मरने पर बजते है गीत
राजस्थान के सातिया नाम की बंजारा जनजाति के लोग परिवार में किसी सदस्य के मरने पर नए कपड़े पहनते हैं। यहीं नहीं ये लोग मिठाई व शराब के साथ मरने का उत्सव मानते हैं और गाजे-बाजे के साथ लाश को शमशान लेकर जाते हैं। नाचने और शराब पीने का ये दौर तब तक चलता रहता है जब तक मृतक का शरीर पूरी तरह से जल नहीं जाता। इसके साथ ही भोज का भी आयोजन किया जाता है जिसमें सभी लोग शरीक होते है और मृतक की मौत की खुशियां मनाते हैं। वहीं ये लोग परिवार में किसी संतान के पैदा होने पर भयंकर शोक व्यक्त करते है जिससे पूरा माहौल गमगीन हो जाता है। ये रिवाज अजीब है लेकिन फिर भी इस जनजाती के लोग इसको फॉलो करते हैं।

लाशों को लगाते है ठिकानें
सातिया नाम की ये बंजारा जनजाति का कोई तय निवास नहीं होता हैं। किसी भी जगह पर इन सबका निवास अस्थायी होता है। ये अपनी जीवनी सड़को पर मरे जानवरों की लाश ठीकाने लगाने वाली रकम से चलाते हैं। बता दें कि इस जनजाति के अब सिर्फ 24 परिवार ही रह गए है जो राजस्थान राज्य के अलग-अलग जगह पर फैले हुए हैं।

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