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इससे पहले की सूरज अपने नाम के अनुसार यश पाता, अपना प्रकाश फैलाता, उसपर आश्रित परिवार को एक सुदृढ़ आधार दे पाता, जग में अपना नाम रौशन कर पाता उसके जीवन का सूर्य अस्त हो गया। धनबाद का कतरास निवासी सूरज कुमार दसौंदी राज्य पुलिस में बहाल होकर सेवा करना चाहता था। इसके लिये उसने पूरी तैयारी भी कर ली थी, लिखित परीक्षा पास किया, जमकर मेहनत की लेकिन बहाली की दौड़ में जीवन का रेस हार गया।

गिर पड़ा था मैदान में

18 मार्च को रांची में दारोगा बहाली के लिए हो रहे दौड़ के दौरान सूरज कुमार दसौंदी बीच मैदान में ही गिर पड़ा। उसे उठाकर आनन फानन में सदर अस्पताल फिर आर्किड अस्पताल ले जाया गया जहां इलाज के क्रम में उसकी मौत हो गयी। दारोगा बहाली की दौड़ 16 मार्च से 23 मार्च तक चली थी।

लीपापोती का आरोप

18 मार्च की तपती गरमी, कड़ी धूप, भूख की मार और बहाली प्रक्रिया की थकान ने सरज के नाम को बहाली रजिस्टर से हमेशा के लिये काटकर रख दिया। उसकी मौत के बाद विभाग पहले से चौकन्ना और संवेदनशील नजर आने लगा। मामले को पूरी तरह लीप-पोत कर बराबर कर दिया गया और मौत के कारणों के पीछे छुपा दवाब हमेशा के लिये दबकर रह गया।

बंधक की तरह रखती है पुलिस

कै्डिडेट्स ने पुलिस पर अमानवीय व्यवहार बरतने का आरोप लगाया है। सुबह 6 बजे से मैदान में बंधक की तरह दिन भर बैठाना और भूख से बिलबिलाते युवाओं को दौड़ाकर पुलिस सिर्फ कोरम पूरा कर रही है। इस तरह के कई गंभीर आरोप लगाते हुये सीएम रघुवर दास, डीजीपी डीके पांडेय समेत अन्य पदाधिकारियों को लिखित शिकायत की गयी है।

दौड़ के लिए क्या है टाइमिंग

सार्जेट मेजर रांची, टी के झा का कहना है कि जेएसएससी के गाइडलाइन के अनुसार ही सुबह 6 बजे शाम 4 बजे के बीच दौड़ करायी गयी है। लोग शिकायत को स्वतंत्र हैं। इधर, डीआईजी अमोल वेणुकांत होमकर ने कहा कि युवक की मौत का हमें भी दुख है लेकिन पुलिस ने निस्पक्ष तरीके से नियमपूर्वक ही काम किया है।