- एसिड पीडि़त महिलाओं को नहीं मिली कोई मदद, डीएम से लगाई गुहार

- जिले के 25 से ज्यादा एसिड पीडि़तों को आवेदन के बाद नहीं मिल सकी है मदद

>BAREILLY: सुप्रीम कोर्ट के आदेश और सरकार की ओर से तमाम सुविधाएं देने का दावा किए जाने के बावजूद बरेली में एसिड अटैक पीडि़तों को कोई मदद नहीं मिल रही है। एसिड अटैक पीडि़त दर-दर भटकने को मजबूर हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया है। पीडि़ता कलेक्ट्रेट में डीएम से मदद की गुहार लगाने के लिए पहुंची। पीडि़ता इतनी दुखी थी कि उसने डीएम से कहा कि मुआवजा और पेंशन नहीं मिल सकता तो मौत ही दे दो। वहीं पीडि़ता अब हाईकोर्ट भी जाने की तैयारी में हैं।

पीडि़ता का दर्द

नवाबगंज तहसील के पुरनिया गांव निवासी मुन्नी देवी पर गांव के ही रामपाल ने वर्ष 2000 में तेजाब अटैक कर दिया था। जिससे उनका चेहरा जल गया था और बाई आंख की रौशनी चली गई थी। तब केंद्र सरकार ने 10 हजार रुपए का मुआवजा देने का वादा किया था। पर 16 वर्ष गुजरने के बाद मुआवजा तो दूर आरोपी पर कोई कार्रवाई भी नहीं हुई। एक वर्ष पहले प्रदेश सरकार की रानी लक्ष्मी बाई योजना के तहत एक मुश्त पांच लाख रुपए और समाजवादी पेंशन के लिए उन्होंने आवेदन किया था। पर उन्हें न तो पांच लाख रुपए मिले और न ही पेंशन मिली। कुछ ऐसा ही हाल वर्ष 2013 में एसिड अटैक की शिकार हुई आंवला के ग्राम हरहुआ निवासी उर्मिला का भी है। उन पर प्रेमी ने तेजाब डाल दिया था। हालांकि आरोपी जेल चला गया सरकार ने वादा नहीं पूरा किया। वह भी हाईकोर्ट जाने की तैयारी में हैं।

हाईकोर्ट जाने की तैयारी

वर्ष भर पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने रानी लक्ष्मीबाई महिला सम्मान कोष तृतीय संशोधन नियमावली तैयार की थी। इसमें एसिड अटैक के मामलों में पीडि़ताओं को अलग-अलग गुण-दोष के आधार पर चिकित्सीय और आíथक सहायता दिए जाने का प्रावधान है। उन्हें रानी लक्ष्मीबाई महिला सम्मान कोष से 5 लाख रुपए की आर्थिक सहायता मिलनी थी। जो आवेदन के बाद भी अब तक नहीं मिल सका है। सनद रहे कि जिले में करीब 25 से ज्यादा एसिड पीडि़त महिलाएं हैं। जो अब हाईकोर्ट में रिट फाइल करने जा रही हैं।

राज्य सरकार की योजना

एक मुश्त मुआवजे के तौर पर 5 लाख रुपए।

पीडि़ता को इलाज के लिए सुविधाएं मुहैया कराना।

समाजवादी पेंशन योजना पीडि़त को पेंशन की सुविधा।

सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन

कोई भी हॉस्पिटल एसिड अटैक के इलाज से मना नहीं कर सकता।

सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारों को तेजाब हमले के शिकार को तुरंत कम से कम तीन लाख रुपये की मदद मुहैया करानी होगी।

पीडि़त को मुफ्त इलाज मुहैया कराना भी सरकार की ही जिम्मेदारी है।

पीडि़त के अस्पताल के अलग कमरे। खाने और दवाइयों के साथ-साथ सर्जरी का भी खर्च सरकार देगी।

एसिड अटैक के पीडि़त को सर्टिफिकेट भी मिलेगा जिससे भविष्य में उसे सारी सुविधाएं मिल सके।

सर्टिफिकेट पीडि़त की प्रथामिक चिकित्सा करने वाला अस्पताल जारी करेगा।

मामला संज्ञान में नहीं है। एसिड पीडि़ता के मामले में डीएम से बात करके राज्य सरकार की ओर से मिलने वाली सहायता दिलाई जाएगी।

एसके राय, समाज कल्याण अधिकारी

16 वर्षो में मदद की उम्मीद टूट चुकी है। मौत का इंतजार करने से बेहतर है कोर्ट में रिट फाइल कर एसिड पीडि़तों के लिए न्याय मांगा जाए। ताकि यह नजीर बन सके।

मुन्नी देवी, एसिड पीडि़ता