द्भड्डद्वह्यद्धद्गस्त्रश्चह्वह्म : अगर आपको दुर्लभ सिक्कों को जानना और पहचानना हो तो फिर सीधे चले आएं जमशेदपुर के क्वाइन म्यूजियम (सिक्का संग्रहालय) में। यहां 12 हजार दुर्लभ सिक्के हैं। झारखंड के इस एक मात्र क्वाइन म्यूजियम में आपको अति प्राचीन कौड़ी से लेकर वर्तमान दौर में प्रचलित सिक्के भी देखने को मिल जाएंगे। सिक्का संग्रह करने के शौकीन शहरवासियों ने इस म्यूजियम में दुर्लभ सिक्के संरक्षित कर रखे हैं।

देश का इकलौता संग्रहालय

यह देश का इकलौता संग्रहालय है जिसका संचालन टाटा स्टील व जुस्को के सहयोग से जमशेदपुर क्वाइन कलेक्टर्स क्लब कर रहा है। इस संग्रहालय की परिकल्पना छह मार्च 1994 को की गई थी। एक्सएलआरआइ के एक क्लास रूम में प्राचीन व दुर्लभ सिक्कों के तीन शौकीन स्व। कल्याण गुहा, स्व। जीएन टांक व एके भट्ट ने यूमिसमेटिक सोसाइटी का गठन किया था।

2009 में उद्घाटन

बाद में टाटा स्टील के पूर्व प्रबंध निदेशक डा। जेजे ईरानी व पूर्व डिप्टी एमडी डा। टी। मुखर्जी के साथ जुस्को के पूर्व जीएम कंवल मिधा ने जमशेदपुर क्वाइन कलेक्टर्स क्लब को मूर्तरूप दिया। टाटा स्टील ने साकची स्थित स्ट्रेटमाइल रोड के एक क्वार्टर को क्वाइन म्यूजियम में तब्दील कराया। जिसका उद्घाटन 29 मार्च 2009 को टाटा स्टील के तत्कालीन प्रबंध निदेशक एचएम नेरुरकर ने किया था। यह टाटा स्टील की ओर से शताब्दी वर्ष पर शहरवासियो को तोहफे के रूप मे दिया गया था।

हर साल लगती है राष्ट्रीय सिक्का प्रदर्शनी

क्लब द्वारा 1996 से राष्ट्रीय स्तर की सिक्का प्रदर्शनी भी लगाई जा रही है। शुक्रवार से क्लब की ओर से स्थानीय रेडक्रास भवन में लगातार 22वीं बार सिक्का प्रदर्शनी लगाई जा रही है। इसका उद्घाटन सुबह 11 बजे उपायुक्त अमित कुमार करेंगे। क्लब के सचिव पी। बाबू राव ने बताया कि वर्तमान में क्लब के अध्यक्ष जुस्को के प्रबंध निदेशक आशीष माथुर हैं। इस संग्रहालय में भारत में अब तक के प्रचलित लगभग सभी सिक्के हैं, जिसमे कौड़ी, बार क्वाइन या छड़नुमा सिक्के भी हैं।

राजे-रजवाड़ों के भी हैं सिक्के

इसके अलावा देश के विभिन्न राजे-रजवाड़ों द्वारा चलाए गए सिक्को के अलावा मध्ययुगीन, मुगलकालीन, ब्रिटिश क्वाइन के साथ गुप्तकाल के स्वर्ण सिक्के भी हैं। हर सिक्का एक अलग कहानी समेटे हुए है। अलग-अलग स्थान व काल के सिक्कों में उस वक्त की संस्कृति का परिचय मिलता है।