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एक पत्रकार जिसने किया बॉल प्वाइंट पेन का आविष्कार
बचपन में अगर आप ने दवात और कलम से लिखा है तो आपको पता होगा कि बड़े होते-होते बॉल पेन का बेसब्री से इंतजार होता था। कब हम बड़ें होंगे और कब कापी पर बॉल पेन से लिखने को मिलेगा। जब कभी आप बॉल पेन से कागज पर कुछ लिखते हैं तो सोचा है कैसे इस बॉल पेन का आविष्कार हुआ होगा अगर नहीं तो परेशान होने की जरूरत नही है। हम आपको बताएंगे बॉल पेन के आविष्कार का सच। 

1- इसका आविष्कार हंगरी के एक पत्रकार ने किया था। नाम था लैडिसलाव जोस बीरो। उनका जन्म 29 सितंबर 1899 को हंगरी के बुडापेस्ट में एक यहूदी परिवार में हुआ था। पेशे से वह एक पत्रकार, पेंटर और आविष्कारक थे। आज यानी 29 सितंबर को उनका 117वां जन्मदिन है। 
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2- फाउंटेन पेन के प्रयोग के दौरान बीरो स्याही और धब्बों से परेशान हो जाते थे तब उन्होंने इसका विकल्प तलाशने की सोची। एक बार वह एक अखबार के प्रिंटिग प्रेस में गए और वहां पर तत्काल सूखने वाली स्याही और रोलर देखकर उनको इसे बनाने का विचार सूझा। 
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3- बोरो ने बॉल प्वाइंट पेन बनाने में अपने भाई की मदद ली। शुरुआती असफल प्रयोगों और मशक्कत के बाद वह इसका आविष्कार करने में सफल रहे। उन्होंने अपनी खोज को 'बीरो' नाम दिया। 15 जुलाई 1938 को उन्होंने इसका पेटेंट करा लिया। 1940 में जर्मन नाजी सेनाओं के हंगरी पर आक्रमण होने और यहूदी परिवार से ताल्लुक रखने के कारण बीरो को अपना देश छोड़कर भागना पड़ा। उन्होंने लैटिन अमेरिकी अर्जेंटीना में शरण ली और वहीं पर इस पेन को कमर्शियल उत्पाद के तौर पर बनाना शुरु किया।
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4- ब्रिटेन, आयरलैंड, ऑस्ट्रेलिया और इटली में आज भी इसे बीरो के नाम से ही जाना जाता है वहीं अमेरिका सहित दुनिया के अन्य देशों ने इसे एक नया नाम दिया बॉल प्वाइंट पेन। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश रॉयल फोर्स ने ऐसे 30 हजार बॉल प्वाइंट पेन बनाने का ऑर्डर दिया था। 
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5- इसके निर्माता के लिए उस वक्त का यह सबसे बड़ा ऑर्डर था। फोर्स ने इसका ऑर्डर इसलिए दिया क्योंकि यह फाउंटेन पेन की तुलना में अधिक ऊंचाई पर बेहतर ढंग से काम करता था। युद्ध समाप्त होने के बाद इसका कमर्शियल उत्पादन शुरू हुआ और पूरी दुनिया में यह मशहूर हो गया। 1985 में लैडिसलाव जोस बीरो का अर्जेंटीना में निधन हो गया।





1- इसका आविष्कार हंगरी के एक पत्रकार ने किया था। नाम था लैडिसलाव जोस बीरो। उनका जन्म 29 सितंबर 1899 को हंगरी के बुडापेस्ट में एक यहूदी परिवार में हुआ था। पेशे से वह एक पत्रकार, पेंटर और आविष्कारक थे। आज यानी 29 सितंबर को उनका 117वां जन्मदिन है। 

एक पत्रकार जिसने किया बॉल प्‍वाइंट पेन का आविष्‍कार

2- फाउंटेन पेन के प्रयोग के दौरान बीरो स्याही और धब्बों से परेशान हो जाते थे तब उन्होंने इसका विकल्प तलाशने की सोची। एक बार वह एक अखबार के प्रिंटिग प्रेस में गए और वहां पर तत्काल सूखने वाली स्याही और रोलर देखकर उनको इसे बनाने का विचार सूझा। 

एक पत्रकार जिसने किया बॉल प्‍वाइंट पेन का आविष्‍कार

3- बोरो ने बॉल प्वाइंट पेन बनाने में अपने भाई की मदद ली। शुरुआती असफल प्रयोगों और मशक्कत के बाद वह इसका आविष्कार करने में सफल रहे। उन्होंने अपनी खोज को 'बीरो' नाम दिया। 15 जुलाई 1938 को उन्होंने इसका पेटेंट करा लिया। 1940 में जर्मन नाजी सेनाओं के हंगरी पर आक्रमण होने और यहूदी परिवार से ताल्लुक रखने के कारण बीरो को अपना देश छोड़कर भागना पड़ा। उन्होंने लैटिन अमेरिकी अर्जेंटीना में शरण ली और वहीं पर इस पेन को कमर्शियल उत्पाद के तौर पर बनाना शुरु किया।

एक पत्रकार जिसने किया बॉल प्‍वाइंट पेन का आविष्‍कार

4- ब्रिटेन, आयरलैंड, ऑस्ट्रेलिया और इटली में आज भी इसे बीरो के नाम से ही जाना जाता है वहीं अमेरिका सहित दुनिया के अन्य देशों ने इसे एक नया नाम दिया बॉल प्वाइंट पेन। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश रॉयल फोर्स ने ऐसे 30 हजार बॉल प्वाइंट पेन बनाने का ऑर्डर दिया था। 

एक पत्रकार जिसने किया बॉल प्‍वाइंट पेन का आविष्‍कार

5- इसके निर्माता के लिए उस वक्त का यह सबसे बड़ा ऑर्डर था। फोर्स ने इसका ऑर्डर इसलिए दिया क्योंकि यह फाउंटेन पेन की तुलना में अधिक ऊंचाई पर बेहतर ढंग से काम करता था। युद्ध समाप्त होने के बाद इसका कमर्शियल उत्पादन शुरू हुआ और पूरी दुनिया में यह मशहूर हो गया। 1985 में लैडिसलाव जोस बीरो का अर्जेंटीना में निधन हो गया।

 

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