- बीमा घोटाले के लिए महिलाओं की बच्चेदानी निकालने का मामला

- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने डीजीपी से तीन माह में जांच रिपोर्ट मांगी

PATNA: बीमा घोटाला के लिए महिलाओं की बच्चेदानी निकालने के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने

राज्य के गृह सचिव आमिर सुबहानी और डीजीपी पीके ठाकुर को कड़ी फटकार लगाते हुए तीन माह में रिपोर्ट देने की चेतावनी दी है। पिछले दिनों पटना में मानवाधिकार हनन के मामलों की खुली सुनवाई के दौरान राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की पूर्णपीठ ने गंभीरता से लिया। आयोग के अध्यक्ष व देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू ने दोनों अफसरों को फटकार लगाते हुए कहा कि जिन महिलाओं का गलत ऑपरेशन कर बीमा राशि की बंदरबांट की गई, उनके खिलाफ तो केस दर्ज कर लिया गया लेकिन उन डॉक्टरों व अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई जो दोषी हैं।

- सवाल कौन है बीमा घोटाले का मास्टरमाइंड

महिलाओं का गलत ऑपरेशन कर बीमा राशि हड़पने का मास्टर माइंड कौन है इस सवाल का जवाब नहीं मिल पा रहा है। बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग ने भले ही घोटाला की पीडि़त महिलाओं को मुआवजा दे दिया हो लेकिन इस घटना का जिम्मेदार कौन है इसका खुलासा नहीं हो पाया है। आयोग का मानना है कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की भूमिका काफी संदिग्ध है और सरकारी विभागों ने भी जांच में सहयोग नहीं किया है।

- घोटाले को लेकर तैयार था प्लान

राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना की राशि हड़पने के लिए फर्जी डॉक्टरों व निजी अस्पतालों ने न केवल गरीब महिलाओं का गलत ऑपरेशन किया बल्कि सैकड़ों महिलाओं की बीमा राशि का भी बंदरबांट कर लिया है। कई ऐसी महिलाएं भी हैं जिनकी सर्जरी नहीं हुई लेकिन बीमा राशि निकाल ली गई है। बिहार मानवाधिकार आयोग ने कुल क्म्8 महिलाओं के लिए अभी भी मुआवजे की राशि तय नहीं की है जिनकी बेवजह बच्चेदानी निकाल ली गई है।

- सरकारी रिपोर्ट में भी बड़ा गोलमाल

सरकार की तरफ से आयोग को भेजी गई रिपोर्ट में क्म्8 महिलाओं की बच्चेदानी निकाले जाने की बात तो कही गई है लेकिन उनकी उम्र का जिक्र रिपोर्ट में नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस संबंध में राज्य के विभिन्न जिलों में कुल क्ख्फ् मुकदमे दायर किए गए हैं, लेकिन इन मुकदमों के संबंध में आयोग को कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई है। आयोग ने राज्य सरकार को इन मुकदमों के बारे में आयोग के समक्ष स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। इतना ही नहीं इस मामले में किसी दोषी को चिन्हित नहीं किए जाने पर चिंता जताई गई है।