व्हाइट मॉन्सटर बैट :
यह उस समय की बात है जब इंटरनेशनल क्रिकेट का कोई नामो-निशान नहीं था। लोग अपने मनोरंजन के लिए क्रिकेट खेला करते थे। क्रेस्टी और हेंबलटन टीमों के बीच एक मुकाबला खेला गया। क्रिस्टी के बल्लेबाज थॉमस व्हाइट जब क्रीज पर बैटिंग करने उतरे तो उनके हाथ में सफेद रंग का काफी चौड़ा बल्ला था। ऐसे में विपक्षी टीम ने इसका विरोध किया क्योकि ऐसे में बल्लेबाज को आउट करना काफी मुश्किल था। इसके बाद ही बल्ले के आकार को लेकर नियम बनाए गए कि बल्ला इस सीमित आकार से बड़ा नहीं होना चाहिए।
एल्यूमीनियम बैट :
साल 1979 में खेली गई ऐशेज सीरीज भी काफी विवादित रही। ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज डेनिस लिली मैदान पर एल्यूमीनियम का बल्ला लेकर उतरे थे। इससे कुछ दिन पहले भी वह वेस्टइंडीज के खिलाफ इसी बल्ले को लेकर बल्लेबाजी करने आए थे जिससे गेंद खराब हो रही थी। ऐसे में इंग्लैंड के कप्तान ने उनके इस बल्ले के इस्तेमाल का विरोध किया। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया के मौजूदा कप्तान ग्रेग चैपल ने उन्हें लकड़ी का बल्ला खेलने के लिए दिया तब यह विवाद थमा।
गोल्डन बैट :
बिग बैश लीग में खिलाड़ियों को रंगीन बल्ले इस्तेमाल करने की परमीशन है। पिछले सीजन में वेस्टइंडीज के धुरंधर बल्लेबाज क्रिस गेल ने ऐसे ही एक कलर फुल बल्ले का इस्तेमाल किया था। वह रंगीन बैट का इस्तेमाल करने वाले पहले खिलाड़ी थे। गेल गोल्डन कलर के बल्ले के साथ मैदान पर आए थे और विरोधियों के खूब छक्के छुड़ाए।
मंगूस बैट :
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व ओपनर मैथ्यू हेडेन ने आईपीएल में मंगूस बैट का इस्तेमाल किया था। ये बल्ला पारंपरिक रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले बल्ले जैसा ही था लेकिन इसका हैंडिल बैट के हिट करने वाले हिस्से से ज्यादा बड़ा था। इस बल्ले का इस्तेमाल हेडेन ने इसलिए किया था क्योंकि इसपर लगकर गेंद ज्यादा तेजी से जाती है। हेडेन ने इस बल्ले से खेलते हुए एक पारी में 43 गेंदों में 93 रन बना दिए। हालांकि बाद में यह बल्ला ज्यादा सफल नहीं रहा।
ग्रेफाइट वाला बैट :
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान रिकी पॉन्टिंग ने साल 2004 में इस बल्ले का इस्तेमाल किया था। बैट की निर्माता कंपनी कोकोबुरा ने इसमें कार्बन ग्रेफाइट की परत लगाई थी। इस बल्ले का इस्तेमाल करते हुए पॉन्टिंग ने पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट में दोहरा शतक जड़ दिया था। लोगों द्वारा आपत्ति दर्ज करने के बाद एमसीसी ने बल्ले की जांच की। जांच में पाया गया कि इस बल्ले से खेलने पर बल्लेबाज को फायदा होता है। इसके बाद एमसीसी ने इस बल्ले के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाई। पॉन्टिंग को फिर से पारंपरिक बल्ले से खेलने को कहा।
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