- जानकीपुरम में मेडिकल स्टोर संचालक की हत्या का मामला

- पत्नी ने खुलासे और सीबीआई जांच के लिए बांटे थे पर्चे

- दो थाना प्रभारी बदल चुके, अब तक नहीं मिला कोई सुराग

LUCKNOW :

मेडिकल स्टोर संचालक मुकेश मर्डर केस के 87 दिन बाद भी पुलिस हत्यारों को तो दूर हत्या की वजह भी तलाश नहीं कर पाई है। 87 दिन में दो थाना प्रभारी बदल चुके हैं। लेकिन पुलिस के लिए यह केस अभी भी एक पहेली बना हुआ है। पुलिस की जांच घूम फिर कर परिवार के सदस्यों की बीच आकर रुक जा रही है।

27 जुलाई को हुई थी हत्या

केंद्रीय बिहार जानकीपुरम निवासी मंगल प्रसाद मिश्रा के बेटे मुकेश की 27 जुलाई को जानकीपुरम विस्तार के बीरांगना चौराहे पर कार से घर लौटते समय दो बाइक्स पर सवार चार लोगों ने गोलियां मारकर हत्या कर दी थी।

पत्‍‌नी ने बांटे थे पर्चे

मुकेश की हत्या के खुलासे की मांग को लेकर पत्नी ने लोगों से समर्थन मांगने के लिए पर्चे बांटे थे। पुलिस से भरोसा उठने पर अब वह हत्याकांड की सीबीआई जांच चाहती है। वहीं पुलिस इस केस में अभी तक उलझी हुई है। पुलिस का मानना है कि हत्या की साजिश करीबी लोगों ने ही रची है।

घात लगाकर बैठे थे शूटर

मुकेश और एक अन्य भाई की जानकीपुरम में आस-पास ही मेडिकल स्टोर शॉप है। जबकि घटना स्थल से चंद कदम की दूरी पर मुकेश की पत्नी सारित का ब्यूटी पार्लर है। पुलिस का कहना है कि एक किमी के भीतर ही उसकी हत्या इस बात की तरफ इशारा कर रही है कि शूटर पहले से घात लगाकर बैठे थे। मुकेश की हत्या भाड़े के हत्यारों से कराई गई।

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कहीं पारिवारिक मामला तो नहीं

पुलिस का दावा है कि मुकेश मर्डर केस परिवार के सदस्यों के बीच उलझा है। परिवार का कोई सदस्य इस पर खुलकर बात नहीं कर रहा है। इंस्पेक्टर अमरनाथ वर्मा ने बताया कि हत्याकांड के खुलासे के लिए टीम लगी है। मृतक के परिजन सहयोग नहीं कर रहे हैं। इसलिए देर हो रही है।