- एक झटके में दो सौ लोग हो गये बेघर

- फुटपाथ से भी भगा रही है पुलिस

PATNA : अनिता के बच्चे कल रात से कुछ नहीं खाये थे। वे गिर चुके किचन से खाने के बचे हुए सामान को निकाल रही थी। अनिता गुस्से से कहती है कि मुझे किसी से बात नहीं करनी। जो होना था सो हो गया। आब बात करके क्या फायदा। फादर ने हमारा घर उजड़वा दिया। अब आप ही बताइये हम पांच-पांच जवान बेटी को लेकर कहां जायें। अनिता का पूरा परिवार सड़क पर आ गया है। ठंडी रात उसने परिवार के सदस्यों के साथ फुटपाथ पर गुजारी। सिर्फ अनिता ही नहीं दीघा के संत माइकल के पास स्थित ऐसे साठ घरों को हाईकोर्ट के आदेश के बाद गिरा दिया गया।

हमारी दूसरी पीढ़ी यहां रह रही है

पीडि़त लोगों में से लक्षमण, राकेश, पंकज सहित कई लोगों ने बताया कि हमारी दूसरी पीढ़ी यहां रह रही है। लोगों ने बताया कि हमलोग इस सरकारी जमीन पर वर्षो से रह रहे हैं। इसी पते पर हमारा वोटर आई कार्ड, आधार कार्ड यहां तक कि बिजली बिल भी आता है। अगर गिराना ही था तो हमें पहले से इसकी सूचना दी जाती। कल चले अतिक्रमण हटाओ अभियान की वजह से लगभग दो सौ लोग बेघर हो गये हैं। एक झटके में लोगों का अशियाना उजड़ गया। लोगों ने स्वीकार किया कि वे सरकारी जमीन पर थे। लेकिन उनलोगों ने ये भी कहा कि यह सब संत माइकल के फादर के इशारे पर हुआ है। पप्पू पंडित कहते हैं कि हाई कोर्ट ने तीन-चार घरों को तोड़ने का आदेश दिया था ताकि स्कूल के लिए गेट बनाया जा सके। वहीं के लोकल गणेश पासवान कहते हैं कि स्कूल के गेट के लिए गरीबों का घर उजाड़ देना कहां का न्याय है। मालूम हो कि संत माइकल की गाड़ी को कम्पाउंड में जाने में परेशानी होती थी। इससे अक्सर उक्त मार्ग पर जाम की स्थिति बन जाती थी। इस वजह से स्कूल की तरफ से तीन अन्य गेट के लिए हाई कोर्ट में अपील की गयी थी।

बच्चों का होना है एग्जाम

पीडि़त लोगों ने बताया कि हमलोगों के बच्चों का एग्जाम होना है। ऐसे में हम घर विहीन हो गये हैं। अब कहां जाएंगे क्या पता। लोगों ने बताया कि इससे पहले जब दो घरों को गिराया गया था तब यह कहा गया था कि आपलोगों को समय से सूचना दे दी जाएगी। लेकिन कल देर शाम में ऑटो से अनाउंस कराया गया कि हमलोगों का घर गिराया जाएगा। हमें इतना भी समय नहंी दिया गया कि हमलोग अपने सामान को सुरक्षित जगह पर पहुंचा सकें। पीडि़त लोग कई तरह के सवाल बिहार सरकार से करते हैं। उनका कहना है कि जब हम गलत जगह पर थे तो इतने दिन बाद प्रशासन की नींद क्यों टूटी। क्यों गलत पते पर हमारा वोटर कार्ड बनाया गया। साथ ही यहीं के तीन चार लोगों को इसी पते पर इंदिरा आवास भी दिया गया।

कोर्ट के आदेश पर सरकार हस्तक्षेप नहीं करती। सिर्फ लागू करवाती है। दीघा में इंक्रोचमेंट हटाने के मामले में इससे ज्यादा कुछ नहीं कर सकता।

- सम्राट चौधरी, मिनिस्टर, अर्बन डेवलपमेंट, बिहार

हमारा परिवार दो पीढ़ी से यहां रह रहा था। स्कूल के फादर के कहने पर ही यह किया गया है। अब जब हमारा घर टूट ही गया है तो सरकार हमे मुआवजा दे।

- पप्पू पंडित, लोकल पब्लिक

सारी कमाई हमने घर बनाने में लगा दी और आज बेघर हो गए। कहां जाएंगे हमारे बच्चे। क्या हम इस स्टेट के नागरिक नहीं हैं। सरकार मुआवजा दे, हम व्यवस्था कर लेंगे।

- अमल कुमार, लोकल पब्लिक

कर्ज लेकर हमने मकान बनाया था। हमारा घर तो स्कूल की जमीन पर था भी नहीं। सरकारी जमीन पर था, लेकिन यहां गरीबों की सुनने वाला कोई नहीं है।

- नीलम देवी, लोकल पब्लिक

सरकार हमलोगों को घर या मुआवजा दे। कल शाम में घोषणा की गयी कि घर तोड़ा जाएगा। इतनी जल्दी कहां लेकर जाते अपने सामान। स्कूल के कहने पर कार्रवाई हुई है।

- पूनम देवी, लोकल पब्लिक

कुछ नहीं बचा सके। सब बर्बाद हो गया। बेरहमी से पुलिस ने हमें पीटा है। जवान बेटियां हैं हमारी, कहां जाएं उसको लेकर। मेरे पति ने कर्ज लेकर यह घर बनवाया था। पैसे वालों के सामने हम गरीबों की कौन सुनेगा।

- अनीता देवी, लोकल पब्लिक