अध्ययनशील एवं परिश्रमी

दुनिया में मशहूर मदर टेरेसा का असली नाम ‘अगनेस गोंझा बोयाजिजू’ था। अगनेस ने दुख को बचपन से ही महसूस किया था। बचपन में ही उनके पिता उनका साथ छोड़ गए थे। पांच भाई-बहनों में अगनेस सबसे छोटी थीं। वह बचपन से ही अध्ययनशील एवं परिश्रमी थीं। गरीबों को देखकर उनके मन में बचपन से ही काफी उथल पुथल होने लगती थी। जिससे वह बचपन से ही गरीबो व दुखियों को के लिए कुछ करने की भावना पाल चुकी थी। ‘अगनेस गोंझा बोयाजिजू’ गाना भी बहुत सुंदर गाती थी।

शिक्षिका के रूप में लोकप्रिय

मदर टेरेसा 6 जनवरी, 1929 को आयरलैंड से 6 जनवरी, 1929 को कोलकाता के लोरेटो कॉन्वेंट’ में एक शिक्षिका के रूप में आईं। यहां पर वह एक शिक्षिका के रूप में बच्चों के बीच काफी लोकप्रिय हो गईं थी। इसके बाद वह वर्ष 1944 में वह सेंट मैरी स्कूल की प्रिंसिपल के पद पर तैनात हुई। मदर टेरेसा 1948 में कलकत्ता की एक गरीब बुजुर्गो की देखभाल करने वाली संस्था के साथ रहीं। यहां का दृश्य देखकर वह उनका दिल कराह गया। बस इसके बाद से ही उन्होंने लोगों की सेवा करने के लिए अपने कदम आगे बढ़ा दिए।

नीले किनारे वाली सफेद साड़ी

आज पूरी दुनिया में मशहूर हो चुकी ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ की स्थापना मदर टेरेसा ने सन् 1948 में कलकत्ता में की थी। इसे  वैश्विक तौर पर 7 अक्टूबर, 1950 को रोमन कैथोलिक चर्च ने मान्यता दी थी। इसके अलावा उन्होंने ‘निर्मल हृदय’ और ‘निर्मला शिशु भवन’ जैसे कई आश्रमों की नींव भी रखी। इस दौरान लोगों की सेवा के लिए तत्पर मदर टेरेसा ने अपना जीवन काफी सादगी से जीने के लिए पारंपरिक वस्त्रों को त्याग दिया। उन्होंने अपने आगे के जीवन के लिए बस नीले रंग की बार्डर वाली सफेद साड़ी धारण करने का फैसला लिया।

“भारत रत्न” से अलंकृत

निस्वार्थ भाव से हो रही सेवा भाव को लेकर पूरी दुनिया में चर्चा थी। जिससे उन्हें उनके नेक काम के लिए कई पुरस्कार मिले। जिसमें 1962 में भारत सरकार ने उन्हें “पद्म श्री” से नवाजा था। 1980 मे भी भारत सरकार ने “भारत रत्न” से अलंकृत किया। इसके अलावा 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया। इस दौरान नोबेल पुरस्कार की 192,000 डॉलर की धन-राशि को भारतीय गरीबों के लिए दान कर दिया था। वहीं 2003 को रोम में मदर टेरेसा को “धन्य” घोषित किया था। मदर टेरेसा ने अपने जीवन के 40 से अधिक साल लोगों की सेवा में बिताए।

विश्व में शोक की लहर दौड़ी

गरीबों की मसीहा कही जाने वाली मदर टेरेसा जब दुनिया को अलविदा कहकर गई थीं पूरे विश्व में शोक की लहर दौड़ गई थी। मदर की मौत 05 सितम्बर, 1997 को हाटअटैक पड़ने के बाद गिरते स्वास्थ्य से हुई थी। उनको पहला अटैक 1983 में 73 वर्ष की आयु में पड़ा था। इसके बाद 1989 में उन्हें दूसरा अटैक पड़ा था। जिसके बाद से उनकी सेहत लगातार गिरती चली गई थी। जब मदर टेरेसा की मौत हुई थी तब उनकी संस्था 123 देशों में समाज सेवा में लिप्त थीं। उस समय ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ में 4000 सिस्टर और 300 अन्य सहयोगी संस्थाएं काम कर रही थी।

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