RANCHI: 10 महीने और 64 'शिकार'। एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने गुरुवार को रांची एसएसपी ऑफिस में पोस्टेड सिपाही राजा राम महतो को दो हजार रुपए घूस लेते रंगेहाथ गिरफ्तार कर यह उपलब्धि हासिल की। इससे पहले बुधवार को भी दो सरकारी कर्मियों को घूस लेते पकड़ा गया था। उपलब्धियों के लिहाज से देखें तो हर महीने औसतन छह सरकारी सेवक घूस लेते एसीबी के हत्थे चढ़ रहे हैं। सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार पर नियंत्रण के लिए एसीबी का अभियान लगातार जारी है। ब्यूरो ने वैसे भ्रष्ट सरकारी सेवकों की लिस्ट तैयार कर रखा है, जिनके खिलाफ लोगों ने घूस लेने की शिकायत दर्ज कराई है। इन शिकायतों की जांच के बाद ही एसीबी आगे की कार्रवाई कर रहा है। पिछले साल भी एसीबी ने 55 सरकारी सेवकों को रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था।

ऐसे दर्ज कराएं शिकायत

एसीबी का मुख्यालय रांची में है, जबकि पलामू, हजारीबाग, दुमका और चाईबासा में ब्यूरो ऑफिस काम कर रहा है। अगर आपसे से काम के एवज में कोई सरकारी सेवक घूस की मांग कर रहा हो तो उसके खिलाफ यहां शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। एसीबी ने भुक्तभोगियों की सहूलियत के लिए व्हाट्स एप्प नंबर 9431105678 जारी किया है। इसके अलावा हजारीबाग, जमशेदपुर, पलामू और दुमका ब्यूरो के एसपी का नंबर भी सार्वजनिक तौर पर जारी किया गया है। व्हाट्स एप्प अथवा मोबाइल नंबर पर घूस मांगने वाले सरकारी कर्मी अथवा अधिकारी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। इतना ही नहीं वे इससे संबंधित ऑडियो-वीडियो की क्लिप भी भेज सकते हैं। इसकी जांच के बाद जब घूस मांगने की बात पुख्ता साबित होती है तो संबंधित सरकारी सेवक को गिरफ्तार करने की कार्रवाई शुरु होती है।

एसीबी के क्या हैं काम

निगरानी आयुक्त के सुपरविजन में एंटी करप्शन ब्यूरो एक विशेष ईकाई के तौर पर काम कर रहा है। एसीबी में घूस मांगने वाले सरकारी सेवक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई जाती है। ब्यूरो में पोस्टेड टेक्निकल स्टडी टीम इन शिकायतों की जांच करती है। जांच में रिश्वत मांगने की बात सही पाए जाने के बाद मजिस्ट्रेट व डीएसपी के नेतृत्व में टीम बनाई जाती है। यह टीम शिकायत दर्ज कराने वाले व्यक्ति के साथ मिलकर संबंधित सरकारी सेवक को घूस लेते रंगेहाथ गिरफ्तार करने की कार्रवाई करती है। इसके अलावा एसीबी को घूसखोर सरकारी सेवक के खिलाफ मुकदमा चलाने का भी अधिकार दिया गया है।

2015 में एसीबी का हुआ है गठन

2015 के जुलाई में निगरानी ब्यूरो को ही एसीबी के रुप में पुनगर्ठित किया गया है। इसके अंतगर्त कुल सात थाने हैं, जिनमें पांच थाने प्रमंडलों में और एक-एक थाना धनबाद और रांची में है। ये थाने पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में संचालित हो रहे हैं। गंभीर भ्रष्टाचार के मामलों की जांच के लिए एक विशेष कोषांग बनाया गया है। रांची स्थित निगरानी थाना यह कार्य कर रहा है। इसका क्षेत्राधिकार पूरा झारखंड है। एसीबी ट्रैप केस के मामले में किसी पर भी कार्रवाई करने का अधिकार है। इसके लिए इसे किसी अनुमति की जरुरत नहीं है।

इनके खिलाफ जांच का है अधिकार

एसीबी को किसी जनप्रतिनिधि या प्रथम श्रेणी के लोकसेवकों के खिलाफ जांच के लिए मुख्य सचिव के माध्यम से मुख्यमंत्री से अनुमोदन लेना होता है.अन्य प्रथम श्रेणी के लोकसेवकों के खिलाफ जांच के लिए निगरानी आयुक्त के माध्यम से मुख्य सचिव से अनुमोदन लेनी होती है। द्वितीय से लेकर चतुर्थ श्रेणी तक के लोकसेवकों के लिए निगरानी आयुक्त की अनुमति जरुरी है। इतना ही नहीं, एसीबी कर्मियों के प्रशिक्षण की भी व्यवस्था की गई है।