RANCHI : राजधानी रांची हर दिन जाम से परेशान रह रही है। संकरी सड़कें और साल-दर-साल बेहिसाब वाहनों के बढ़ते बोझ से राजधानी की सड़कें 'कराह' रही है। दरअसल, पिछले एक दशक के दौरान जिस रफ्तार से यहां वाहनों की संख्या बढ़ी है, उस हिसाब से यहां की सड़कों का न तो चौड़ीकरण हुआ और न ही नई सड़कों का जाल बिछा। वैसे, शहर को जाम फ्री करने के लिए ट्रैफिक सिस्टम को लेकर कई एक्सपेरिमेंट किए गए, लेकिन उसका कोई बेहतर परिणाम नहीं निकला। ट्रैफिक कर्मियों के तमाम प्रयासों के बाद भी राजधानी की महत्वपूर्ण सड़कों पर हर दिन हर पहर घंटों जाम लग रहा है और पब्लिक इसे झेलने को मजबूर है।

10 परसेंट की दर से बढ़ रहे वाहन

इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांसपोर्टेशन एंड डेवलपमेंट पॉलिसी (आईटीडीपी) के रिपोर्ट पर गौर फरमाएं तो राजधानी रांची में बढ़ रही आबादी से कई गुना ज्यादा रफ्तार से वाहनों की संख्या बढ़ रही है। यहां हर साल 3 परसेंट की रेट से आबादी बढ़ रही है, जबकि वाहनों की संख्या में वृद्धि की रफ्तार 10 परसेंट है। ऐसे में वाहनों का यह बोझ कहीं न कहीं शहर को जाम करने में महत्वपूर्ण रोल अदा कर रहा है।

9 साल में बढ़े 6 लाख वाहन (बॉक्स)

जिला प्रशासन के आंकड़ों के अनुसार, पिछले नौ सालों में करीब 6 लाख नए दोपहिया व चार पहिया वाहनों का रजिस्ट्रेशन हुआ है। वर्तमान में राजधानी की सड़कों पर करीब 9 लाख वाहनों का बोझ है, जबकि बामुश्किल दो हजार वाहनों की ही पार्किंग का इंतजाम है। ऐसे में लोग रोड किनारे गाडि़यां खड़ी करने को मजबूर हैं, जिस वजह से भी शहर को जाम से निजात नहीं मिल रही है।

36 परसेंट लोग चलते हैं पैदल

आइटीडीपी की रिपोर्ट के मुताबिक, राजधानी में 44 प्रतिशत लोग पैदल, साइकिल या रिक्शा से चलते हैं। इनमें 36 फीसदी लोग ऐसे हैं, जो केवल पैदल चलते हैं। इसके अलावा पांच प्रतिशत लोग कार, 30 प्रतिशत लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट अथवा ऑटो और 20 प्रतिशत लोग बाइक से चलते हैं। इतना ही नहीं, 90 प्रतिशत महिलाएं पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करती हैं।

900 बसों की जगह 90 बसें

आइटीडीपी की रिपोर्ट के अनुसार, रांची नगर निगम क्षेत्र में 900 पब्लिक बसें होनी चाहिए, जबकि यहां केवल 90 से भी कम पब्लिक बस ही चल रही हैं। इसका असर यह होता है कि लोग अपने निजी वाहन कार या बाइक का इस्तेमाल करते हैं और सड़क पर ट्रैफिक लोड बढ़ता जाता है।

कार वालों पर मेहरबानी क्यों?

पैदल या साइकिल से चलनेवाले 44 प्रतिशत लोगों के बारे में कभी कुछ नहीं सोचा जाता है। जो कट बंद किये गये हैं, वह भी कार वालों के ध्यान में रखते हुए किये गये हैं। सवाल तो यह है कि पैदल चलनेवाले किधर से जाएंगे। इंडियन रोड कांग्रेस के अनुसार हर 150 से 200 मीटर की दूरी पर पैदल चलने वालों के लिए क्रॉस होना चाहिए।