- पहली बार यूपी के लोगों पर हुआ शोध

- गोरखपुर, लखनऊ, कानपुर सबसे ज्यादा डायबिटीज चपेट में

- बड़ी आबादी प्रिडायबिटिक स्टेज में

LUCKNOW: प्रदेश में तेजी से डायबिटीज रोगियों की संख्या बढ़ रही है। जबकि गोरखपुर, कानपुर, लखनऊ जिलों के लोग सबसे ज्यादा डायबिटीज से पीडि़त हैं। यूपी डायबिटीज एसोसिएशन की ओर से पिछले साल प्रदेश में की गई रिसर्च में ये आंकड़े सामने आए। इस रिसर्च को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में चल रही रिसर्च सोसाइटी फार द स्टडीज आफ डायबिटीज इन इंडिया (आरएसएसडीआई) के 43वें वार्षिक अधिवेशन में प्रस्तुत किया गया।

यूपी में 7.3 परसेंट लोग चपेट में

आरएसएसडीआई के आर्गेनाइजिंग चेयरमैन डॉ। बृजमोहन ने रिसर्च को प्रस्तुत करते हुए बताया कि 2014 में यूपी डायबिटीज एसोसिएशन की ओर से 19 डॉक्टर्स के नेतृत्व में गठित टीमों ने प्रदेश के 11 जिलों में प्रदेश में डायबिटीज रोगियों की जानकारी के लिए रिसर्च की। जिसमें यह तथ्य निकल कर सामने आए। रिसर्च 70 परसेंट शहरी और 30 परसेंट ग्रामीण लोगों को शमिल किया गया था। डॉक्टर्स की टीमों ने डोर टू डोर जाकर लोगों की जांच की। सर्वे में 18 वर्ष से ज्यादा की उम्र के लोगों को शामिल किया गया था। रिसर्च में निकल कर आया कि ओवर आल यूपी में लगभग 7.3 परसेंट लोग डायबिटीज से ग्रसित हैं। इसमें यह भी निकलकर आया कि 30 से 50 की उम्र के 6.9 परसेंट, 30 की उम्र से नीचे के दो परसेंट, 50 से 75 की उम्र के 11.7 परसेंट और 75 की उम्र से अधिक के 10.7 परसेंट लोग डायबिटीज की चपेट में हैं।

देवरिया सबसे कम, सुल्तानपुर में सबसे ज्यादा

रिसर्च में पता चला कि सुल्तानपुर में सबसे ज्यादा संख्या में लोग डायबिटीज से ग्रसित हैं। यहां पर 8.9 परसेंट लोगों को डायबिटीज की बीमारी है। साथ ही गोरखपुर के 8.8, कानपुर के 8.3 और लखनऊ के 8.2 परसेंट लोगों में डायबिटीज की समस्या है। डॉ। बृजमोहन ने बताया कि इससे भी बड़ी समस्या यह सामने आई कि जितने लोगों को अभी डायबिटीज है उससे दोगुने से अधिक लोग डायबिटीज बनने की बार्डर लाइन पर हैं। जिन्हें रोगी बनने से बचाया जा सकता है। इसमें युवाओं की संख्या ज्यादा है। क्योंकि इस वर्ग में एक्सरसाइज की कमी और जंक फूड का प्रचलन बढ़ रहा है। डॉ। ब्रज मोहन ने बताया कि यूपी को डायबिटीज फ्री बचाने के लिए जरूरी है कि हर व्यक्ति आधे घंटे का व्यायाम जरूर करे।

कई गुना बढ़ी समस्या

डॉ। बृजमोहन के अनुसार आईसीएमआर की ओर से 1972 में पहली बार डायबिटीज के लिए शोध किया गया था। जिसके अनुसार 2.1 परसेंट शहरी और 1.5 परसेंट रूरल पापुलेशन डायबिटीज से पीडि़त थी। जबकि चेन्नई में 1989 से 1995 के बीच हुई स्टडी में यह कई गुना अधिक बढ़ चुकी थी। अब यह डाटा निकल कर आया है। जिससे पता चला है कि अब शहरों और गांवों के मामले के बीच दूरी कम हो रही है। डायबिटीज ही दूसरी बीमारियों के होने का भी कार ण बन रही है।

इन डॉक्टर्स की टीम ने किया शोध

इस शोध में प्रमुख रूप से डॉ। नरसिंह वर्मा, डॉ। शिवेंद्र सिंह, डॉ अनुज महेश्वरी, डॉ। कमलाकर त्रिपाठी, डॉ। दीपक गौतम, डॉ। विपिन श्रीवास्तव, डॉ। दीपक यागनिक, डॉ आरआर सिंह, डॉ। आलोक कुमार गुप्ता, डॉ। वीरेश नागरथ, डॉ। वीरेंद्र सिंह, डॉ। आरए वर्मा, डॉ। ओमकुमारी गुप्ता, डॉ। अतुल कुलश्रेष्ठ, डॉ। मृदुल चतुर्वेदी, डॉ। एनके सोनी, डॉ। पंकज अग्रवाल, डॉ। नंदिनी रस्तोगी और डॉ। बृजमोहन शामिल थे।

कहां कितने रोगी

आगरा- 6 परसेंट

देवरिया 2.6 परसेंट

फैजाबाद 5.8 परसेंट

गाजियाबाद- 7.5 परसेंट

गोरखपुर-8.8 परसेंट

झांसी- 6.8 परसेंट

कानपुर-8.3 परसेंट

लखनऊ-8.2 परसेंट

नोयडा- 7 परसेंट

सुल्तानपुर- 8.9 परसेंट

वाराणसी-7.5 परसेंट