-कॉलेज इलेक्शन में भी छाया पीएम नरेंद्र मोदी का जादू

-देहरादून से लेकर दिल्ली तक मिली एबीवीपी को जीत

-कांग्रेस ने मोदी मैजिक मानने से किया पूरी तरह इंकार

-कांग्रेस बोली पार्टी से हुई चूक, बीजेपी ने जीत पर दी बधाई

DEHRADUN : इलेक्शन में एक बार फिर यंगस्टर्स पर मोदी मैजिक जमकर चला। लोकसभा चुनाव में यंगस्टर्स को मोदी के सर्वाधिक वोटर्स माना गया था। इसके बाद उपचुनाव में बीजेपी की करारी हार में भले ही पुरानी पीढ़ी पर मोदी मैजिक बेअसर दिखा, लेकिन यूनियन इलेक्शंस में दून के सभी कॉलेजेज में बीजेपी के छात्र संगठन एबीवीवी का जीत का परचम लहराना यंगस्टर्स पर मोदी मैजिक बरकरार रहने का सबूत दे गया। दिल्ली यूनिवर्सिटी से लेकर देहरादून और आस-पास के कई इलाकों में एबीवीपी ने जीत दर्ज कर यह साबित कर दिया कि यह यंगस्टर्स पर आज भी मोदी को जादू कायम है।

अंतरकलह से हारी एनएसयूआई

देहरादून की बात करें तो एसजीआरआर, डीबीएस, एमकेपी और स्टेट के सबसे बड़े कॉलेज डीएवी पीजी के यूनियन इलेक्शन में मोदी मैजिक जमकर चला है। जहां एसजीआरआर में लास्ट ईयर में एनएसयूआई ने जीत दर्ज की थी, वहां भी इस बार एबीवीपी की जीत की है। प्रदेश में कांग्रेस सरकार होने के बाद भी किसी भी कॉलेज में एनएसयूआई अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं कर पाई। कॉलेजेज में एबीवीपी एक तरफा जीत अब पार्टी और संगठन के कई दिग्गजों पर भी भारी पड़ सकती है। जानकारों का कहना है कि एनएसयूआई का अंतरकलह जहां हार की बड़ी वजह माना जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ युवाओं पर मोदी मैजिक को भी जीत से जोड़ जा रहा है।

डीएवी राजनीति की पहली पाठशाला

स्टेट के सबसे बड़े डिग्री कॉलेज डीएवी छात्रसंघ चुनाव में बीजेपी की स्टूडेंट विंग एबीवीपी ने लगातार जीत में एनएसयूआई सेंध नहीं मार सकी। वैसे भी कहते हैं कि यह वह कॉलेज है, जहां से युवा राजनीति की धार तैयार होती है। जाहिर है प्रदेश की दो प्रमुख पार्टियां बीजेपी व कांग्रेस की नजरें इस महत्वपूर्ण चुनाव पर टिकी हुई थी। दोनों पार्टियों के लिए नाम का सवाल था। पिछले दिनों जब तीन दिन के लिए चुनाव टल गए थे, तो सीधे तौर पर सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस व बीजेपी आमने-सामने आ गए थे। अब जब मंडे को चुनाव परिणाम सामने आ चुके हैं और बीजेपी एतिहासिक जीत से खुश है तो कांग्रेस के पास कहने के लिए कोई जवाब नहीं है।

कांग्रेस नहीं रखती इत्तेफाक

प्रदेश में सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस इस बात से इत्तेफाक नहीं रख रही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय का साफ कहना है कि कहीं न कहीं कांग्रेस इस चुनाव को मैनेज नहीं कर पाई। टिकट आवंटन में भी निष्पक्षता नहीं हो पाई। एबीवीपी वालों ने दूसरा ग्रुप लड़वाकर एनएसयूआई को नुकसान पहुंचाया, लेकिन जो लोग पीएम नरेंद्र मोदी के फैक्टर की बात कर रहे हैं, वह सरासर गलत है। खुद मैं भी चुनाव पर निगरानी नहीं कर पाया। इस वजह से चुनाव को ठीक से मैनेज न कर पाना हार का बड़ा कारण बना। अगली बार जीत दर्ज कर दिखाएंगे।

कई दिग्गजों पर गिरेगी गाज

कांग्रेस खेमे में मंडे को यूनियन इलेक्शन की हार को लेकर मंथन शुरू हो गया है। जानकारों का मानना है कि इस हार का असर कई पदाधिकारियों पर भी पड़ने वाला है। इसका साफ उदाहरण रहा। एनएसयूआई जिलाध्यक्ष विनीत भट्ट के इस्तीफे ने इस पर मोहर भी लगा दी है। डीएवी पीजी कॉलेज में एनएसयूआई की करारी हार के बाद जिलाध्यक्ष ने हाईकमान को अपना इस्तीफा सौंप दिया। इस्तीफे में अंतरकलह की बात कहते हुए हार की जिम्मेदारी ली गई है। विनीत ने बताया कि संगठन में टिकट को लेकर गुटबाजी की गई। इसके अलावा प्रदेश प्रभारी ने निजी हितों को देखते हुए चुनाव में उम्मीदवार घोषित किए। जो कि हार का कारण बना। वहीं दूसरी ओर संगठन की लीडर स्वाति नेगी ने भी माना है कि संगठन के कई लोग खिलाफ काम कर रहे थे। अब संगठन इनके खिलाफ कार्रवाई करेगा।

'तीन चुनावों में बौखलाई बीजेपी ने खुद गड़बड़ की है। हमने पहले ही बता दिया था। कार्ड भी एबीवीपी को पहले ही दे दिए गए। हां, यह भी सच है कि कांग्रेस से इस चुनाव में कहीं कोई कमी रह गई। अगली बार जीत दर्ज की जाएगी.'

-किशोर उपाध्याय, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष।

डीएवी का चुनाव तो सीधे तौर पर सीएम ऑफिस से संचालित हो रहा था। फिर भी युवा छात्रों ने पीएम नरेंद्र मोदी पर भरोसा जताते हुए एबीवीपी को जीत दी। यह जीत एतिहासिक जीत है। जिसके लिए एबीवीपी बधाई की पात्र है।

-तीरथ सिंह रावत, प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष।