BAREILLY: सांई हॉस्पिटल में संडे रात हॉस्पिटल की वर्षगांठ नहीं बल्कि मरीजों की मौत की वर्षगांठ मनाई गई। 15 जनवरी को हॉस्पिटल की वर्षगांठ से ठीक एक दिन पहले थर्ड फ्लोर पर जमकर पार्टी की गई और उसके बाद स्टाफ मस्त हो गया। जब रात में 3 बजे अचानक आईसीयू में आग लगी तो पूरा स्टाफ होश में नहीं था और जब होश में आया तो मरीजों को मरने के लिए छोड़कर भाग गया। आईसीयू में लगी आग से दो महिलाओं की जलकर मौत हो गई और एक मरीज गंभीर रूप से घायल हो गया। आग लगने के बाद हॉस्पिटल में हड़कंप मच गया और सभी तीमारदार अपने मरीज को बचाने के लिए इधर-उधर चिल्लाकर भागने लगे, लेकिन कोई भी मदद के लिए नहीं आया। तीमारदारों ने आग बुझाने के लिए फायर एक्सटिंग्यूसर और पाइप निकाले लेकिन सभी खराब थे, जिसके बाद तीमारदारों ने ही ग्लास तोड़कर मरीजों को बाहर निकाला, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी और आईसीयू से दो लाशें ही बाहनिकलीं।

 

तीमारदार ने दी यूपी 100 को सूचना

संडे रात 3 बजे हॉस्पिटल में आग लगने की सूचना न तो किसी डॉक्टर और न ही किसी स्टॉफ ने फायर ब्रिगेड और न ही पुलिस को दी, जिसके बाद एक तीमारदार ने यूपी 100 को सूचना दी। जिसके बाद पुलिस और फायर ब्रिगेड मौके पर पहुंची और आग पर काबू पाया। एसपी सिटी रोहित सिंह सजवाण ने मौके पर पहुंचकर एंबुलेंस बुलाकर मरीजों को शिफ्ट करवाया। डर के चलते एक जनरल वार्ड में एडमिट शांति के परिजन बाहर भागे तो पुलिस ने उसे पास के महाजन हॉस्पिटल में एडमिट करा दिया, लेकिन पुलिस के मना करने के बाद भी परिजन फिर से मरीज को वापस हॉस्पिटल में ले आए। बताया जा रहा है कि कुछ देर के लिए चेयरमैन शरद अग्रवाल दिखे और बोले कि हादसा दुखद है और हॉस्पिटल में सुरक्षा के सारे इंतजाम थे, लेकिन उसके बाद वह फरा हो गए।

थर्ड फ्लोर पर ग्रैंड पार्टी के बाद मदमस्त थे हॉस्पिटल स्टॉफ

सिर्फ आईसीयू को किया गया सीज

प्रभारी डीएम सीडीओ सत्येंद्र कुमार, एसएसपी जोगेंद्र कुमार, सीएमओ विनीत शुक्ला व अन्य सीज करने पहुंचे तो तीमारदारों के विरोध के चलते सिर्फ आईसीयू को सीज किया गया। यहीं नहीं हॉस्पिटल के चेयरमैन डॉक्टर शरद अग्रवाल को बचाने के लिए आईएमए के पदाधिकारी भी पहुंच गए। जिसके बाद हॉस्पिटल को जांच के बाद सीज करने पर सहमति बनी। प्रभारी डीएम ने एडीएम एफआर जगतपाल सिंह और सीएमओ को 3 दिन में मजिस्ट्रीयल जांच कर रिपोर्ट देने का आदेश दिया है। पुलिस ने हॉस्पिटल डॉक्टर और स्टॉफ के खिलाफ आईपीसी की धारा 304 ए के तहत लापरवाही से मौत की एफआईआर दर्ज कली है।

 

