दैनिक जागरण आई नेक्स्ट एक्सक्लूसिव

- यूनियन बैंक में लॉकर्स में सेंधमारी के मामले में पुलिस बैंक में लगे कैमरों की पुरानी फुटेज को भी खंगालने में जुटी

- पुलिस को पुरानी फुटेज से मिले अहम सुराग, 36 लोगों को उठाकर शुरू की पूछताछ, जल्द खुल सकता है मामला

KANPUR :

किसी ने सच ही कहा है कि अपराधी कितना भी शातिर क्यों न हो, लेकिन अपने पीछे कोई न कोई सुराग वो जरूर छोड़ जाता है। यशोदानगर में यूनियन बैंक में चोरी करने वाले गैंग के 'शातिरों' के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है। पुलिस को अपनी पड़ताल के दौरान कई अहम सबूत हाथ लगे हैं। बैंक में लगे सीसीटीवी कैमरे की हार्डडिस्क से पुलिस को कुछ फुटेज मिले हैं। दरअसल गैंग के मेंबर्स ने बेहद शातिराना अंदाज में वारदात को अंजाम दिया, लेकिन इस गैंग के शातिरों ने कई गलतियां की हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट टीम ने मंडे को बैंक के आसपास के एरिया में पड़ताल की। पड़ताल में ऐसी 7 'गलतियां' सामने आई। जिनपर पुलिस जांच हो तो शातिर उनकी गिरफ्त में होंगे। पुलिस सूत्रों की मानें तो कुछ ऐसे ही सुराग उनके हाथ भी लगे हैं जिनकी मदद से पुलिस और एसटीएफ मिलकर बहुत जल्द गैंग को पकड़ सकती है। आइए आपको बताते हैं कि शातिरों से कौन कौन से सुराग छूट गए हैं?

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1. वारदात के बाद पुलिस और एसटीएफ ने बैंक की पड़ताल की तो बैंक की गैलरी की विंडो खुली थी। जिसको चोरों ने काटा था। इसके अलावा बैंक की सभी विंडो और गेट बंद थे। इसी विंडो से पुलिस को शातिर के बारे में पहला सुराग मिला है, लेकिन अभी इस सुराग को पुलिस शेयर नहीं कर रही है। खुद एसएसपी ने डॉग स्क्वॉयड को बुलाकर जांच कराई थी।

2. घटना के बाद मौके पर पहुंचा खोजी कुत्ता बैंक के अंदर घूमने के साथ ही बाहर स्थित एटीएम बूथ पर भी गया था। इससे शातिरों के एटीएम बूथ पर जाने की पुष्टि हो गई। पुलिस भी मानती है कि यह शातिर की दूसरी गलती है। इससे जुड़े कई महत्वपूर्ण सुराग पुलिस को मिले हैं। जिनके सहारे वो शातिरों तक पहुंच जाएगी।

3. शातिरों ने सीसीटीवी कैमरे की डीबीआर को साथ न ले जाकर तीसरी गलती की है। क्योंकि जिस तरह से घटना को अंजाम दिया गया है, उससे साफ है कि गैंग का कोई न कोई मेंबर वारदात से पहले कई बार बैंक आया है। इस दिशा में भी पुलिस अपनी जांच कर रही है।

4. कोई 'अपना' भी शक के घेरे में है। पुलिस और एसटीएफ अफसरों का मानना है कि गैंग के शातिरों को बैंक के लॉकर रूम से लेकर कैशियर, बैंक मैनेजर और सर्वर रूम तक की जानकारी थी। पुलिस और एसटीएफ का मानना है कि किसी न किसी बैंक कर्मी ने ही शातिरों की मदद की थी।

5. शातिरों ने पहचान छुपाने के लिए बैंक में घुसते ही सीसीटीवी कैमरों को तोड़ दिया था, लेकिन कैमरों की डीबीआर में वारदात से पहले की फुटेज कैद है। अब एसटीएफ और पुलिस को पुरानी फुटेज से कई लोगों का सुराग मिला है जोकि इस मामले से कहीं न कहीं जरूर जुड़े हैं।

6. दो और कैमरों से पुलिस को बड़े सुराग मिले हैं। बैंक में सुरक्षा के लिए कई कैमरे लगे हैं। इसमें एक कैमरा स्ट्रांग रूम के पास लगा है। यह कैमरे स्ट्रांग रूम में जाने वाले एरिया को कवर करते हैं। पुलिस और एसटीएफ का मानना है कि पेशेवर शातिरों ने वारदात को अंजाम दिया है।

7. एसटीएफ अब बैंक के सीसीटीवी कैमरे की हार्ड डिस्क की एक महीने की सभी फुटेज खंगाल रही है। कई घंटों की मशक्कत के बाद एक 'शातिर' की पहचान पुलिस ने कर ली है। वो शातिर वारदात के पहले या बाद में एटीएम बूथ पर गया था। शातिरों ने पहचान छुपाने के लिए बैंक के सीसीटीवी कैमरों को तोड़ दिया था, लेकिन एटीएम बूथ का कैमरा सही सलामत है।

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पुलिस ने 36 लोगों को उठाया

यशोदानगर में यूनियन बैंक से करोड़ों की चोरी के मामले में पुलिस के साथ एसटीएफ ने पड़ताल शुरू कर दी। पुलिस ने शक के आधार पर 36 से ज्यादा लोगों को उठाकर पूछताछ शुरू कर दी, जबकि एसटीएफ अभी जानकारी जुटा रही है। जबकि एसटीएफ साइंटिफिक तरीके से अभी यह पता लगाने में जुटी है कि दो दिन बैंक के आसपास किसका-किसका मूवमेंट था। इसके लिए एसटीएफ मोबाइल डाटा टावर फिल्टरेशन का यूज कर रही है। इसके अलावा एसटीएफ की एक टीम बैंक कर्मियों की कुंडली के साथ ही उनके सीडीआर (कॉल डाटा रिकार्ड) को खंगाल रही है।