- 600 के करीब अनाधिकृत कॉलोनियां

- 241 कॉलोनियां महायोजना 2021 में

- 345 कॉलोनियां महायोजना 2031 में

- 2008-09 से चल रही वैध बनाने की कवायद

- मुख्य सचिव के निर्णय से कॉलोनियों को संजीवनी मिलने का रास्ता साफ

- कॉलोनियों में रहने वाले लोग विकास के उजियारे का कर रहे इंतजार

LUCKNOW: मुख्य सचिव का निर्णय आने के बाद अनाधिकृत विकसित कॉलोनियों को संजीवनी मिलने का रास्ता साफ हो गया है। इस निर्णय के बाद शहर में करीब 600 अनाधिकृत विकसित कॉलोनियां वैध हो जाएंगी। जिससे साफ है कि इन कॉलोनियों में विकास का उजियारा हो सकेगा। साथ ही जनता को भी मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ेगा।

करीब 600 कॉलोनियां अनाधिकृत

जानकारी के अनुसार, शहर के अंदर करीब 645 अनाधिकृत कॉलोनियां हैं। महायोजना 2021 में 241 अवैध कॉलोनियां दर्ज की गई हैं, जबकि महायोजना 2031 में अनाधिकृत कॉलोनियों का आंकड़ा 345 हो गया है। अगर दोनों आंकड़ों को जोड़ दिया जाए तो करीब 586 कॉलोनियां अनाधिकृत हैं। हालांकि कई ऐसे भी कॉलोनियां हैं, जो अनाधिकृत तो हैं लेकिन रजिस्टर्ड नहीं हैं। इसकी वजह से आंकड़ा 600 के आसपास माना जा रहा है।

वर्ष 2008-09 से कवायद

जानकारी के अनुसार, वर्ष 2008-09 से अवैध कॉलोनियों को वैध करने की दिशा में कवायद चल रही है। हालांकि अभी तक सिर्फ डाटा ही तैयार हो सका है, किसी भी कॉलोनी को वैध नहीं किया जा सका है। ऐसी अनाधिकृत कॉलोनियों के नियमित किए जाने को लेकर आवास विभाग ने निर्धारित गाइड लाइंस में संशोधन भी किए थे।

हर सुविधा उपलब्ध, फिर भी अनाधिकृत

शहर के अंदर कई ऐसी कॉलोनियां भी हैं, जहां जनता से जुड़ी सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं। रवींद्रपल्ली, मारूतिपुरम, द्रौपदी विहार, ब्रह्मकुंज समेत कई कॉलोनियां ऐसी हैं, जहां सीवर व पेयजल लाइन तक बिछ चुकी है। इसके बावजूद ये कॉलोनियां अनाधिकृत की श्रेणी में हैं। वहीं फैजुल्लागंज, कल्याणपुर, हरदोई रोड पर कई कॉलोनियां हैं, जो अनाधिकृत हैं। यहां भी सुविधाएं ठीक ठाक हैं, बावजूद इसके इन कॉलोनियों को अभी तक वैध नहीं किया जा सका है।

जनता को मिलेगी राहत

कॉलोनियों को वैध करने से इन कॉलोनियों में रहने वाले लोगों को खासा फायदा मिलेगा। चूंकि अभी स्थिति यह है कि अगर इन कॉलोनियों में रहने वाले लोग कोई समस्या संबंधित महकमे में दर्ज कराते हैं तो उन्हें यह कहकर टाल दिया जाता है कि आपकी कॉलोनी अवैध है। निगम की ओर से भी इन कॉलोनियों की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। कॉलोनियों के वैध होने से जनता को अपनी समस्याओं के निस्तारण के लिए चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।