- 21 से है प्रैक्टिकल कैसे देंगे बिना नॉलेज के स्टूडेंट्स प्रैक्टिकल

- डीआईओएस ने भी दिया था स्कूलों को लैब सुधारने का निर्देश

- स्कूलों में निरीक्षण के बाद निकला था रिकॉर्ड खराब

Meerut। सरकारी स्कूलों में स्टूडेंट्स के प्रैक्टिकल महज खानापूर्ति के ही चल रहे हैं। हकीकत में यहां सिखाने के नाम पर स्कूलों में एक भी प्रैक्टिकल नहीं करवाया जाता है। जी हां कुछ ऐसे ही बुरे हालात हैं जिले के सरकारी स्कूलों के। यहां 60 परसेंट स्कूलों में न तो लैब की व्यवस्था हैं और न ही स्कूलों में कोई प्रैक्टिकल कराया जाता है। हाल भी में अभी दो महीने पहले शिक्षा विभाग के निरीक्षण में भी सामने आया है कि मेरठ के स्कूलों में स्टूडेंट को प्रैक्टिकल ही नहीं करवाए जाते हैं। इस निरीक्षण में ही पता लगा था कि शहर के 60 परसेंट स्कूलों में लैब नहीं है, जिनमें लैब है उनमें भी हालात ठीक नहीं हैं। शिक्षा विभाग के निरीक्षण में भी सरकारी स्कूलों की लैब भी फेल हो चुकी है। अब स्टूडेंट के सामने भी यही परेशानी खड़ी हो गई है कि वो प्रैक्टिकल एग्जाम बिन तैयारी के कैसे देंगे।

किया था निरीक्षण

अभी हाल फिलहाल में दो महीने पहले जिले के स्कूलों में डीआईओएस विभाग की टीम ने भी सरकारी स्कूलों की लैब का निरीक्षण किया था। निरीक्षण के दौरान अधिकतर स्कूलों की लैब में धूल फांकते हुए उपकरण मिले हैं। काफी स्कूलों में तो प्रैक्टिकल के लिए केमिकल भी मौजूद नहीं थे। वहीं कुछ में तो लैब बंद ही पड़ी है। विभाग के अनुसार काफी बार ऐसी शिकायतें भी विभाग में पहुंचने पर यह निरीक्षण किया गया था। शिकायतों में भी यहीं जिक्र किया गया था कि स्कूलों में स्टूडेंट को प्रैक्टिकल ही नहीं करवाए जाते हैं। बस कुछ पैसे लेकर ही प्रैक्टिकल हो जाते हैं। इन्हीं शिकायतों को संज्ञान में रखते हुए डीआईओएस ने स्कूलों का निरीक्षण किया था।

प्रैक्टिकल के नाम पर कमाई

सरकारी स्कूलों में प्रैक्टिकल के नाम पर बस कमाई का ही खेल चल रहा है। सूत्रों की माने तो बोर्ड में होने वाले प्रैक्टिकल के लिए भी स्कूलों में स्टूडेंट से सौ से दो सौ रुपए वसूले जाते हैं। बदले में बिना किसी सवाल को किये और बिना किसी प्रैक्टिकल को करवाए बस नाम पूछकर ही नम्बर दे दिए जाते हैं। शहर के देहाती स्कूलों में तो स्टूडेंट को बस पैसे लेकर ही नम्बर दे दिए जाते हैं।

हर स्कूल में चाहिए लैब

नियमानुसार तो हर स्कूल में साइंस लैब, होम साइंस लैब का होना बेहद आवश्यक है। कोई भी स्कूल बनाया जाता है तो सबसे पहले उसमें लैब बनाने का जिक्र जरुर आता है। लेकिन यहां तो स्कूलों में लैब के नाम पर बस धूल फांकते हुए कमरे और ही नजर आते हैं। वहीं धूल फांकते केमिकल जार ही नजर आते हैं। जिन्हें देखकर साफ लगता है कि स्कूलों में कोई प्रैक्टिकल नहीं चलता है।

नहीं है बजट

स्कूलों की माने तो उनके अनुसार प्रैक्टिकल कराने की बात तो दूर की है, लैब के रख रखाव के लिए भी बजट नहीं है। जबकि अगर एक लैब के महीने भर के खर्च की बात करें तो कम से कम पांच हजार रुपए का खर्च आता है। लैब न होने का दूसरा कारण स्कूलों में उतनी जगह न होना भी है। कुछ स्कूल ऐसे भी हैं जिनमें इतना स्पेस ही नहीं है कि वहां लैब बनाई जा सके। जीआईसी स्कूलों में कुछ में लैब है और कुछ में नहीं है। स्कूलों का कहना है कि सरकार की तरफ से जब स्कूल बनाए जाते हैं तो उन्हीं की जिम्मेदारी होती है। मवाना रोड स्थित आदेश इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल अरुण के अनुसार बजट न होने की वजह से प्रैक्टिकल कराने मुश्किल हो जाते हैं। लेकिन स्कूल अपनी तरफ से नॉलेज देते हैं। एनएएस की प्रिंसिपल आभा का कहना है कि हमारे स्कूल में तो प्रैक्टिकल करवाए जाते हैं। सदर एसडी ग‌र्ल्स की टीचर पूनम का कहना है कि स्कूलों को बजट होगा तभी तो केमिकल या फिर प्रैक्टिकल का सामान आएगा। महीने भर में एक लैब का बजट पांच हजार बैठता है। ऐसे में स्कूल तो केवल बच्चों से दस रुपए फीस लेता है। ऐसे में क्या किया जा सकता है।

प्रैक्टिकल की चिंता

हमारे हाईस्कूल के प्रैक्टिकल है, लेकिन यह तक नहीं पता है कि प्रैक्टिकल में क्या पूछा जाएगा और क्या करवाया जाएगा।

-सनूबर, एसडी इंटर कॉलेज,सदर

हमारे स्कूल में तो लैब ही नहीं है, अब यही चिंता है कि सालभर कुछ सीखा नहीं है कैसे प्रैक्टिकल दिए जाएंगे।

-सामया, आदेश इंटर कॉलेज, मवाना रोड

मेरे हाईस्कूल में साइंस का प्रैक्टिकल है, लेकिन अभी तक यह तक नहीं पता है कि एग्जाम में क्या आने वाला है। एग्जाम की टेंशन हो रही है।

कविता रानी, दिगम्बर जैन इंटर कॉलेज

-मोनिका, एसडी सदर स्कूल

स्कूलों को दिए हैं निर्देश

सभी स्कूलों को निर्देश दिए गए हैं कि वह अपने स्कूल की लैब में सुधार करें। जिन स्कूलों में लैब व्यवस्था ठीक नहीं है वह सुधार ले और स्कूलों में प्रैक्टिकल करवाए जाए। अगर कोई स्कूल प्रैक्टिकल नहीं करवाता है तो संबंधित कार्रवाई की जाएगी।

-श्रवण कुमार यादव, डीआईओएस