- महाहड़ताल से जनजीवन ठप हुआ, शहर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम ध्वस्त, सरकारी ऑफिसों में नहीं हुआ काम

- हड़तालियों की कई जगह हुई झड़प, बसों और टेम्पो की जगह-जगह हवा निकाली, बैकों में हड़ताल से 1350 करोड़ से ज्यादा का लेनदेन हुआ ठप

- राहगीर हुए पस्त रिक्शा और ई रिक्शा वालों ने जमकर की उगाही, कानपुराइट्स दिनभर हुए परेशान

KANPUR: सरकारी कर्मचारियों की बुधवार को हुई महाहड़ताल का सामान्य जनजीवन पर जबरदस्त असर पड़ा। ट्रांसपोर्टेशन से लेकर बैंक सेक्टर और केंद्रीय संस्थानों में कामकाज पूरी तरह से ठप रहा। हड़ताल का सबसे ज्यादा नुकसान उठाया पब्लिक ट्रांसपोर्ट से सफर करने वालों ने। रोडवेज बसों के अलावा लोकल ट्रांसपोर्ट टेम्पो, ऑटो और सिटी बसों तक के कर्मचारियों भी हड़ताल पर रहे। हड़ताल को दरकिनार करके जिन लोगों ने अपने वाहन चलाने की कोशिश की तो उसकी या तो हवा निकाल दी गई या फिर हड़तालियों से उनकी झड़प हुई। हड़ताल का ई-रिक्शा और खड़खड़ा वालों ने जमकर फायदा उठाया। बैकिंग सेक्टर में हड़ताल से 1,350 करोड़ के लेनदेन के ठप होने का दावा किया जा रहा है। उधर आर्डिनेंस फैक्ट्रियों में हड़ताल से उत्पादन पूरी तरह से ठप रहा। जानकारों की माने तो बड़े अरसे बाद हड़ताल का इतना व्यापक असर हुआ है।

हड़ताल का असर सिर्फ परेशानी

बुधवार को हुई महाहड़ताल की वजहें अलग अलग थी। केंद्रीय कर्मचारी संगठन जहां श्रम कानूनों में बदलाव के विरोध में हड़ताल पर रहे। वहीं रोडवेज और लोकल ट्रांसपोर्ट यूनियनों की ओर से नए रोड सेफ्टी बिल के विरोध में हड़ताल की गई। बैंक कर्मचारियों की अपनी मांगे थी। जिसकी वजह से 24 बैंकों और आरबीआई के क्लॉस-3, 4 के कर्मचारी हड़ताल पर गए थे। हड़ताली संगठनों का दावा है कि उनकी हड़ताल पूरी तरह से सफल हुई और केंद्र सरकार को विरोध का साफ संदेश मिल गया है।

1350 करोड़ का लेनदेन प्रभावित

राष्ट्रीयकृत, कोऑपरेटिव और क्षेत्रीय व ग्रामीण बैकों में हड़ताल का असर साफ नजर आया। हालांकि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और प्राइवेट बैंकों की शाखाएं खुली रही। यूपी बैंक इम्प्लाइज यूनियन के मंत्री सुधीर सोनकर ने बताया कि 1200 करोड़ का लेनदेन बैंको में और 150 करोड़ का लेनदेन आरबीआई में ठप रहा। जिसमें 600 करोड़ की क्लीयरिंग, 250 करोड़ नगद जमा, 150 करोड़ नगद भुगतान और 240 करोड़ की आरटीजीएस व अन्य लेनदेन नहीं हुए। हड़ताली बैंक कर्मचारियों ने बिरहाना रोड स्थित पीएनबी के रीजनल आफिस पर विरोध प्रदर्शन किया।

