- आरएनटीसीपी के तहत टीबी का इलाज शुरू करने से पहले दिखाना होगा आधारकार्ड

- बीच में इलाज छोड़ने वाले मरीजों का लगाया जा सकेगा पता

DEHRADUN : सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए आधारकार्ड अनिवार्य होना चाहिए या नहीं, इस पर बेशक देशभर में बहस चल रही हो, लेकिन इस बहस के बीच स्वास्थ्य मंत्रालय में आधारकार्ड का इस्तेमाल करके मल्टी ड्रग्स रेसिस्टेंस (एमडीआरर) रोकने के लिए करने का फैसला किया है। टीबी का इलाज पूरा न करवाने वाले आमतौर पर एमडीआर टीबी की चपेट में आ जाते हैं। यह स्थिति बेहद खतरनाक होती है। इसमें मरीज का इलाज कर पाना संभव नहीं होता। ऐसे टीबी मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है, जो एक बार इलाज शुरू होने के बाद बीच में ही इलाज छोड़ देते हैं और जानलेवा एमडीआर टीबी के शिकार हो जाते हैं।

रखी जा सकेगी नजर

टीबी के इलाज में आधारकार्ड अनिवार्य किये जाने से इलाज करवा रहे मरीजों पर नजर रखी जा सकेगी। आमतौर पर कुछ दिन दवाई खाने के बाद मरीज कुछ स्वस्थ्य होने पर यह सोचकर दवा छोड़ देते हैं कि वे अब पूरी तरह ठीक हैं, लेकिन पूरा इलाज न होने के कारण कुछ दिन बाद वे फिर से टीबी के चपेट में आ जाते हैं। ज्यादातर मरीज किसी दूसरे अस्पताल में पहुंच जाते हैं। जहां वे पहले की बात छिपा देते हैं। डॉक्टर नये सिरे से उनका इलाज करते हैं, लेकिन वे एमडीआर की चपेट में आ जाते हैं। आधारकार्ड अनिवार्य किये जाने पर दोबारा अस्पताल पहुंचने वाले मरीज के बारे में आसानी से जानकारी मिल सकेगी और उसका इलाज छूटे हुए मरीज के रूप में किया जा सकेगा।

आरएनटीसीपी के तहत इलाज

टीबी के इलाज के लिए देश में रिवाइवल नेशनल टीबी कंट्रोल प्रोग्राम (आरएनटीसीपी) चलाया जा रहा है। इस प्रोग्राम के तहत टीबी के मरीजों का कम से कम छह महीने या उससे अधिक समय तक जरूरत के अनुसार इलाज किया जाता है। यह प्रोग्राम वर्ष ख्00ब् में शुरू किया गया था। बीच में इलाज छोड़ने वाले मरीज इस प्रोग्राम की असफलता का सबसे बड़ा कारण बनते रहे हैं, लेकिन दावा किया जा रहा है कि आधारकार्ड की अनिवार्यता के बाद अब ऐसा संभव नहीं हो पाएगा।

पुराने मरीज कराएं रजिस्ट्रेशन

सूत्रों के अनुसार इस संबंध में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को आदेश जारी कर दिये हैं। इस आदेश के अनुसार नये आने वाले मरीजों को तो इलाज शुरू करने से पहले आधार कार्ड दिखाना पड़ेगा ही, पहले से इलाज करा रहे मरीजों को भी फ्क् अगस्त तक जिला अस्पताल में अपना आधारकार्ड रजिस्टर्ड करवाना पड़ेगा।

क्या है एमडीआर

मल्टी ड्रग्स रेसिस्टेंस (एमडीआर) टीबी के एक एडवांस स्टेज है, जो सामान्य टीबी से अधिक खतरनाक और लगभग जानलेवा है। जब कोई मरीज टीबी का इलाज बीच में छोड़ देता है और उसे दोबारा टीबी हो जाता है तो वह एमडीआर है, क्योंकि इस पर दो सबसे पावरफुल दवाइयां असर नहीं करती। हालांकि इसके लिए अब सात अन्य दवाइयां विकसित की गई हैं। इस मामले में सबसे खतरनाक स्थिति यह है कि यदि किसी एमडीआर व्यक्ति के संपर्क में आने से अन्य व्यक्ति संक्रमित होता है तो उसे सामान्य नहीं बल्कि एमडीआर टीबी हो जाता है।

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आधारकार्ड की अनिवार्यता के संबंध में कोई आदेश नहीं मिला है। वैसे भी टीबी का इलाज शुरू करने से पहले मरीज का एड्रेस वैरीफाई पहले से किया जाता रहा है और यह सुनिश्चित किया जाता है कि मरीज कम से कम छह महीने उसी एड्रेस पर रहे। यदि आधारकार्ड अनिवार्य किया गया है तो उससे इलाज छोड़ने वालों का पता लगाया जा सकेगा। यह एक अच्छा कदम होगा।

-डॉ। टीसी पंत, सीएमओ, देहरादून।