-जिले में कुछ क्लीनिक बंद रहे तो कुछ खुले भी रहे

-मरीजों को जांच एवं इलाज के लिए उठानी पडी परेशानी

PATNA/ BIHARSHARIFF: राज्य सरकार की ओर से क्लीनिकल ईस्टैब्लिशमेंट एक्ट लागू किये जाने के विरोध में आईएमए से जुड़े चिकित्सक शनिवार को अपने निजी क्लीनिक व अस्पताल को बंद रखा। एक्ट के विरोध में जिले के दर्जनों चिकित्सक पटना पहुंच कर आयोजित रैली में शामिल हुए और एक्ट को वापस लेने की मांग सरकार से की।

इसके पूर्व बिहारशरीफ स्थित आईएमए हाल से रैली के लिए पटना के लिए सुबह में रवाना हुआ। रैली से लौट कर आये आईएमए के सदस्य डा। शियाशरण प्रसाद ने बताया कि पटना में कई जिले के चिकित्सक रैली में भाग लिये और पटना स्थित आईएमए भवन से रैली निकल कर कारगिल चौक पहुंची और सभा में तब्दील हो गई।

इस मौके पर नालंदा के आईएमए के सचिव मिथलेश कुमार, श्यामनारायण प्रसाद, डा। श्याम बिहारी, डा। अर¨वद कुमार, डा। सुनीति सिन्हा, डा। सुनील कुमार, डा। मनोज कुमार, डा। सुजीत आदि चिकित्सक रैली में शामिल थे। उन्होंने कहा कि संगठन पूरी तरह एक्ट के विरोध में नहीं है। इसमें कुद संशोधन की जरूरत है। गत शुक्रवार को आईएम भवन में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान अध्यक्ष डा। पीके चौधरी ने कहा था कि केन्द्र के क्लिनीकल कानून में चिकित्सा व्यवस्था को नौकरशाह के अधीन कर दिया गया है।

इस कानून को लागू होने से क्लिनीक को शुरू करने के लिए कम से कम ख्म् विभिन्न विभागों के अनापत्ति या निबंधन प्रमाण पत्र और करीब ख्भ् प्रकार की रिपोर्ट एक निर्धारित अवधी में सरकार को भेजनी पड़ेगी। जिससे पूरा कर पाना संभव नहीं है। आईएमए के सदस्यों का कहना है कि यदि क्लिनिक ईटसैब्लिशमेंट एक्ट लागू हो जायेगा तो इलाज का खर्च कई गुणा बढ़ जायेगा। इससे छोटे चिकित्सा बंद हो जायेगा। यह मानक लागू हुए तो सिर्फ कारपोरेट हास्पीटल ही बचेंगे और गरीब इलाज को मुहताज हो जायेंगे।

निजी क्लिनीक के चिकित्सकों ने बताया कि कानून के बहाने चिकित्सकों पर असंवैधानिक दबाव बनाया जा रहा है इसके चलते चिकित्सकों में काफी रोष है। उन्होंने कहा कि सेवा मेंसुधार के लिए कानून शक्त होना चाहिए लेकिन इतना शक्त न हो कि रोगी और परेशानी झेलना पड़े।