- फुटकर पैसों के लिए शहर में रही काफी मारामारी

- आम जरूरत की चीज खरीदने को परेशान रहे लोग

- 10, 20, 50 और 100 रुपए के नोटों की मांग बढ़ी

Meerut । प्रधानमंत्री मोदी के कालेधन पर प्रहार का असर शहर में देखने को मिला। खुदरा व्यापारी से लेकर थोक व्यापारियों में 500 और एक हजार के नोटों को लेकर अफरातफरी का माहौल रहा। वहीं दूसरी ओर पब्लिक आम जरूरतों की चीजों के लिए भी जूझती नजर आई। एक ओर बाजारों में सन्नाटा तो वहीं दूसरी ओर फुटकर पैसों को लेकर आम से लेकर खास लोग परेशान नजर आए। ऐसे में नगद नारायण से ज्यादा उधारी पर खरीदारी की गई।

कहां से लाएं छुट्टे पैसे

एक ओर जहां 500 से लेकर 1000 हजार रुपए नोट बंद होने से शहर में अफरातफरी बनी रही। तो वहीं बाजारों में सन्नाटा नजर आया। हालांकि रोजमर्रा के सामानों की लोगों ने खरीदारी की। लेकिन आम लोग फुटकर पैसों की समस्या से जूझते रहे। आटा, दाल, चावल की दुकानों में दुकानदारों ने ग्राहकों से फुटकर ना होने की बात कहकर सामान देने से मना कर दिया। मोबाइल रिचार्ज की दुकान संचालक शोभित अग्रवाल कहते हैं कि पीएम मोदी की घोषणा के बाद दुकानदारी 50 फीसदी प्रभावित हो गई। 500 रूपए और एक हजार के नोट चलन में बंद होने से एकदम ही बाजार में उथलपुथल हो गई है। अब सवाल यही है कि आखिर इतने छुट्टे पैसे कहां से लाएं।

सब्जी विक्रेता भी दिखे परेशान

शहर में छोटे-छोटे सब्जी विक्रेता भी परेशान रहे। 500 रूपए के नोट और छुट्टे पैसों को लेकर उनकी ग्राहकों से नोकझोंक होती रही। देवलोक कॉलोनी निवासी सुशीला ने कहा कि सरकार ने एकदम बड़ा फैसला कर दिया है.इससे आम लोगों को परेशानी हो रही है। अब सब्जी वाले भी 500 का नोट लेने से मना रहे हैं फुटकर पैसे अब हैं नहीं, तो बताइए क्या किया जाए।

100 और 50 की मांग बढ़ी

मार्केट में 500 और 1000 रूपए के चलन से बाहर होने के बाद बाजार में छोटे नोटों की मांग एकदम से बढ़ गई। हालत यह रही कि छोटे दुकानदारों के पास भी 10, 20, 50 और 100 रुपए के नोटों की मांग एकदम से बढ़ गई। वहीं, दूसरी ओर दुकानदार और ग्राहकों के बीच कहासुनी भी हो गई। मिठाई दुकान संचालक शिव कहते हैं कि सुबह से कई ग्राहक आए लेकिन वो 500 और एक हजार का नोट दे रहे थे.अब जब बाजार में ही नोट बंद हो रहे हैं तो नोट लेने से क्या फायदा। अब अगर हम नोट ले भी लें तो इतने पैसे नहीं है कि हम ग्राहकों को फुटकर पैसे लौटा सके। इसलिए धंधा मंदा हो गया है।

कैसे पहुंचे बेटी के घर

नोट की चोट ने कई परिवारों को परेशान कर दिया। देवलोक कॉलोनी निवासी मिथलेश ने बताया कि उनकी बेटी के घर में कार्यक्रम में जिसके लिए सामान खरीदकर जाना है। लेकिन अब 500 और 1000 के नोट बंद होने से उनकी समस्या बढ़ गई है। अब बिटिया के घर कैसे जाएंगे ये चिंता सता रही है। हालांकि कुछ सामान की खरीदारी कर ली है लेकिन शगुन कैसे दिया जाएगा यह चिंता सता रही है।

