालय परिसर अवाक रह गया। प्रो। गुप्ता ने एक सितंबर को न सिर्फ अपना इस्तीफा राजभवन को भेज दिया, साथ ही ऐसी फिजूल मांग भी कर डाली, जिसे शायद ही देश का कोई भी शिक्षाविद गले से नीचे उतार सके। उन्होंने पहली बार विश्वविद्यालय में सेना की तैनाती की मांग करके सभी को चौंका दिया। और अपने इस मांग को अखबारों की सुर्खियां बनाने के लिए मजबूर कर दिया।


2. डॉ। सुमन कहां हैं?

डॉ। सुमन त्यागी रोज की तरह 27 जून को घर से क्लीनिक को निकलीं, लेकिन वापस नहीं लौटी। शहर भर में उनकी बरामदगी के लिए प्रदर्शन हुआ। पुलिस की तफ्तीश कितनी ही बार बदली। मसला विधानसभा में पहुंचा। सुप्रीमकोर्ट तक में अपील हुई, लेकिन उनका आज तक कुछ पता नहीं चला।

3. अर्श से फर्श तक योगेश वर्मा

कुछ महीने पहले तक वेस्ट यूपी के मिनी मुख्यमंत्री कहे जाने वाले विधायक योगेश वर्मा का राजनीतिक कद उनके सबसे करीबी संजय गुर्जर की हत्या के बाद से घटता गया। योगेश वर्मा ने दोस्त के साथ बसपा से भी विश्वास खो दिया। अचानक एक खबर ये भी आई कि योगेश वर्मा अब बसपा के अंग नहीं रहे। जो विधायक कभी दूसरों के मसलों को निपटाने के लिए अफसरों से जवाब तलब किया करता था, आज वही अपने मसले में भागा-भागा फिर रहा है।

4. फिर लौटा दंगे का काला साया

काजीपुर में इमाम के साथ 24 अप्रैल को बदसलूकी के बाद हापुड़ रोड इलाके में नफरत की ऐसी चिंगारी भडक़ी कि शोले उगलने शुरू हो गए। आधा शहर दंगे की चपेट में आ गया। कितने वाहन जले। कितनी दुकानें दंगाइयों का शिकार बनी। कितना नुकसान हुआ, इसका अंदाजा लगा पाना भी मुश्किल है। दंगाइयों का आतंक सिर्फ सडक़ों और वाहनों तक ही नहीं सिमटा। यहां आकर परिवार पालने वाले मो। इमाम के घर तक ये आग पहुंच गई। 12 दिन की बच्ची समेत पांच जिंदगियां आग में घिरी चिल्लाती रहीं, लेकिन दंगाइयों का दिल नहीं पसीजा। कुछ फरिश्ते जरूर आए जो इन जिंदगियों को मौत के मुंह से बाहर निकालकर अमन का पैगाम दे गए। शहर उस रात के खौफनाक मंजर को भले ही भूल चुका हो, लेकिन अपना सब कुछ खोने के बाद इस शहर को अलविदा कहने वाले इमाम बेटी खुशी के शरीर पर आग के जख्मों को देखकर आज भी सिहर उठते हैं।

5. कमेला : मुद्दा जिंदा

कोर्ट और मानवाधिकार आयोग की रोक के बाद भी मेरठ शहर में अवैध कमेला सालों से चल रहा है। काफी पहले इसको घोसीपुर में पूरी तरह से शिफ्ट कर दिया जाना चाहिए था, लेकिन अभी तक कोर्ट के आदेश का भी पालन नहीं हुआ। पशुओं के अवैध कटान से दूध की कमी हो गई और वहां से निकली गंदगी कितने ही परिवारों को भयंकर बीमारियों की चपेट में ले रही हैं।

6. तुम यादों में रहोगे
प्रो। एमएल खन्ना

नई पीढ़ी को गणित के सहारे जिंदगी का फलसफा सिखाने वाले प्रो। एमएल खन्ना 18 अप्रैल को हमेशा के लिए विदा हो गए। प्रो। एमएल खन्ना की तमाम जिंदगी गुणा-भाग को सुलझाने में गुजरी। उन्होंने युवाओं को सफलता का ऐसा मंत्र दिया कि देश ही नहीं विदेशों में भी उनके शागिर्द देश का नाम रोशन कर रहे हैं।

