- शहर के करीब 64 फीसद पात्रों का खाद्य विभाग भरता है पेट

- लेकिन 20 फीसद ग्रामीण आबादी के लिए खाने की नहीं है व्यवस्था

GORAKHPUR: भूख की शिद्दत बर्दाश्त कर गुजारा करने वाले शहर में हजारों मिल जाएंगे। ऐसे लोगों को अगर कोई अन्नदाता मिल गया तो ठीक, नहीं तो पानी पीकर ही अपना गुजारा कर लेते हैं। इनमें 64 फीसद लोगों का तो कुछ हद तक सरकार के रहमो-करम पर गुजारा हो जाता है, मगर आज भी शहरी आबादी में रहने वाले करीब 36 फीसद लोगों पर सरकार की भी इनायत नहीं होती। वहीं ग्रामीण इलाकों में करीब 20 फीसद लोगों के लिए खाने की व्यवस्था नहीं हो पा रही है। वक्त बीतने के साथ जनसंख्या का दबाव बढ़ता जा रहा है, जिससे भूख से जंग लड़ने वालों की तादाद भी बढ़ती जा रही है। अगर यही हाल रहा तो वह दिन दूर नहीं जब लोगों को खाने के लिए भी जंग लड़नी पड़ेगी।

जनसंख्या बढ़ा रही मुश्किल

जनसंख्या का दवाब जिस तरह बढ़ रहा है, उसके साथ भी लोगों की मुश्किलें भी बढ़ती जा रही हैं। सरकार की जिन पर नजरे इनायत है, वह भी महीने भर अपनी भूख मिटा ले रहे हैं, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। सरकार की तरफ से पात्र लोगों को जो मदद दी जा रही है, उसमें भी प्रति यूनिट के हिसाब से 5 किलो खाद्यान ही मुहैया कराया जा रहा है। इसमें तीन किलो गेहूं और दो किलो चावल शामिल है। मिलने वाले इस खाद्यान को उन्हें पूरे मंथ चलाना है। ऐसी कंडीशन में उन्हें कुछ दिन भूखे ही काटना पड़ता है या फिर इधर-उधर से व्यवस्था करनी पड़ती है।

सवा लाख को मिलता 35 किलो राशन

गोरखपुर शहर और गांव को मिलाकर कुल सवा लाख लोग ऐसे हैं, जिन्हें सरकार की ओर से अंत्योदय कार्ड मिला है। इस पर उन्हें 35 किलो प्रति कार्ड के हिसाब से राशन मिलता है। जिले में एक लाख 26 हजार 392 अंत्योदय कार्ड होल्डर हैं। लेकिन इसमें पेंच यह है कि अगर किसी परिवार में दो मेंबर्स है, तो भी उन्हें 35 किलो राशन ही दिया जाएगा, वहीं अगर उस पात्र की फैमिली बड़ी है। तो इस कंडीशन में भी उसे 35 किलो ही राशन मिल पाएगा। वह पात्र जो पुरानी बीपीएल और नए एपीएल कैटेगरी में आ रहे हैं, ऐसे लोगों को पात्र गृहस्थी कार्ड मुहैया कराया गया है, जिसमें उन्हें प्रति यूनिट के बेसिस पर 5 किलो राशन दिया जाता है।

47 करोड़ की सब्सिडी

गरीबों की भूख मिटाने के लिए सरकार अपने लेवल से मदद कर रही है। इसमें अंत्योदय और पात्र गृहस्थी मिलाकर करीब साढ़े सात लाख कार्ड होल्डर्स को फायदा मिल रहा है। उन्हें जहां गेहूं 2 रुपए प्रति किलो के हिसाब से मुहैया कराया जा रहा है, वहीं चावल के लिए पात्रों को 3 रुपए प्रति किलो खर्च करना पड़ रहा है। इस तरह सरकार हर महीने सब्सिडी के तौर पर लगभग 47 करोड़ रुपए खर्च कर रही है। इसमें जहां गेहूं के मद में करीब 24 करोड़ की सब्सिडी दी जा रही है, वहीं करीब 23 करोड़ रुपए चावल के लिए खर्च किए जा रहे हैं।

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इतने कार्ड होल्डर्स

टोटल अंत्योदय कार्ड होल्डर - 126392

पात्र गृहस्थी कार्ड - 635100 (2764250 यूनिट)

इतने कोटेदार

शहरी - 340

ग्रामीण - 1707

इतने परसेंट पात्रों को मिलता खाद्यान्न

शहरी - 79.56 परसेंट

ग्रामीण - 64.43 परसेंट

प्रति व्यक्ति खाद्यान्न की मात्रा

गेहूं - 3 किलो (2 रुपए प्रति किलो)

चावल - 2 किलो (3 रुपए प्रति किलो)

किस पर कितनी सब्सिडी

गेहूं - 22 रुपए

चावल - 29.64

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वर्जन

शहर के मानक के हिसाब से अंत्योदय और पात्र गृहस्थी कार्ड होल्डर्स को खाद्यान्न मुहैया कराया जा रहा है। इसमें शहरी इलाके के 64.43 फीसद और ग्रामीण इलाके के 79.56 परसेंट लोग शामिल हैं। कुछ पात्र छूट गए हैं और उनकी जगह अपात्र फायदा उठा रहे हैं, ऐसे लोगों को चिन्हित किया जा रहा है। जल्द ही पात्रों को लिस्ट में शामिल किया जाएगा। इसके लिए आधार कार्ड से अकाउंट को लिंक किया जा रहा है।

- राजीव तिवारी, डीएसओ