-पशु तस्करों के आगे पुलिस ने किया सरेंडर

- अब तक सिर्फ ड्राइवरों और खलासी पर ही कार्रवाई

- बंगाल तक जाते हैं गोरखपुर के जानवर

GORAKHPUR: पशु तस्करी को रोकने का कागज में दावा करने वाली गोरखपुर पुलिस जमीन पर फेल हो गई है। या यूं कहिए कि तस्करों के सामने पुलिस ने सरेंडर कर दिया है। तभी तो पब्लिक के दबाव पर कभी-कभी पुलिस कार्रवाई तो करती है, लेकिन यह सिर्फ ड्राइवरों और खलासी को पकड़ने के बाद फाइल को बंद कर देती है। इससे करोड़ों का कारोबार धड़ल्ले से हो रहा है। आंकड़े बताते हैं कि 2016 से सितंबर 2017 तक अब तक पशु तस्करी के 23 मामले दर्ज किए गए, लेकिन इसमें से किसी भी सरगना को नहीं पकड़ा गया। सिर्फ ड्राइवर और खलासी को पकड़कर जेल भेज दिया गया। जानकारों के अनुसार, करीब नौ करोड़ रुपए प्रति महीने का काराेबार है।

पुलिस की लापरवाही

बताया जाता है कि एक साल पूर्व 33 थाना क्षेत्रों में पशुओं की तस्करी के रास्ते चिह्नित किए गए थे। उन रास्तों पर रोजाना बैरियर लगाकर चेकिंग के निर्देश दिए थे। लेकिन पुलिस की लापरवाही से रोजाना तस्कर लाखों रुपए कीमत वसूलकर पशुओं को बार्डर करा दे रहे हैं।

आसानी से बंगाल पहुंच जाते पशु

शहर से होकर बिहार होते हुए पशुओं को पश्चिम बंगाल तक पहुंचाया जाता है। गाय-बैल और बछड़ों को कम दामों में खरीदकर तस्कर आसानी से बिहार पहुंचा देते हैं। बिहार से लेकर बंगाल तक जाने में पशुओं की कीमत बढ़ती चली जाती है। पशु तस्करी के लिए गोरखपुर, महराजगंज, कुशीनगर और देवरिया जिलों में कुल 17 रास्तों को चिह्नित किया गया था जिनसे पशुओं से लदे वाहन आसानी से गुजर जाते हैं। पशुओं को गोपालगंज, सीवान, मऊ, नेपाल, संतकबीर नगर और सिद्धार्थनगर ले जाने के लिए पगडंडियों का इस्तेमाल किया जाता है।

सरगना तक नहीं पहुंचती पुलिस

2016 से लेकर सितंबर 2017 तक गोरखपुर में पशुओं की तस्करी के करीब 23 मामले पकड़े गए हैं। इन सभी मामलों में सिर्फ ट्रक ड्राइवर और खलासी ही पुलिस के हाथ लग सके। दिसंबर 2016 में सहजनवां एरिया में फोरलेन पर पुलिस ने पशुओं से लदा ट्रक पकड़ा था। इस कारोबार में शामिल कोई सरगना और मुख्य कारोबारी हाथ नहीं लग सका। एक साल पूर्व कुशीनगर जिले के पशु तस्करों ने शाहपुर से लेकर गुलरिहा एरिया में पुलिस कर्मचारियों को कुचलकर मारने का प्रयास किया था। पुलिस से जुड़े लोगों का कहना है कि पशुओं की बरामदगी की प्रक्रिया काफी टिपिकल है। उनकी देखभाल और रख-रखाव का इंतजाम न होने से इच्छुक लोगों को पशु सौंप दिए जाते हैं। कोर्ट की प्रक्रिया में पशुओं की फोटो शामिल की जाती है।

हर महीने नौ करोड़ का कारोबार

हाइवे से गुजरने वाले पशु लदे वाहन -15 से 20 वाहन

हर वाहन में छोटे-बड़े पशुओं की तादाद- 35 से 40

पशुओं की औसत कीमत- तीन से पांच हजार

एक ट्रक में लदने वाले कुल पशुओं की कीमत- 2 लाख

रोजाना पशुओं की तस्करी में होने वाला कारोबार- 30 से 40 लाख रुपए

नोट- पुलिस विभाग के अनुसार संख्या और दर औसतन तय की गई है।

10 गुना कीमत में बेचते पशु

गोरखपुर में पकड़े गए पशु कैरियरों से पूछताछ में सामने आया कि एक पशु की बिक्री में कम से कम 10 गुना फायदा होता है। बलरामपुर, गोंडा, फैजाबाद सहित कई जगहों से पशुओं को लादकर कैरियर बिहार के गोपालगंज में पहुंचा देते हैं। तिरपाल के भीतर ट्रकों में लदे पशुओं का नेचुरल काल बाहर नहीं गिरने दिया जाता है। इस वजह से चेकिंग के दौरान पुलिस ट्रकों पर ध्यान नहीं देती। पशु तस्करी में इस्तेमाल होने वाले ट्रक का भाड़ा करीब 50 हजार ट्रिप तय किया जाता है।

