आई एनालिसिस

- दून की तीनों हॉट सीटों पर अब तक रहा है कांग्रेस का कब्जा

- धर्मपुर, विकासनगर और चकराता सीट पर जीत का स्वाद चखने को बेताब बीजेपी

- वर्तमान में तीनों सीटों से हरीश सरकार के कैबिनेट मंत्री दे रहे हैं चुनौती

pavan.nautiyal@inext.co.in

DEHRADUN: दून में बीजेपी ने सबसे टफ तीन सीटों के लिए आखिरकार तीन रणबांकुरों को मैदान में उतार दिया है। ये तीन सीटें हैं धर्मपुर, विकासनगर और चकराता। ये तीनों सीटें बीजेपी के लिए हमेशा से बेहद चुनौतीपूर्ण रही हैं और राज्य बनने के बाद से कभी भी बीजेपी इन सीटों पर नहीं जीत पाई। ये तीनों सीटें इस वक्त भी कांग्रेस के खाते में हैं यहां के तीनों विधायक कैबिनेट मंत्री हैं। लंबी जद्दोजेहद और उम्मीदवारों के टकराव के बाद बीजेपी इन तीनों सीटों पर उम्मीदवार तय कर पाई। विकासनगर से मुन्ना सिंह चौहान को रण में उतारा गया है जबकि चकराता से उनकी पत्नी मधु चौहान को टिकट दिया गया है। शहर की धर्मपुर सीट से मेयर विनोद चमोली पर आखिर दांव खेल ही दिया गया। जब से राज्य बना है तब से चकराता सीट पर कांग्रेस के प्रीतम सिंह और धर्मपुर से दिनेश अग्रवाल ही चुनाव लड़ते और जीतते आए हैं। वर्तमान में विकासनगर से कांग्रेस के विधायक नवप्रभात हैं।

धर्मपुर में क्या होगा?

धर्मपुर से मेयर विनोद चमोली और बीजेपी महानगर अध्यक्ष उमेश अग्रवाल की दावेदारी थी। उम्मीदवार चमोली को बनाया गया है। चमोली ने पार्टी पर बेहद दबाव बनाया हुआ था लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या वे कांग्रेस के धर्मपुर किले को ढहा पाएंगे या नहीं। यहां से कांग्रेस के दिनेश अग्रवाल लगातार तीन बार से विधायक हैं। ये सीट पहले लक्ष्मण चौक नाम से थी। वोटों का समीकरण देखा जाए तो यहां गढ़वाली और मुस्लिम वोटों का वर्चस्व है। ख्0क्ख् के चुनाव में दिनेश अग्रवाल के खिलाफ बीजेपी के प्रकाश सुमन ध्यानी ने ताल ठोकी थी लेकिन वे करीब 7 हजार वोटों से हार गए थे। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक कांग्रेस का मजबूत मुस्लिम वोट बैंक ही उसकी इस सीट की ताकत है।

आखिर मुन्ना सिंह की चली

विकासनगर और चकराता सीट पर टिकट फाइनल कराने में आखिर मुन्ना सिंह अपनी बात मनाने में कामयाब रहे। पार्टी चाहती थी कि मुन्ना सिंह चौहान को चकराता से लड़वाया जाए, जबकि वे खुद विकासनगर ले मैदान में उतरना चाहते थे और हुआ भी वही। वे चकराता से अपनी पत्नी मधु चौहान के लिए टिकट चाहते थे और इसमें सफल रहे। आपको बता दें कि अविभाजित यूपी में चकराता सीट से मुन्ना सिंह ने चुनाव जीता था। उत्तराखंड बनने के बाद ख्007 में वे उत्तराखंड जनवादी पार्टी से चुनाव लड़े थे और जीते थे।

चकराता है सबसे टफ सीट

बीजेपी के लिए चकराता सीट हमेशा से सबसे टफ रही है। यहां कांग्रेस के प्रीतम सिंह का किला ढहाना एक बड़ी चुनौती है। इस बार प्रीतम के खिलाफ एक बार फिर बीजेपी ने मधु चौहान पर दांव खेला है। मधु चौहान ख्007 में प्रीतम सिंह से फ्7 हजार वोटों से हार गई थी। इससे पहले ख्00ख् में मुन्ना सिंह चौहान प्रीतम के खिलाफ लड़े थे और करीब आठ हजार वोटों से हार गए थे। ख्0क्ख् में भी मुन्ना सिंह ने प्रीतम सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ा तो साढ़े म् हजार से ज्यादा वोटों से हार गए थे।

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दावेदार नहीं थे कम

दून की इन तीनों सीटों पर दावेदार भी कम नहीं थे, इसीलिए पार्टी को इन्हें फाइनल करने में इतना वक्त लगा। विकासनगर सीट पर मुन्नासिंह चौहान के खिलाफ पूर्व विधायक कुलदीप कुमार, नीरू देवी और रामशरण नौटियाल ने भी पेंच फंसा रखा था। बात कुमाऊं की तीन सीटों की करें तो इन पर प्रत्याशी फाइनल करने में भी खूब माथापच्ची हुई। हल्द्वानी, रामनगर और भीमताल तीनों सीटें कुमाऊं की हॉट सीटें हैं। हल्द्वानी से जोगेंद्र रौतेला और रेनू अधिकारी के नाम पार्टी ने अपनी लिस्ट में रखे थे। यहां से रौतेला को फाइनल किया गया। इसी तरह दीवान सिंह बिष्ट और राकेश नैनवाल का नाम चल रहा था। आखिर दीवान पर दांव खेला गया। भीमताल सीट पर गोविंद सिंह बिष्ट का नाम पहले ही फाइनल था लेकिन यहां दावेदारों में कई और शामिल थे। लेकिन, पार्टी ने आखिर बिष्ट पर दांव खेल दिया। आपको बता दें कि बिष्ट पार्टी से निष्कासित किए गए थे। ख्007 में बिष्ट यहां से चुनाव जीते थे और शिक्षा मंत्री बने थे। बाद में शिक्षकों के ट्रांसफर और दूसरी गड़बडि़यों की शिकायत पर उन्हें म् साल के लिए पार्टी से निकाल दिया गया था। ख्0क्ख् में बिष्ट ने इसी सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा था और हार गए थे।