जस्टिस नासिरुल मुल्क की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट के सात सदस्यीय खंडपीठ ने गुरुवार को प्रधानमंत्री के खिलाफ दायर अदालत के अवमानना के मामले की सुनवाई की।

अदालत ने अपना संक्षिप्त फैसला सुनाते हुए प्रधानमंत्री को दोषी करार दिया और कहा कि जानबूझ कर अदालत की उपेक्षा की गई है। अदालत ने अपने फैसले में आगे कहा कि फैसलों पर अमल न कर अदालत की खिल्ली उड़ाई गई है।

फैसले में यह बात स्पष्ट नहीं है कि क्या प्रधानमंत्री अदालत की अवमानना के मामले में सजा के बाद अयोग्य हो सकते हैं या नहीं। अदालत ने कहा कि इस मामले में यूसुफ रजा गिलानी को तब तक सजा है जब तक अदालत की कार्रवाई खत्म नहीं होती। अदालत की कार्रवाई करीब छह मिनटों तक चली इसी तरह प्रधानमंत्री को करीब दो मिनट की सजा मिली।

माई लॉर्ड मैं

इस बीच, अदालत की कार्रवाई के दौरान प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने खड़े हो कर दो बार कहा कि ‘माई लॉर्ड मैं कुछ अर्ज़ करना चाहता हूँ’। लेकिन अदालत ने प्रधानमंत्री को सुने बिना कार्रवाई स्थागित तक दी।

अदालत के फैसले को सुनने के लिए प्रधानमंत्री गिलानी पैदल चल कर अदालत पहुंचे थे। गिलानी की अदालत में पेशी के चलते कोर्ट परिसर और आस पास के इलाकों में सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए गए थे।

अदालत की कार्रवाई खत्म होने के बाद प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी मुस्कराते हुए अदालत से बाहर आए और सबका अभिवादन किया। उस दौरान पीपुल्स पार्टी के कार्यकर्ताओं ने उनके समर्थन में नारे भी गए।

वरिष्ठ वकील राजा आमिर अब्बास ने पत्रकारों को बताया कि अदालत ने प्रधानमंत्री को दोषी करार दिया है और अब अदालत का अधिकार है कि वह प्रधानमंत्री की अयोग्यता के लिए चुनाव आयोग कहती है या नहीं।

अदालती फैसले के बाद सूचना मंत्री फिरदौस आशिक आवान ने कहा कि उनकी पार्टी की लीगल सेल अदालत के फैसले का अध्ययन करेगी और उसके बाद ही पार्टी कोई प्रतिक्रिया देगी।

जस्टिस नासिरुल मुल्क की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की सात सदस्यीय खंडपीठ ने कुछ दिन पहले इस मामले में फैसला सुरक्षित करते हुए 26 अप्रैल को फैसला सुनाने की घोषणा की थी और उसी दिन प्रधानमंत्री को अदालत में पेश में होने का आदेश दिया था।

पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार किसी प्रधानमंत्री के खिलाफ अदालत की अवमानना के मामले की कार्रवाई अंतिम रुप में पहुँची है। इसे पहले, जुल्फिकार अली भुट्टो और नवाज शरीफ के खिलाफ अदालत की अवमानना के मामले दर्ज हो चुके हैं लेकिन उन दोनों के खिलाफ अभियोग लागू नहीं किया गया था।

अभियोग

युसुफ रजा गिलानी पर आरोप था कि उन्होंने राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ दायर भ्रष्टाचार के मामले खोलने के लिए स्विस अधिकारियों को अदालत के आदेश के बावजूद पत्र न लिख कर अदालत की अवमानना की है।

लेकिन गिलानी कई बार कह चुके हैं कि आसिफ अली जरदारी जब तक राष्ट्रपति पद पर हैं, तब तक उनके खिलाफ कोई मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।

प्रधानमंत्री गिलानी ने स्विटरजरलैंड से राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के एक मामले की दोबारा जांच शुरू करने का आवेदन नहीं किया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने गिलानी के विरुद्ध अवमानना की कार्यवाही शुरू की थी।

राष्ट्रपति आसिफ़ अली ज़रदारी और उनकी दिवंगत पत्नी व पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो को साल 2003 में स्विटजरलैंड की एक अदालत ने करोड़ो डॉलर की हेराफेरी का दोषी पाया था।

ये मामला उस समय का था जब बेनजीर भुट्टो सत्ता में थीं। वर्ष 2008 में बेनजीर भुट्टो के खिलाफ बहुत से मामले बंद कर दिए गए थे, जिसकी वजह से वे चुनावों में भाग लेने के लिए पाकिस्तान आ पाई थीं।

इसके कुछ समय बाद ही उनकी हत्या हो गई थी। लेकिन वर्ष 2009 में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने इन मामलों को बंद करने के आदेश को असंवैधानिक करार दिया था।

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