पिता के कदमों पर:

जेपी दत्ता को निर्देशन, निर्माण और लेखन का कार्य विरासत में मिला है, क्योंकि उनके पिता ओ. पी. दत्ता को भी इसमें महारत हासिल थी। ओ. पी. दत्ता भी अपने समय के मशहूर फ़िल्म निर्माता-निर्देशक और संवाद लेखक में गिने जाते हैं। जिससे जेपी ने अपने पिता के कदमों पर चलने का फैसला बचपन में ही ले लिया था।

अवार्ड का लालच नहीं:

निर्माता निर्देशक जेपी दत्ता अपने बेहतरीन फिल्म निमार्ण और निर्देशन के लिए दर्शकों के दिलों में राज कर रहे हैं। सबसे खास बात तो यह है कि फिल्ममेकर जेपी दत्ता किसी बड़े अवार्ड और सम्मान की फिराक में नहीं रहते है। उनका खुद मानना है कि उनका असली अवार्ड तो उनके दर्शकों के दिल में उनके प्रति उमड़ता प्यार है।

देशभक्ित से भरी फिल्में:

जेपी दत्ता की सबसे बड़ी खासियत है कि उनकी फिल्में हमेशा लीक से हटकर बनती हैं। ज्यादतार उनकी फिल्में पुलिस तथा भारतीय सेना पर आधारित होती हैं। इनकी फिल्मों को देखकर लोगों को देश के प्रति अपने कर्तव्य और उनमें देशभक्ति का जोश जगाती हैं। शायद तभी उनकी पुरानी से पुरानी फिल्में आज भी खास राष्ट्रीय त्योहारों पर देखी जाती हैं।

गुलामी से की थी शुरूआती:

जे. पी. दत्ता की सुपरहिट फिल्मों में 1985 में फ़िल्म 'ग़ुलामी'है। इसी फिल्म से इन्होंने शुरूआत की थी। इसके बाद 'यतीम', 'बंटवारा', 'हथियार','क्षत्रिय','बॉर्डर, रिफ्यूजी','एल ओ सी करगिल','उमराव जान'जैसी फिल्में बनाई। 1997 में बनी फिल्म बॉर्डर उनकी सुपरहिट फिल्मों में एक है।

फिल्म बॉर्डर का सीक्वल:

हाल ही में जेपी दत्ता ने अपनी ब्लॉक बूस्टर फिल्म बॉर्डर का 3डी वर्जन लॉन्च किया है। इसके अलावा कहा जा रहा है कि वह साल के अंत तक बॉर्डर फिल्म का सीक्वल भी लॉन्च करने की तैयारी में है। उनकी पुरानी फिल्म बॉर्डर का गाना 'संदेशे आते हैं' श्रोताओं के बीच आज भी काफी पॉपुलर है। बार्डर के लिए नेशनल फिल्म अवार्ड उन्हें दिया गया।

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