RANCHI: वो सभी सहमी थीं, पर आंखों में चमक और मुख पर मुस्कान था। क्योंकि वर्षो बाद बिछड़े परिवार से अब मिलने जा रही हैं। सीडब्ल्यूसी में ट्रैफिकिंग की शिकार इन बच्चियों ने कहा कि वो लम्हा, अब याद नहीं करना चाहती। वो दर्द और बेबसी दोबारा झेलना नहीं चाहतीं। दिल्ली और एनसीआर में झारखंड की गरीब महिलाएं, बहनें और बेटियां तो गई थीं काम के सिलसिले में, लेकिन उनके शोषण की कहानी जब कमरे से बाहर निकली तो कई चौंक पड़े। ये प्लेसमेंट एजेंसियों और अन्य दलालों के चक्रव्यूह में फंस गई थीं। मिनट और पल उन्हें वर्ष गुजरने जैसा भारी पड़ रहा था।

झारखंड के अफसरों ने सुनी चीख

नर्क से आजाद हुई बच्चियों का कहना है कि जुल्म की इंतहा हो गई थी। गरीबी और बेबसी के सामने सपने तो शीशे की तरह टूट चुके थे। दलालों के चंगुल में फंसने के बाद सपने देखना भी किसी गुनाह से कम नहीं था। लेकिन दिल्ली में झारखंड के अफसरों ने उनकी चीख सुनी। नई दिल्ली स्थित झारखंड भवन के एकीकृत पुनर्वास सह संसाधन केंद्र के प्रयासों से ख्9 महिलाओं, किशोरियों और बच्चियों को उनके चंगुल से मुक्त कराने में सफलता मिली है।

क्। गांव से बचपन में ले गया था एक भैया

चाईबासा की रहनेवाली शोभना(काल्पनिक नाम) ने बताया कि वह बचपन में ही गांव से निकल गई थी। उसे एक भैया अपने साथ ले गया था। कहा था कि उसे वहां खूब-पढ़ाया और लिखाया जाएगा। पर, जब वह दिल्ली पहुंची तो उसे एक कोठे पर काम करने के लिए लगा दिया। इस दौरान उसने कई यातनाएं सहीं, जिसका जिक्र करना मुनासिब नहीं समझती।

ख्। गरीबी में घर से जाना था मजबूरी

गोड्डा की रहनेवाली माया(काल्पनिक नाम) का कहना है कि उसके घर में कई भाई-बहन थे। उसके परिवार वाले उनका खर्च नहीं उठा पा रहे थे। गरीबी में उसका जीवन बीत रहा था। ऐसे में गांव में एक दिन आंटी आई और उसे लेकर दिल्ली चली गई। वहां एक प्लेसमेंट एजेंसी में बेच दिया। फिर, प्लेसमेंट एजेंसी के मार्फत वह बड़े घरों में पहुंच गई, जहां उससे चौका-बर्तन करवाया जाता था।

फ्। 7 साल में पिता ने ही बेच डाला

खूंटी की फूलो(काल्पनिक नाम) का कहना है कि वह जब सात साल की थी, तभी उसे दिल्ली एनसीआर ले जाया गया था। वहां पर उससे घरेलू काम करवाए जाते थे। बाद में पता चला कि उसके पिता से ही उसे खरीदा गया है। यह जानकार उसे दुख तो हुआ, लेकिन निकलने का अब कोई रास्ता नहीं बचा था। अब वह वापस घर लौट कर अपने भाई-बहनों से मिलने पर खुश होगी।

.क्या कहते हैं अधिकारी

मुहिम चलता रहेगा: डॉ डीके तिवारी

भारतीय प्रशानिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी और झारखंड भवन में प्रधान स्थानिक आयुक्त डॉ डीके तिवारी ने कहा कि कुकृत्य के खिलाफ झारखंड सरकार की दिल्ली में यह मुहिम चलती रहेगी। उन्होंने जानकारी दी कि एकीकृत पुनर्वास सह संसाधन केंद्र, (झारखण्ड भवन, नई दिल्ली ने एक टोल फ्री नंबर -क्0भ्8ख् भी जारी किया है। इस पर इस विषय से संबंधित शिकायतें की जा सकती हैं।

विभिन्न जिलों से हैं बच्चियां: मीरा मिश्रा

झारखण्ड की सीडब्ल्यूसी अधिकारी मीरा मिश्रा ने कहा कि पीडि़त बच्चियों, महिलाओं का संबंध झारखंड राज्य के अलग-अलग जिलों से है। जिन्हें उनके घर या परिजनों के पास पंहुचा कर उनके भावी भविष्य के लिए प्रयास करना है।

इन जिलों की हैं रहनेवाली

जिला विक्टिम

चाईबासा सात

खूंटी छह

गुमला तीन

सिमडेगा एक

लातेहार एक

ईस्ट सिंहभूम दो

साहेबगंज तीन

गोड्डा तीन