आयुध कारखानों में उत्पादन ठप

केंद्रीय संस्थानों में हड़ताल का सबसे ज्यादा असर आर्डिनेंस फैक्ट्रियों पर दिखा। ओईएफ से लेकर अर्मापुर में कर्मचारी फैक्ट्रियों के गेट पर प्रदर्शन के लिए जम गए थे। पूरे दिन फैक्ट्रियों में उत्पादन ठप रहा। तीन कर्मचारी यूनियनों ने इस हड़ताल को सफल बनाने के लिए संयुक्त समिति बनाई थी।

पब्लिक ट्रंासपोर्ट का चक्का जाम

हड़ताल का सबसे ज्यादा असर सड़कों पर दिखाई पड़ा। रोडवेज कर्मचारियों ने तो रात 12 बजते ही बसें जहां की तहां खड़ी कर दीं। इसके बाद कर्मचारी संगठनों के लोगों ने घूम-घूम कर बसों की हवा निकाली। झकरकटी बस अड्डे पर सुबह से ही सन्नाटा रहा। जबकि हजारों यात्री धूप में बसों की तलाश में बेहाल नजर आए। वहीं टेम्पो, आटो और सिटी बसें भी चक्काजाम में शामिल रहीं। इससे राहगीरों को खासी परेशानी हुई इस दौरान रावतपुर, दादानगर, घंटाघर समेत कई जगहों पर हड़ताली संगठनों से जुड़े लोगों की आम राहगीरों और जो लोग छुट्टा गाड़ी चला भी रहे थे उनसे झड़प और मारपीट तक हुई। घंटाघर चौराहे पर तो ई-रिक्शा से सवारियां ढो रहे चालकों से सवारियां उतरवा दी गई, फिर ई-रिक्शे को भी पलट दिया। रोडवेज यूनियन के नेता रामजी त्रिपाठी ने बताया कि रोडवेज बसों की हड़ताल शाम 4 बजे खत्म हो गई। जिसके बाद रोडवेज बसों का संचालन शुरू हो गया।

खड़खड़े, ई रिक्शा और रिक्शा बने सहारा

पब्लिक ट्रांसपोर्ट की हड़ताल में खड़खड़े, ई-रिक्शा और रिक्शा वाले ही सहारा बने घंटाघर चौराहे पर बना टेम्पो स्टैंड खड़खड़ा स्टैंड में तब्दील हो गया। वहीं रिक्शा और ई-रिक्शा वालों ने इस मौके पर मनमाना किराया वसूला। वहीं शाम तक कई मार्गो पर टैंपो और ऑटो चलते दिखाई दिए। हालांकि मुख्य मार्गो पर टेम्पो व ऑटो वाले न चल कर गलियों और छोटे रास्तों से गुजर रहे थे।

विभाग को लाखों का नुकसान

बुधवार को सिटी में हुए चक्का जाम के चलते ट्रांसपोर्ट विभाग को भी खासा नुकसान हुआ। कई करोड़ का कारोबार प्रभावित हुआ। बुधवार को दिन भर सिटी की रोड्स पर टैंपो नहीं दिखाई दीं। एक दिन के इस चक्काजाम में करोड़ों रुपये का काम प्रभावित हुआ। सिटी में करीब 3500 टैंपों व 3500 आटो हैं। इनसे करीब 40 लाख की आय प्रतिदिन होती है। टैंपो, आटो, टैक्सी फेडरेशन के प्रांतीय अध्यक्ष अनंत राम वाजपेयी ने बताया कि एक दिन के चक्का जाम से करीब 40 लाख रुपये का कारोबार प्रभावित हुआ।

45 लाख का रोडवेज विभाग को

आरएम नीरज सक्सेना ने बताया कि सिटी में रोडवेज विभाग की वो बसें जो गैर जनपदों में जाती हैं। उनकी डेली की इनकम 25 लाख रुपये की है। वहीं सिटी बसों की इनकम 20 लाख रुपये है। इस हिसाब से देखा जाए तो 45 लाख रुपये का कारोबार प्रभावित हुआ है।