-बसंत पंचमी के मौके पर शहर में चारों तरफ गूंजती रही शहनाई

-गेस्टहाउस, होटल, धर्मशाला सब फुल, ब्यूटी पार्लर्स में भी रही भीड़

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KANPUR : बसंत पंचमी के अबूझ मुहूर्त पर शाम होते ही चारों तरफ बैंड और शहनाई की धुन ने माहौल को मंगलमय कर दिया। सीजन की सबसे बड़ी सहालग के दिन सिटी में करीब 20 हजार जोड़ों ने अग्नि को साक्षी मानते हुए जीवन पथ पर साथ चलने का वचन लिया।

तीन महीने पहले बुकिंग

ऋतुराज बसंत की पंचमी को शहर में शादी व अन्य मांगलिक समारोहों की भी बहार रही। शादी समारोह का आलम यह था कि कोई भी गेस्ट हाउस, होटल, धर्मशाला खाली नहीं रहा। इसके अलावा पार्क, सड़क व मैदान में टेंट लगाकर शादी समारोह हुए। गेस्ट हाउस एसोसिएशन के एक पदाधिकारी के मुताबिक बसंत पंचमी के लिए तीन महीने पहले से ही बुकिंग हो गई थी। बुकिंग की हालत यह थी कि एक कुछ गेस्ट हाउस में दो-दो समारोह ि1कए गए। वहीं ब्यूटी पार्लरों में भी जबरदस्त भीड़ दिखी।

बारातों के 'सैलाब' से लगा जाम

शाम होते ही सड़क पर बारातों का 'सैलाब' उमड़ पड़ा। जिधर देखो बैंड की धुन पर बाराती झूमते नजर आए। बारातों के साथ चकाचौंध कर देने वाली रंगीन रोशनी ने माहौल को और हसीन बना दिया। हालांकि बारातों की वजह से जगह-जगह जाम में लोग जूझते रहे। चुन्नीगंज, परेड, बड़ा चौराहा, फूलबाग, बिरहाना रोड, किदवईनगर, गुमटी आदि क्षेत्रों में जब बारातें चली तो जाम की नौबत यह बन गई कि बारात आगे-आगे उसके पीछे वाहनों की विशाल भीड़ चलती रही।

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बसंत पंचमी के मुहूर्त का महत्व

आचार्य पं। दीपक पांडेय ने बताया कि माघ माह की पंचमी यानी बसंत पंचमी को श्री पंचमी भी कहा जाता है। पुराणों के अनुसार महाराजा सिन्धु की पुत्री रमा (लक्ष्मी जी) ने इस दिन जगत पालक भगवान श्री विष्णु के गले में वरमाला डालकर उनको पति के रूप वरण किया था। यानी इस दिन को भगवान विष्णु-लक्ष्मी जी का विवाहोत्सव का दिन भी कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। इसी वजह से बसंत पंचमी का मुहूर्त अबूझ मुहूर्त माना जाता है। यही नहीं इसी दिन भगवान विष्णु के कहने पर सृष्टि रचयिता ब्रह्मा जी ने मानव को वाणी शक्ति दी थी।