छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र : शहर से सटे एक गांव में एड्स से करीब 30 मरीजों की मौत का मामला सामने आने के बाद सरकार ने रिपोर्ट तलब की थी। शनिवार को रिपोर्ट तैयार कर भेज दी गई। इस मामले की जांच झारखंड एड्स कंट्रोल सोसाइटी के संयुक्त निदेशक डॉ। मतीन अहमद खान व एमजीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ। एसी अखौरी के नेतृत्व में हुई है। वहीं एनजीओ की मदद भी ली गई। इस दौरान पाया गया है कि जो मौत हुई है वह वर्ष 2002 से लेकर 2007 के बीच का हो सकता है, जिसका आंकड़ा एआरटी सेंटर में दर्ज नहीं है। वहीं उन इलाकों के कुछ मरीजों का इलाज चल रहा है।

चलेगा अवेयरनेस कैंपेन

डॉ। मतीन अहमद खान ने कहा कि एचआइवी-एड्स से लोगों को डरने की जरूरत नहीं है बल्कि जागरूक होने की जरूरत है। अगर किसी व्यक्ति में इसके लक्षण मिलते हैं तो उसे तत्काल जांच करानी चाहिए, ताकि दवा शुरू की जा सके। उन्होंने कहा कि जो पीडि़त नियमित रूप से दवा लेता है वह जिंदगी का सफर पूरा कर सकता है। सिंहभूम जिले के दूसरे क्षेत्रों में भी जाकर टीम जागरूकता फैलने का काम करेगी। इसके लिए आठ सदस्यीय टीम गठित कर दी गई है।

कैंप लगाकर हो रही जांच

प्राचार्य डॉ। एसी अखौरी ने बताया कि बीते दो दिनों में शिविर लगाकर कुल 65 लोगों की स्वास्थ्य की जांच की गई। इसमें सभी का रिपोर्ट निगेटिव आया है। इसलिए, लोगों को डरने की जरूरत नहीं है। यह बीमारी छुआछूत की नहीं है।

सदर अस्पताल में खुलेगा आइसीटीसी सेंटर (बॉक्स)

झारखंड एड्स कंट्रोल सोसाइटी के संयुक्त निदेशक डॉ। मतीन अहमद खान ने बताया कि खासमहल स्थित सदर अस्पताल में जल्द ही आइसीटीसी सेंटर खोला जाएगा। इससे आस-पास के लोगों को लाभ मिलेगा। वहां जाकर लोग जांच करा सकते हैं।

ये हैं एचआइवी के हाई रिस्क ग्रुप

- ट्रक संचालक व ट्रांसपोर्ट व्यापार से जुड़े लोग।

- असुरक्षित यौन संबंध।

- इंट्रावेनस ड्रग यूजर्स (नशे का इंजेक्शन लेने वाले)।

- महिला सेक्स वर्कर।