भारत भूषण
प्रेम को भावनात्मक रखने की बात कहने वाले भारत भूषण जी की पॉपुलैरिटी इसी बात से पता चलती है कि एक जमाने में लोग रास्ते में उन्हें रोक कर गीत सुनाने की गुजारिश करते थे। कहां-कहां उनका सम्मान नहीं हुआ। राष्ट्रपति भवन में काव्य पाठ किया, तो प्रदेश सरकार ने साहित्य भूषण पुरस्कार से नवाजा। 50 से 60 के दशक में लिखी पाप और बनफूल जैसे कविता संग्रह छपकर आए तो उनको मुंबई तक से बुलावा आ गया। लेकिन उन्होंने कभी पैसों की चाह नहीं रखी। 1929 में जन्में भारत भूषण जी 17 दिसंबर को दुनिया से अलविदा कह गए।

7. विकास का गोल्ड

चीन में एशियन चैंपियनशिप में पाकिस्तान को हराकर खिताब जीतने वाले विकास शर्मा ने यहां के लोगों का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया। हॉकी के लिए युवाओं को आगे आने की राह भी दिखाई।

8. हर कार आपके द्वार

फॉक्स वेगन, निशान जैसे शोरूम भी हमारे सिटी में आए। अब हर लग्जरी गाड़ी यहां मौजूद मिलेगी ये बात सबको भाई। यूं तो इससे पहले भी यहां दूसरी लग्जरी गाडिय़ां उपलब्ध थीं, लेकिन इनके आने के बाद बात कुछ और ही हो गई।

9. फिर भी मेरा मेरठ

हम और तुम रात में सोते हैं तो लाइट नहीं आती। सुबह उठते हैं तो पानी नहीं आता। घर से बाहर निकलते हैं तो सडक़ नहीं होती। सडक़ होती है तो खुदी मिलती है। कहीं ठीक भी हो तो जाम का झाम मिलता है। जैसे तैसे इन सारी दुश्वारियों के साथ 2011 गुजारा। फिर भी मेरा मेरठ। मेरा मेरठ।

10. कार और होटल भी

बड़ी कारों के शोरूम ही नहीं बल्कि कई बड़े होटल भी इस साल सिटी में खुले। दिल्ली रोड पर क्रोम बना तो गढ़ रोड हार्मोनियम की भी ओपनिंग हुई। भारती और वालमाल्ट का रिटेल और हॉल सेल स्टोर भी खुला।

11. जुर्म की राजधानी

1. नहीं मिला गगनदीप को इंसाफ
क्रिकेट के उभरते सितारे गगनदीप के परिवार को इस शहर ने जिंदगी भर का जख्म दिया। गगनदीप के परिवार वालों को इस बात का मलाल ताउम्र सालता रहेगा कि उनके बेटे के कातिलों को सजा दिलाने के लिए कोई आगे नहीं आया। इंसाफ नहीं मिला।

2. डॉ। हरपाल की हत्या
एडीजी आवास के पास जिला कारागार के डॉक्टर हरपाल सिंह की 8 मार्च को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

3. प्रमोद भदौड़ा
सैकड़ों लोगों की मौजूदगी में 31 अक्टूबर को उधम और उसके शूटरों ने बदमाश प्रमोद भदौड़ा को मौत के घाट उतार दिया।
 
4. संजय गुर्जर का मर्डर
जिला पंचायत सदस्य संजय गुर्जर की 21 सितंबर को करिअप्पा स्ट्रीट पर सुबह को उनके आफिस के बाहर ही हत्या कर दी गई।
 
5. ट्रिपल मर्डर
सैन्य इलाके में 5 अगस्त को महिला और उसके दो बेटों की बेरहमी से हत्या कर दी गई।

6. आशिक की करतूत
पूर्वा इलाही बख्श में बेटी ने प्रेम करने से इंकार किया तो सिरफिरे ने मां और बेटी दोनों को गोलियां मार दी। मां की मौत हो गई।

7. अशोक लाटरी वाले की 30 अगस्त को गोली मारकर हत्या कर दी गई।

8. देहरादून रोड पर कार में पत्नी मौसम की हत्या करने वाले पति विवेक ने पुलिस को लुटेरों द्वारा गोली मारने की बात कहकर मामले को मोडऩे की कोशिश की, लेकिन पकड़ा गया।

9. 15 अप्रैल को रिटायर्ड इंस्पेक्टर के बेटे कौशल कुमार ने पत्नी पूनम की गोली मारकर हत्या कर दी। पुलिस को बताया कि उसने खुद गोली मार ली है।

10. बंगाल स्वीट्स के मालिक कुलभूषण थापर की 7 मार्च को हत्या कर दी गई।

11. डीआईजी आवास से चंद कदम दूर 24 फरवरी को घर में अकेली महिला बबिता चौधरी का कत्ल कर दिया गया। कातिल का आज तक कोई सुराग नहीं।

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