RANCHI: झारखंड में भ्00 बाल मित्र गांव विकसित किए जाएंगे, जो बच्चों के सतत कल्याण व उनमें आम्मविश्वास का संचार करेंगे। ये बातें नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी ने कहीं। मंगलवार को वह सूचना भवन में प्रेस कान्फ्रेंस कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राज्य में फिलहाल ऐसे गांवों की संख्या क्फ्क् है। इन गांवों में बाल मजदूरी, बाल विवाह, मानव तस्करी पर जन जागरूकता के माध्यम से रोक लगाने का प्रयास किया जाएगा। बच्चों को शामिल कर बाल पंचायत का गठन किया जाएगा, जो बड़ी पंचायत से सामंजस्य स्थापित कर अपनी समस्याएं रखेंगे। गांव के सभी बच्चों को शिक्षा से जोड़ा जाएगा।

पदयात्रा क्भ् अगस्त के बाद

श्री सत्यार्थी ने कहा कि बच्चों पर हो रहे यौनाचार और हिंसा की रोकथाम और जन जागरूकता हेतु 'सुरक्षित बचपन सुरक्षित भारत' नारा के तहत पदयात्रा की जाएगी। कन्याकुमारी स्थित विवेकानंद शिला स्मारक से यह यात्रा प्रारंभ होकर राजधानी दिल्ली में समाप्त होगी। यात्रा क्भ् अगस्त के बाद शुरू होगी और दिवाली से एक दिन पूर्व समाप्त होगी। उन्होंने कहा कि करीब दो माह तक चलने वाली इस यात्रा में सामाजिक संगठनों, घर्मगुरुओं, स्कूली बच्चों और युवाओं को शामिल करने की योजना है। यात्रा की समाप्ति पर करीब क् करोड़ लोगों को बच्चों के खिलाफ हिंसा या यौन उत्पीड़न नहीं करने की शपथ दिलाई जाएगी। यह यात्रा बच्चों के प्रति हो रहे हिंसा और यौन उत्पीड़न के खिलाफ दुनिया की सबसे बड़ी पदयात्रा होगी।

बच्चों को न थमाएं हथियार

सत्यार्थी ने कहा कि माओवादी, उग्रवादी या आंतकवादी को यह समझना होगा कि हिंसा से समस्याओं का समाधान नहीं होगा। वे बच्चों की कोमल मानसिकता को प्रभावित करते हुए हिंसा के लिए उनका इस्तेमाल न करें। उनके हाथों में पुस्तक देने के बजाय हथियार नहीं थमाएं। इससे वे अपनी राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक मांग को पूरा नहीं कर सकते। बच्चों का हिंसा में उपयोग मानवता के विरुद्ध है। उन्होंने कहा कि कश्मीर में पत्थर चला रहे बच्चों को रोकने की नैतिक जिम्मेवारी उनके परिजनों और सामाजिक संगठनों की है।

सीएम ने भ् मांगों पर दी है सहमति

कैलाश ने बताया कि मुख्यमंत्री रघुवर दास से उनकी बात हुई है। उनकी पांच मांगों पर विचार करने का भरोसा मुख्यमंत्री ने दिया है। मुख्यमंत्री ने प्लेसमेंट एजेंसी के नाम पर की जा रही मानव तस्करी की रोकथाम हेतु जल्द बेहतर एवं प्रभावी कानून बनाने, मानव तस्करी, बाल मजदूरी या यौन हिंसा के शिकार बच्चों को तत्काल राहत देने के लिए फंड निर्माण करने, रांची और गुमला में मानव तस्करी से प्रभावित बच्चों के लिए केंद्र की स्थापना करने, हिंसा या उत्पीड़न से प्रभावित बच्चों के साथ व्यवहार कुशल बनने हेतु राज्य के अधिकारियों को प्रशिक्षित करने और बाल मित्र गांव के निर्माण पर अपनी सहमति प्रदान की है।

जनजागृति बेहद जरूरी

सत्यार्थी ने कहा कि सोशल मीडिया के जरिए भी देश की बच्चियां हिंसा की शिकार हो रहीं हैं। उनकी तस्वीरों या उनके संबंध में गलत संदेश प्रेषित किया जा रहा है। इससे आहत होकर बच्चियां आत्महत्या कर रही हैं। सोशल मीडिया के जरिए सेक्स और हिंसा को बढ़ावा मिल रहा है। देश के सीमावर्ती इलाकों में रह रहे बच्चे नशे की चपेट में आ रहे हैं। इसकी रोकथाम होनी चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय ने बच्चों को नशा मुक्त करने और गुमशुदा बच्चों के लिए कार्यपालिका को निर्देश भी दिया है। लेकिन सिर्फ कानून बन जाने से इसे नहीं रोका जा सकता, इसके लिए जनजागृति बेहद जरूरी है।