कैसे करते हैं ये काम
लंगूर की तरह बंदरों को भगाने का काम करने वाले प्रमोद ने बताया कि इस काम के लिए उन्हें 7500 रूपये दिए जाते हैं.  सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक इनकी ड्यूटी लगाई जाती है. सबसे पहले बंदरों की संख्या और उनके खतरनाक होने का अंदाजा लगाया जाता है. ये लोग बंदरों पर रबर की गोलियां भी चलाते हैं जिससे बंदर भाग जाएं.

कुत्तों को भी पकड़ रही टीम
सरकार ने बताया कि संसद भवन प्रिमाइसेस में और आसपास बंदरों और कुत्तों की समस्या से निपटने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं. शहरी विकास मंत्री एम वेंकैया नायडू ने आज राज्यसभा को बताया कि कुत्तों को पकडने वालों का दल उन आवारा कुत्तों को पकडने के लिए सप्ताह में दो बार संसद भवन और इसके आसपास के क्षेत्रों में जाता है जिन कुत्तों का टीकाकरण नहीं किया गया है.

क्यों उठाना पड़ा यह कदम

प्रशासन को यह तरीका शायद इसलिए अपनाना प़डा, क्योंकि नई दिल्ली इलाके के ज्यादातर हिस्से में बंदर मौजूद हैं. शास्त्री भवन, उद्योग भवन और निर्माण भवन के सरकारी और मंत्रियों के दफ्तरों में इनसे बचने के लिए खिडकियों पर लोहे की मजबूत जालियां लगाई गई हैं. फिर भी बंदर इतनी उछल कूद मचाते हैं कि एसी और कूलर अक्सर टूटते रहते हैं. जो भी हो, सरकार का यह अनोखा तरीके की खूब चर्चा हो रही है.

Hindi News from India News Desk

 

National News inextlive from India News Desk