नेपाल के पर्यटन मंत्रालय के एक अधिकारी ने बीबीसी को बताया कि कई पर्वतारोहियों को बचाया गया है, लेकिन कई अभी भी लापता हैं.

माना जा रहा है कि मृतकों की संख्या के लिहाज से एवरेस्ट पर पर्वतारोहियों के साथ हुई ये सबसे बड़ी दुर्घटना है.

समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस के मुताबिक़ शेरपा शुक्रवार सुबह ऊंचाई पर पर्वतारोहियों के लिए रस्सी बांध रहे थे, तभी उनके ऊपर बर्फ़ की चट्टान आ गिरी.

पर्यटन मंत्रालय के प्रवक्ता मोहन कृष्ण सपकोटा ने बीबीसी को बताया कि मारे गए लोगों की पहचान अभी सार्वजनिक नहीं की गई है.

उन्होंने बताया कि कुछ पर्वतारोहियों को निकालकर आधार शिविर में लाया गया है. राहत और बचाव अभियान में तीन हैलीकॉप्टरों को लगाया गया है.

भीड़भाड़

सपकोटा ने कहा कि तूफ़ान की चपेट में आए सभी पर्वतारोही नेपाली शेरपा हैं.

बर्फ़ीला तूफ़ान स्थानीय समय के अनुसार सुबह पौने सात बजे 'पॉपकॉर्न फ़ील्ड' क्षेत्र में आया. यह इलाक़ा एवरेस्ट के आधार शिविर से थोड़ा ऊपर 5800 मीटर ऊँचाई पर स्थित है.

8850 मीटर ऊँची चोटी एवरेस्ट पर चढाई करने के लिए अनुकूल मौसम की शुरुआत से पहले वहां बहुत भीड़भाड़ है.

समाचार एजेंसी एपी ने अधिकारियों के हवाले से बताया कि पर्वतारोहियों के लिए रास्ता बनाने के लिए शेरपा सुबह जल्दी पहाड़ी पर चढ़े थे कि तभी वे बर्फ़ीले तूफ़ान की चपेट में आ गए.

एडमंड हिलेरी और तेनज़िंग नोर्गे ने सबसे पहले साल 1953 में नेपाल और चीन के बीच स्थित माउंट एवरेस्ट को फतह किया था और तबसे 3000 से ज़्यादा लोग इस चोटी पर चढ़ाई कर चुके हैं. हालांकि इस प्रयास में कई लोगों को जान से भी हाथ धोना पड़ा है.

International News inextlive from World News Desk