शहर में कूड़ा उठान के हैं बुरे हालात

-हर रोज 350 मीट्रिक टन में से केवल 225 टन ही उठा पाता है नगर निगम

-बाकि कूड़ा उठान नहीं होने से शहर में इधर-उधर फेंक दिया जाता है कूड़ा

-कूड़ा उठान के लिए न तो निगम के पास पर्याप्त वाहन और न ही कर्मचारी

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DEHRADUN : 'सुंदर दून-स्वच्छ दून' नगर निगम के लापरवाह रवैये के कारण शायद यह अब गुजरे जमाने का स्लोगन हो चला है। भारत सरकार का स्वच्छता अभियान शुरू होने के बाद भी दून न तो सुंदर बना पा रहा है और न ही स्वच्छ। सड़कों, गलियों, नदी-नालों, खाली प्लाट व बाजार में कूड़ा फैला रहता है। कूड़ेदानों की हालत जर्जर है। इतना ही नहीं जितना कूड़ा नगर निगम उठाता है, उसमें भी काफी हिस्सा शहर की सड़कों पर बिखरा रहता है। बावजूद इसके निगम अधिकारी शहर के साफ होने दावे करते हैं।

झूठे हैं दावे

नगर निगम प्रशासन दावा करता है कि शहर में सफाई दुरुस्त है। इससे लगता है कि निगम अधिकारी शहर में झांकते ही नहीं या फिर झांकते तो शहर कूड़ा दिखाई नहीं देता। डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन पर आए दिन नगर निगम की फजीहत होती है। आलम यह है नगर निगम के पास शहर में डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन के लिए केवल फ्भ् गाडि़यां हैं। जबकि शहर में म्0 वार्डो में करीब पौने दो लाख घर है। गाडि़यों की स्थिति देखें तो स्पष्ट है कि गाड़ी को हर रोज दो वार्डो में जाना होता है, लेकिन यह मुमकिन नहीं लगता है।

पौने दो लाख का कोई नहीं

शहर की जनसंख्या पांच लाख 8फ् हजार (नगर निगम क्षेत्र में) है, लेकिन कूड़ा उठान करीब साढ़े तीन लाख की आबादी तक हो रहा है। इसमें घरेलू कूड़े से लेकर व्यावसायिक प्रतिष्ठान, औद्योगिक संस्थान, अस्पताल (नॉन-बायोमेडिकल) व मलिन बस्तियों का कूड़ा भी श्ामिल है।

सड़ता है क्00 मीट्रिक टन वेस्ट

नगर निगम के आंकड़े माने तो वर्तमान में शहर में फ्भ्0 मीट्रिक टन कूड़ा रह रोज बनता है, लेकिन इसमें उठान ख्ख्भ् से ख्फ्0 मीट्रिक टन का ही होता है। इससे साफ है कि रोजाना क्00 मीट्रिक टन कूड़ा शहर में सड़ता है या नालों और खाली प्लॉटों में फेंक दिया जाता है। यही वजह है कि दूनवासियों घर में नियमित कूड़ा उठान न होने से लेकर शहर में कूड़ा सड़न का सामान करना पड़ता है।

दावा नहीं, नोटिस बढे़

नगर निगम अधिकारी यहां दावे करते हैं कि वह कुछ महीने पहले गई डीवीडब्ल्यूएम (पहले कूड़ा कलेक्शन करने वाली कंपनी) से बेहद अच्छा काम कर रहे हैं। रोजाना हर घर से कूड़ा उठान हो रहा है, लेकिन हकीकत इससे उलट है। कूड़ा उठान का जिम्मा जब से नगर निगम के पास आया, तब से हर दिन तो दूर हफ्ते-हफ्ते तक भी कई गली-मोहल्लों से कूड़ा उठान नहीं हो रहा। वहीं निगम अधिकारी हैं कि कूड़ा नहीं देने वालों को अब भ्00 रुपए महीने के हिसाब से नोटिस भी भेज रहे हैं।

यहां है परेशानी

खुड़बुड़ा मोहल्ला, एसजीआरआर पीजी कॉलेज रोड, पटेलनगर, लाला पुलिस के स्थित मंडी, बाजार, सर्वे चौक, परेड ग्राउंउ, मच्छी बाजार, कालिका मार्ग, ईदगाह कुम्हार मंडी, जीएमएस रोड, प्रिंस चौक, चकराता रोड, हरिद्वार रोड, नेशविला रोड, कालीदास मार्ग, नेहरूग्राम, चुक्खू मोहल्ला, यमुना कालोनी, राजेंद्र नगर, कौलागढ़, गढ़ीकैंट, वसंत विहार, ईसी रोड, धर्मपुर, मोहिनी रोड, बलबीर रोड, कर्जन रोड, तिलक रोड, सहस्त्रधारा रोड, रायपुर रोड, अधोईवाला, सालावाला, राजा रोड, मोती बाजार, डिस्पेंसरी रोड, तहसील सब्जी मंडी, दून अस्तपाल रोड आदि।

नदियां भी कूड़े की जद में

शहर के कई इलाकों से होकर गुजरने वाली नदियां भी कूड़े की जद में आ गई हैं। समय पर कूड़ा कलेक्ट नहीं होने पर बड़ी संख्या में लोग कूड़ा अपने पास की नदी या नाले में फेंक देते हैं।

नदियों में भी कूड़ा

रिस्पना नदी - कंडोली, ईश्वर विहार, ऋषिनगर पुल, इंदर रोड पुल, केदारपुरम पुल, अधोईवाला आदि।

बिंदाल नदी - मालसी डियर पार्क, बकरालवाला, गोविंदगढ़, पटेलनगर, गांधी ग्राम, राजीवनगर, निरंजनपुर, ब्रह्मपुरी, कारगी, भारूवाला, दौड़वाला आदि।

यहां नालों में पड़ा रहता है कूड़ा

क्लेमेंटाउन, मोरोवाला, टर्नर रोड, सुभाष नगर, बंगाली कोठी, पोस्ट ऑफिस वाली गली, केशव विहार, देहराखास, इंदिरापुरम, कारगी, आइएसबीटी, चौधरी कालोनी, हरिद्वार बाइपास, माजरा, शिमला बाइपास, निरंजनपुर सब्जी मंडी, पटेलनगर, प्रेमनगर, हरबंसवाला, स्मिथनगर, चकशाहनगर, त्यागी रोड, प्रिंस चौक, टीएचडीसी कॉलोनी, कांवली रोड, डालनवाला, संजय कालोनी, अधोईवाला, खुड़बुड़ा आदि।

कूड़े की स्थिति

वर्ष ख्000 ख्0क्भ्

वार्ड फ्8 म्0

कूड़ा ख्00 टन फ्भ्0 टन

उठान क्भ्0 टन ख्ख्भ् टन

कहां से कितना निकलता है कूड़ा

घरेलू क्क्भ् टन

औद्योगिक ख्7 टन

मेडिकल ख्फ् टन

व्यावसायिक 9ब् टन

मलिन बस्ती क्.0भ् टन

कूड़ा उठान में लगातार सुधार के प्रयास किए जा रहे हैं। जहां से शिकायत आती है उसे गंभीरता से लिया जा रहा है। पूरे शहर में कहीं कूड़ा पड़ा न रहे इसके लिए कर्मचारी और वाहन सभी बढ़ाए जा रहे हैं।

- आरके सिंह, वरिष्ठ नगर स्वास्थ्य अधिकारी