पटना देश का दूसरा बड़ा शहर जहां दर्ज होते हैं सबसे अधिक संख्या में एससी-एसटी का मुकदमे

PATNA: एससी-एसटी एक्ट में न्यायालय के आदेश के बाद पूरे देश में मामला आग बना है। आए दिन हो रही दो तरफ बंदी के साथ विवादस्पद बयानों से राजनीति गरम है। मामले तो दर्ज होते हैं लेकिन सजा की दहलीज पर जाते-जाते साक्ष्य दम तोड़ जाते हैं। एससी-एसटी को लेकर देश में गरम हुई राजनीति के बीच दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने पड़ताल की तो चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए। पटना देश का दूसरा बड़ा मेट्रोपोलिटन सिटी है जहां सबसे अधिक दलित उत्पीड़न के मामले दर्ज होते हैं। अगर प्रदेश की बात करें तो बिहार उत्तर प्रदेश के बाद दूसरा बड़ा राज्य है जहां एससी-एसटी के अधिक मामले दर्ज हुए हैं, लेकिन पुलिस की जांच में 30 फीसदी मामले फाल्स निकलते हैं।

एक्ट को बना लिए हथियार

दहेज उत्पीड़न के मामलों में भी तत्काल गिरफ्तारी का नियम था जिससे अधिकतर लोगों से अपनी रंजिश निकालने के लिए भी प्रयोग होता था। न्यायालय ने इसमें तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगा दिया। इस एक्ट में बदलाव के नौ माह बाद सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट में भी तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। अब ऐसे मामलों में डिप्टी एसपी स्तर के अफसर जांच करेंगे और एक सप्ताह में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे इसके बाद एसपी की अनुमति के बाद ही गिरफ्तारी होगी। इस एक्ट के दुरुपयोग को रोकने के लिए ही सुप्रीम कोर्ट ने यह बदलाव किया है। इससे पीडि़तों को न्याय में कोई दिक्कत नहीं आएगी। जानकारों का कहना है कि इस व्यवस्था के बाद न्यायालय में फर्जी मुकदमों का बोझ कम हो जाएगा। अक्सर इस मामले में आपसी रंजिश के ही केस दर्ज कराए जाते हें जो पुलिस की विवेचना में साक्ष्य के अभाव में दम तोड़ देते हैं।

छोटी बात पर भी हो जाता है केस

पटना पुलिस से जुड़े सूत्रों की मानें तो यहां एससी-एसटी एक्ट में छोटी-छोटी बात पर भी केस दर्ज करा दिया जाता है। सूत्रों का कहना है कि कभी-कभी तो ऐसे मामले आते हैं कि बच्चों में कोई बात को लेकर झगड़ा हो गया तो बड़े लोग भी इसमें लग जाते हैं और मामले को एससी-एसटी एक्ट तक पहुंचा देते हैं। ऐसे भी मामले हाल में आए हैं जिसमें बॉस अगर काम को लेकर दबाव बनाता है तो उसपर एक्ट का दुरुपयोग करने का प्रयास किया जाता है। हालांकि सूत्रों का यह भी कहना है कि बहुत से लोगों के साथ ऐसी घटनाएं होती भी हैं जिससे एक्ट उनके लिए मददगार होता है लेकिन इसका जब आपसी रंजिश या राजनीति द्वेश के लिए प्रयोग किया जाता है तो काफी परेशानी होती है। हालांकि पुलिस को मामले में पता भी चल जाता है कि हकीकत क्या है लेकिन कानून की सती के कारण वह भी मुकदमा दर्ज कर आरोपियों को जेल भेजने की कोशिश करता है।

सुप्रीम कोर्ट का कदम अच्छा है। कानून बनाने का उद्देश्य अच्छा था और एक्ट भी अच्छा बना है, लेकिन उद्देश्यों से भटकने की वजह से इसका दुरुपयोग बढ़ गया है। दहेज उत्पीड़न में भी सुप्रीम कोर्ट को यही कदम उठाना पड़ा। एससी एसटी एक्ट में अधिकतर मामले रंजिश के कारण दर्ज हो रहे हैं।

मणीभूषण प्रताप सेंगर,

वरिष्ठ अधिवक्ता, पटना हाई कोर्ट