आईसीयू में एडमिट थे तीन मरीज

जानकारी के मुताबिक हॉस्पिटल के आईसीयू में करीब 3 बजे अचानक आग लग गई, जिस वक्त आग लगी उस वक्त आईसीयू में 43 वर्षीय राजवाला पत्‌नी दुर्जेंद्र सिंह निवासी मोहम्मद नगर सुनेहरा ऐविया बदायूं, 89 वर्षीय मंगला देवी निवासी बाबा कॉलोनी सिविल लाइंस बदायूं और रामपुर गार्डन बरेली निवासी एसआर अग्रवाल एडमिट थे। आईसीयू में तीनों मरीज और उनके परिजन रात में सो रहे थे। कुछ तीमारदार पास के वेटिंग रूम में सो रहे थे। इसके अलावा सेकंड फ्लोर पर जनरल वार्ड में भी करीब 20 मरीज एडमिट थे। इसके अलावा अन्य वार्ड में भी मरीज थे और उनके तीमारदार भी मौजूद थे। करीब 3 बजे अचानक आईसीयू में धुआं उठना शुरू हो गया और धुएं के बाद आग लग गई। आग लगने के तुरंत बाद तीमारदारों ने शोर मचाना शुरू कर दिया और वहां मौजूद स्टाफ को जगाकर आग बुझाने के लिए कहा तो स्टॉफ काफी देर में उठा और फिर बोला कि खुद ही अपने मरीज को बचाओ, जिसके बाद पूरे हॉस्पिटल में हड़कंमच गया।

 

कैसे बुझती आग जब इंतजाम ही नहीं थे

साई हॉस्पिटल के आईसीयू में लगी आग को बुझाया जा सकता था, यदि यहां आग बुझाने के पर्याप्त इंतजाम होते। हॉस्पिटल में लगे फायर एक्सटिंग्यूसर खराब पड़े थे और आग बुझाने का पाइप यानी हौज रील भी खराब था। तीमारदारों ने पाइप खींचकर आईसीयू तक पहुंचाया, लेकिन नोजल ही नहीं खुला। फायर अलार्म भी नहीं बजा, यदि धुआं होते ही फायर अलार्म बज जाता तो शायद आग बुझायी जा सकती थी। हॉस्पिटल स्टॉफ भी फायर फाइटिंग सिस्टम चलाने को लेकर ट्रेंड नहीं था, यदि होता तो भागने से पहले आग बुझाने की कोशिश करता।

 

आईसीयू में नहीं था कोई इमरजेंसी गेट

हॉस्पिटल के आईसीयू में कोई भी इमरजेंसी गेट नहीं था। एंट्री और एग्जिट का एक ही गेट था। यदि इमरजेंसी गेट होता तो शायद लोग दूसरे रास्ते से बाहर निकलते। जिसके चलते ही आग बुझाने में भी काफी मशक्कत करनी पड़ी। आग बुझाने के लिए रैंप पर लगे ग्लास को तोड़कर रेलिंग पर जाया गया और फिर वहां से आईसीयू के ग्लास तोड़कर आग को बुझाया गया। यहीं से मरीजों को बाहर किसी तरह से निकाला गया। मरीजों को निकालते वक्त एक मरीज को चढ़ रही ब्लड की ड्रिप भी निकल गई और खून बहने लगा।

 

पहले भी हादसे में हो चुकी है मौत

साई हॉस्पिटल में यह कोई पहला हादसा नहीं है। हॉस्पिटल में बीते साल अगस्त में भी एसी का कंप्रेशर फटने से हादसा हुआ था। हादसे में एक लेबर की मौत हो गई थी और तीन लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इस हादसे के बाद पुलिस, फायर ब्रिगेड, हेल्थ डिपार्टमेंट और प्रशासन ने कार्रवाई के बड़े-बड़े दावे किए थे लेकिन कोई भी एक्शन नहीं लिया गया, जिसके चलते ही हॉस्पिटल प्रशासन पूरी तरह से लापरवाह हो गया और एक बार फिर से हादसे में दो लोगों की जान चली गई। जब दोबारा हादसा हुआ तो सभी डिपार्टमेंट अचानक जाग उठे और कोई दो दिन तो कोई तीन दिन में कार्रवाई के बड़े बड़े दावे कर रहे हैं।

 

साई हॉस्पिटल में आग के मामले की मजिस्ट्रीयल जांच करायी जा रही है। एफआईआर दर्ज कर ली गई है। आईसीयू को सीज कर दिया गया है। जांच रिपोर्ट के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

सत्येंद्र कुमार, प्रभारी डीएम सीडीओ

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