-हल्की धारा में कार्रवाई कर आरोपियों को जेल भेजा

-वीआईपी की तरह आरोपियों को जेल ले गई पुलिस

-एक आरोपी ने ऑन रिकॉर्ड पीडि़ता के शारीरिक संबंध कबूला

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KANPUR : काकादेव में छात्रा से गैंगरेप कांड में पुलिस की कार्रवाई से यह साबित हो गया कि पुलिस चाहे तो अपनी कारीगरी से किसी को बचा सकती है और किसी को फंसा भी सकती है। इस कांड में पुलिस ने खुद को बचाने के लिए इतनी सफाई से 'खेल' कर दिया कि पीडि़त परिवार को अभी यह समझ में नहीं आ रहा है कि आरोपियों के खिलाफ सही कार्रवाई हुई या गलत। इसमें पुलिस ने आरोपियों को तो गिरफ्तार कर लिया, लेकिन उन पर गैंगरेप के बजाय रेप के प्रयास की धारा में रिपोर्ट दर्ज कर पुलिस ने अपना 'खेल' कर दिया। यहीं नहीं, गैंगरेप के आरोपियों पर पुलिस की इतनी कृपा बरस रही थी कि उनको किसी तरह वीआईपी की तरह मेडिकल के लिए लाया गया।

पुलिस ने बोलकर लिखाई तहरीर

छात्रा से गैंगरेप कांड में पुलिस शुरुआत से ही घटना पर पर्दा डालने में जुट गई थी, लेकिन खबर के वायरल होने पर पुलिस ने आनन-फानन में छात्रा को मेडिकल के लिए भेज कर परिजनों को एक तरह से कस्टडी में ले लिया। यहां तक पुलिस मीडिया कर्मियों को भी उनसे बात करने से रोक रही थी। इसी दौरान पुलिस ने पीडि़ता के चाचा को यह समझाकर मीडिया के सामने भेज दिया कि अगर कार्रवाई चाहते हो तो मीडिया से दूर रहना। पीडि़त परिवार ने उस समय तो पुलिस की बात मान ली, लेकिन जैसे ही वे रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए थाने गए। पुलिस का रुख बदल गया। पीडि़त परिवार ने तहरीर दी तो पुलिस ने यह कहकर तहरीर लौटा दी कि तुम्हारी तहरीर गलत है। जो पुलिस बोल रही है उसे लिखकर दो तभी रिपोर्ट दर्ज होगी। इसके बाद पुलिस ने बोलकर अपने मनमाफिक तहरीर लिखाकर गोलू, शुभम, आकाश और चिंटू के खिलाफ रेप के प्रयास की धारा में रिपोर्ट दजर्1 कर ली।

दो को बचाया, चार पर कार्रवाई

छात्रा से गैंगरेप में आठ लोगों के नाम सामने आ रहे थे। पुलिस को पता था कि अगर आठ लड़कों से गैंगरेप के मामले ने तूल पकड़ लिया तो एसओ से लेकर अन्य आला अफसर भी निपट सकते हैं। इसलिए पुलिस ने अपने मनमाफिक लिखाई तहरीर में सिर्फ चार आरोपियों को नामजद किया, जबकि परिजनों ने छह लड़कों को नामजद व अन्य अज्ञात के खिलाफ तहरीर दी थी। पीडि़ता के भाई का आरोप है कि पुलिस ने दो लड़कों को बचा ि1लया है।

आरोपियों को नहीं है कोई अफसोस

पुलिस के हत्थे चढ़े आरोपी बेशर्म हैं। उनको न तो कोई अफसोस था और न ही उनके चेहरे पर कोई सिकन थी। बल्कि वे हंसते हुए मीडिया से बात कर रहे थे। गोलू ने ऑन रिकॉर्ड मीडिया के सामने कबूल किया कि उसका चार साल से पीडि़ता से अफेयर चल रहा था। उसके पीडि़ता से शारीरिक संबंध हैं। उसने गैंगरेप की बाबत खुद व दोस्तों को निर्दोष बताया है। उसका कहना है कि छात्रा उससे मिलने आई थी, लेकिन न तो उसने रेप किया और न ही उसके दोस्तों ने, हालांकि उसने यह नहीं बताया कि पीडि़ता तीन घंटे तक बंद घर उसके साथ क्या कर रही थी? उसके दोस्त घर में क्यों गए थे? अगर उन लोगों ने कुछ नहीं किया तो छात्रा बेहोश कैसे हुई? सोर्सेज के मुताबिक पीडि़ता के मेडिकल में रेप की पुष्टि नहीं हुई है। आरोपी कबूल कर चुका है कि वो कई बार उसके साथ शारीरिक संबंध बना चुका है तो उसके मेडिकल में इसकी पुष्टि क्यों नहीं हुई? इससे साफ है कि या तो आरोपी झूठ बोल रहा है या फिर पीडि़ता के मेडिकल को मैनेज किया गया है।

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कार्रवाई में मेडिकल की जरूरत नहीं

पुलिस ने भले ही रेप के प्रयास की धारा में रिपोर्ट दर्ज कर आरोपियों की मदद कर दी है, लेकिन पीडि़ता के मजिस्ट्रेटी बयान से पुलिस की पोल खुल जाएगी। सीनियर एडवोकेट कौशल किशोर शर्मा के मुताबिक निर्भया कांड के बाद रेप जैसे संगीन मामले में संशोधन किया गया है। जिसके तहत अब स्त्री के प्राइवेट पार्ट को छूना भी रेप की श्रेणी में आ गया है। इसलिए इसमें पुलिस कार्रवाई के लिए मेडिकल की जरूरत नहीं है। पुलिस का काम है कि रिपोर्ट दर्ज कर आरोपियों को जेल भेज देना, इसके बाद कोर्ट साक्ष्य और गवाहों के आधार पर तय करेगी कि आरोपी दोषी है या नहीं।

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परिजनों का आरोप गलत है। परिजनों की तहरीर पर रिपोर्ट दर्ज कर चार आरोपियों को जेल भेजा गया है। पीडि़ता के मजिस्ट्रेटी बयान से सच्चाई का पता चल जाएगा।

-आतीश कुमार सिंह, सीओ स्वरूपनगर।