नींद को ना बनाएं डिजिटल

किसी भी व्यक्ति के लिए कम से कम 7 से 9 घंटों की नींद बेहद जरूरी है। अच्छी और गहरी नींद आपको दिन भर आने वाले चैलेंजेज से लड़ने में मदद करती है। लेकिन आपने अपने दोस्तों और हमउम्रों को नींद के बारे में शिकायत करते सुना होगा। कोई कहता है कि अच्छी नींद नहीं आती तो कोई 10 घंटे सोने के बाद भी थका-थका महसूस करने की बात कहता होगा। क्या आप जानते हैं कि यह समस्याएं डिजिटल स्क्रीन्स की वजह से पैदा होती हैं। हालिया अध्ययनों में एक बात निकलकर सामने आई है कि लोगों को सोने जाने से लगभग 30 मिनट पहले अपनी सभी डिजिटल डिवाइसों से दूर हो जाना चाहिए। इसमें स्मार्टफोन, ई-बुक रीडर, टैब, टीवी और कंप्यूटर भी शामिल हैं। स्क्रीन देखते देखते सोने से आपका दिमाग शांत नहीं होता और नींद भी स्क्रीन से होते हुए डिजिटल हो जाती है।

रात में ऑफ कर दें डाटा पैक

आमतौर पर लोग जीवनभर महत्वपूर्ण बने रहना चाहते हैं। ह्युमन इंटरेक्शंस के अभाव में स्मार्टफोन पर आने वाली फेसबुक, वॉट्सएप और

ईमेल नोटिफिकेशंस लोगों को महत्व की अनुभूति देती हैं। ऐसे में लोग दिन से लेकर आधी रात तक में अपने फोन में नोटिफिकेशंस चेक करते रहते हैं। कई बार डाटा पैक खत्म हो जाने की स्थिति में लोग अनकंफर्टेबल भी फील करने लगते हैं। लेकिन आपको यह स्वीकारना होगा कि इंटरनेट नोटिफिकेशंस आपके दिए जाने वाले महत्व की द्योतक नहीं हैं बल्कि वे आप तक जानकारी को पहुंचाने का जरिया भर हैं। इसलिए आप जब सोने जाएं तो डाटा पैक ऑफ कर दें। और डाटा पैक सिर्फ सुबह उठने के बाद ही एक्टिव करें।

घर में यूज करें बेस फोन

ऑफिस से फ्री होकर घर पहुंचने पर आपको स्मार्टफोन की जगह बेस फोन यूज करने की आदत डालनी चाहिए। इसका पहला फायदा तो यह होगा कि आप स्मार्टफोन पर कॉल करने या अटेंड करने के बाद इंटरनेट पर नहीं लग जाएंगे और दूसरा आप जिस काम को कर रहे होंगे उसे शांति से दोबारा शुरु कर पाएंगे। जब आप स्मार्टफोन यूज करते हैं तो कॉल करने और अटेंड करने के बाद आदतन इंस्टेंट मैसेजेज चेक करने लगते हैं। यही नहीं कुछ लोग तो फेसबुक आदि भी चेक करना शुरु कर देते हैं।

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