आवारा पशु भी हैं निशाने पर

पशु तस्करों के निशाने पर आवारा पशु भी होते हैं। मार्च में गोला एरिया में पीछा करने पर तस्कर वाहन को छोड़कर भाग गए थे। उस समय कुछ लोगों ने बताया था कि रात में सड़क किनारे एक वाहन रुका था। कुछ लोग खेतों में चर रहे पशुओं को जबरन पिकअप में लाद रहे थे। इसके पूर्व चिलुआताल एरिया के महेसरा में भी ऐसा मामला पकड़ा जा चुका है। एक साल पूर्व महेसरा के पास खाली पड़े प्लाट में पशुओं को इकट्ठा करने वालों को पब्लिक ने पकड़ा था। लेकिन तब पुलिस ने मामले में गंभीरता नहीं दिखाई थी। कुसम्ही जंगल से भी आवारा पशुओं को गाडि़यों में लादकर दूसरी जगहों पर ले जाने की शिकायतें पुलिस को मिल चुकी हैं।

इस जिले में यहां से गुजरते वाहन

गोरखपुर-गोरखपुर में सहजनवां, बेलीपार, खजनी, गगहा, गोला, बड़हलगंज और चिलुआताल के रास्ते से पशु लदे वाहन गुजरते हैं।

देवरिया- कोतवाली, भाटपाररानी, गौरीबाजार, बरहज, तरकुलवा, सलेमपुर, बघौचघाट, बनकटा, खुखुंद, मईल, लार चर्चित इलाके हैं।

महराजगंज- फरेंदा, घुघुली, बृजमनगंज, कोठीभार, कोल्हुई, श्यामदेउरवा थाना क्षेत्रों से पशुओं की तस्करी होती है।

कुशीनगर- विशुनपुरा, हाटा, बरवापट्टी, बहादुर, तरयासुजान, खड्डा, कोतवाली पडरौना, नेबुआ नौगरियां, समुई, पटहेरवा को इस्तेमाल किया जाता है।

ये हैं तस्करी के रास्ते

गोरखपुर-सहजनवां, बड़हलगंज, गोला

सहजनवां, कुशीनगर फोरलेन-हाटा

बड़हलगंज-पटना मार्ग-गगहा

कपरवारघाट-बरहज बाजार

बनकटा से रामपुर बुजुर्ग होकर

देवरिया-कोतवाली से करौंदी रोड

कुशीनगर से नेशनल हाइवे

मईल, लार से होकर मेहरौना घाट

बघौचघाट से पकहाघाट होते हुए

खड्डा-नेबुआ नौरंगिया- मंसाछापर

पटहेरवा के पिपरा से होते हुए समऊर बाजार मार्ग

टेकुआटार- खैरटरवा मार्ग

गंगुआ, मठिया में गांवों के कच्चे रास्ते

कोठीभार सबया ढाला होते हुए कप्तानगंज तक

बृजमनगंज-सिद्धार्थनगर-फरेंदा रोड-कोल्हुई

यह होनी थी कार्रवाई

-पशु तस्करी के चिह्नित जगहों पर बैरियर लगाकर चेकिंग

-पशु तस्करी में शामिल, संरक्षण देने वाले पुलिस कर्मचारियों पर कार्रवाई

- पशुओं की तस्करी के पांच साल के रिकार्ड को दुरुस्त करके कार्रवाई

- पशु तस्करी करने वालों के खिलाफ हिस्ट्रीशीट खोलने का निर्देश

- पशुओं तस्करों का गैंग तलाशकर उनके खिलाफ गैंगेस्टर

- सिपाहियों के बीट बुक में तस्करों और व्यापारियों की जानकारी

- नेपाल और बिहार बार्डर पर खास निगहबानी करते हुए रोजाना जांच-पड़ताल

- पशुओं के बाजार, हाट-मेले का निरीक्षण करते हुए रिपोर्ट तैयार कराना

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पशुओं की तस्करी रोकने के लिए निर्देश जारी किए जा चुके हैं। चिह्नित जगहों पर बैरियर लगाकर चेकिंग कराने को कहा गया था। यदि कहीं पर कोई मामला पकड़ा तो संबंधित पुलिस अधिकारियों की लापरवाही मानी जाएगी। पशु तस्करी में शामिल लोगों की हिस्ट्रीशीट खोलने, गैंगेस्टर की कार्रवाई करने को कहा गया है। जल्द इसकी समीक्षा की जाएगी।

मोहित अग्रवाल, आईजी