उधारी पर चल रहा है मामला

कुछ ऐसे दुकानदार भी हैं जो अपने जानकारों को उधार पर सामन बेच रहे हैं। ऐसे में जिनके पास 500 के नोट हैं वो उधार पर शादी की खरीदारी कर रहे हैं। सदर निवासी सुनील ने बताया कि उनकी बेटी की एक दिन बाद शादी है। उनके पास खुले रुपए नहीं है। ऐसे में वो अपने ही जानकार दुकानदारों के यहां से सामान खरीद रहे हैं।

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वर्जन

केसरगंज में बेटी के घर कार्यक्रम है वहां गिफ्ट लेकर जाना है.कई और भी खरीदारी करनी है। लेकिन अब 500 और एक हजार के नोट बंद होने से मुश्किल बढ़ गई है। चिंता है उनके घर कैसे जाएंगे।

-मिथलेश देवलोक कॉलोनी

सब्जी खरीदने में भी दिक्कत हो रही है। घर में फुटकर पैसे नहीं है। 500 के नोट सब्जी विक्रेता ले नहीं रहे हैं। अब बताइए हम क्या करें।

-कुसुम

सरकार ने फैसला तो सही लिया है लेकिन कोई तैयारी नहीं की है। जिससे हमको परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अगर चेंज पैसे नहीं है तो कोई भी सब्जी तक देने को तैयार नहीं है।

-सीमा

सुबह से एकदम पता चला कि 500 का नोट नहीं चल रहा है। बाहर किराने की दुकानदार में आटा लेने आई। तो उसने मना कर दिया। अब बताइए हम क्या करें। इतने फुटकर पैसे घर में कैसे रखे।

-रजनी

सरकार के फैसले के बाद दुकानदारी पर सीधा असर पड़ा है। पांच सौ का रूपए ले भी लें तो फुटकर पैसे देने में समस्या हो रही है। डिस्ट्रीब्यूटर भी हमसे 500 और एक हजार के नोट नहीं ले रहे हैं। बड़ी मुश्किल हो गई है।

-शोभित अग्रवाल, रिचार्ज विक्रेता

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अस्पताल में चला पर्ची सिस्टम

-अस्पताल में पैसों की पर्ची के लिए पर्ची कांट्रेक्ट

मेरठ। पांच सौ और एक हजार के नोटों पर प्रतिबंध का असर इमरजेंसी सेवाओं में खूब देखने को मिला। छुट्टे रुपयों की भारी कमी ने सरकारी इंतजामों की भी कमर तोड़ दी। छोटे नोटों की शॉर्टेज के कारण पूरा हेल्थ विभाग पर्ची पर आ टिका।

पर्चे के साथ पर्ची

टेस्ट और जांचों के लिए पैसे खुले न होने पर डॉक्टर्स व स्टॉफ ने मरीजों की पर्चियां बनाई। मरीज से 500 व 1000 के नोट तो लिए लेकिन शेष राशि लौटाने के लिए खुले पैसों की व्यवस्था न होने पर उनकों पर्चियां बनाकर दी गई, जिस पर दो दिन बाद पैसे वापस ले जाने का आश्वास दिया गया।

कुछ लोग अपने खुले रुपए खर्च नहीं करना चाह रहे थे और उनके बदले पांच सौ और हजार के नोट दे रहे थे। इस कारण कुछ लोगों को पर्ची देकर बाद में रकम वापसी का आश्वासन दिया गया।

-डॉ। कौशलेंन्द्र

ब्लड बैंक प्रभारी, जिला अस्पताल

सभी मरीजों से बड़े नोट स्वीकार किए गए हैं, हालांकि सरकारी हॉस्पिटल में कुछ सेवाओं को छोड़कर सभी सेवाएं बहुत सस्ती होती हैं, जिनमें बड़े नोटों की आवश्क्ता नहीं होती।

-विभु साहनी, सीएमएस मेडिकल कॉलेज

ब्लड बैंक में सभी नोट स्वीकार किए गए हैं। खुले रुपए की शॉर्टेज होने के कारण कुछ असुविधा जरूर रही, लेकिन किसी तरह से मैनेज कर लिया गया।

-डॉ। सचिन, ब्लड बैंक प्रभारी, मेडिकल कॉलेज