- चंद घंटों की कार्यवाही में सिमटकर दम तोड़ दिया रिहायशी इलाकों में अवैध फैक्ट्रियों के खिलाफ अभियान एक दिन बाद हुआ फुस्स

- रेजीडेंशियल एरिया में पॉल्युशन फैलाने वाली फैक्ट्रियों को सील करने के लिए डीएम ने गठित थीं आठ टीमें

- अवैध रूप से संचालन के अलावा बिजली चोरी करने पर 28 यूनिट्स की गई थीं सील

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KANPUR : हाईकोर्ट के आदेशों के बाद रिहायशी इलाकों में अवैध फैक्ट्रियों को बंद करवाने संबंधी 'ईको-फ्रेंडली' अभियान ने एक दिन में ही दम तोड़ दिया। छह विभागों के दर्जनों अफसरों की हीलाहवाली की वजह से लाखों की आबादी मजबूरी में पॉल्युशन भरी आबोहवा में सांस लेने को मजबूर है। हालांकि, विभागीय सोर्सेज की मानें तो बिजली चोरी रोको अभियान के दौरान जिस तरह टीमों का घेराव हुआ था। उससे विभागीय अफसरों में दहशत है। इसीलिए अतिसंवेदनशील इलाकों में बड़े पैमाने पर अवैध रूप से संचालित फैक्ट्रियों को बंद करवाने की हिम्मत अफसर जुटा नहीं पा रहे हैं।

पॉल्युशन की रोकथाम को

हाईकोर्ट के फरमान के बाद शहर में अवैध ढंग से संचालित फैक्ट्रियों के खिलाफ जोर-शोर से अभियान छेड़ा गया था। डीएम डॉ। रोशन जैकब के निर्देश पर छह विभागों के दर्जनों अफसरों की कुल 8 टीमें गठित की गई थीं। क्ब् मार्च को इन टीमों ने अभियान शुरू किया। विभिन्न इलाकों में छापेमारी के दौरान ख्8 औद्योगिक इकाइयां सील की गईं। मगर, यह अभियान चंद घंटों बाद ही धाराशायी हो गया। अगले दिन से कहीं भी छापेमारी नहीं की गई।

धड़ल्ले से अवैध संचालन

हाईकोर्ट के आदेशों के बाद संयुक्त टीमों में जिला प्रशासन के अलावा नगर निगम, केडीए, पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड, जलसंस्थान, केस्को विभाग भी शामिल हैं। पर चमनगंज, बेकनगंज, दादामियां, बाबूपुरवा आदि विभिन्न संवेदनशील इलाके ऐसे हैं। जहां आज भी फैक्ट्रियां संचालित हैं। इन इलाकों में घुसने की हिम्मत संयुक्त जांच टीमें भी नहीं कर पा रही हैं। एक अफसर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि 'बिजली चोरी अभियान' के तहत एक बार घिर चुके हैं। भीड़ को संभालने के लिए मौके पर उपलब्ध पुलिस फोर्स भी कम पड़ जाती है। जिससे हालात बेकाबू होने का खतरा रहता है।

बिना रजिस्ट्रेशन के

रिहायशी इलाकों में अवैध ढंग से संचालित फैक्ट्रियों की वजह से इलाकाई लोग त्रस्त हैं। इनकी वजह से वहां अतिक्रमण, बिजली चोरी और पॉल्युशन का लेवल भी काफी बढ़ा हुआ है। हाईकोर्ट ने मामले को संज्ञान में लेकर इन अवैध प्रतिष्ठानों को बंद करके कार्यवाही के फरमान सुनाया था। इस आदेश के बाद डीएम डॉ। रोशन जैकब ने आठ टीमें बना कर छापेमारी शुरू कराई। कुल ख्8 फैक्ट्रियों में बड़े पैमाने पर बिजली चोरी पकड़ी गई। फैक्ट्री मालिक पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड की एनओसी भी नहीं दिखा सके। इन सभी फैक्ट्रियों को सील कर दिया गया।

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आखिर अभियान रोकने क्या वजह

महज एक दिन अभियान चलाकर हाईकोर्ट के आदेशों की इतिश्री करने के पीछे असली वजह को लेकर तरह-तरह की कयासबाजी भी चल रही है। विभागीय सोर्सेज के अनुसार बिजली चोरी रोकने संबंधी अभियान में जिस तरह टीम का घेराव किया गया था। उसे लेकर अफसर काफी डरे-सहमें हुए हैं। इसीलिए अतिसंवेदनशील इलाकों में जाने की हिम्मत विभागीय अफसर नहीं जुटा पा रहे हैं। दूसरी तरफ कुछ विभाग ऐसे भी हैं जिनके अफसरों को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से अवैध फैक्ट्रियां संचालित करवाने के नाम पर हर महीने 'सुविधा शुल्क' पहुंचता रहता है। इसीलिए मिलीभगत करके इस अभियान को एक दिन चलाने के बाद बंद कर दिया गया।

ø यह अभियान एक दिन के लिए नहीं था। इन दिनों त्योहारों की वजह से काफी व्यस्तता रही। इसलिए एक दिन की समय सीमा निर्धारित नहीं था।

- आरपी त्रिपाठी, एसीएम-म्

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ø यह कार्यवाही उन शिकायतों के आधार पर की गई थी। जिन्हें जनता ने जिला प्रशासन को बताई थी। हमारे मजिस्ट्रेट्स ने अपना खुफिया जाल बिछा रखा है। सीलिंग के बाद भी अगर गड़बड़ी की शिकायत मिलती है तो कार्यवाही की जाएगी।

- अविनाश सिंह, एडीएम सिटी

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