1994 में आई शेखर कपूर की बैंडिट क्वीन के डकैत मान सिंह से लेकर इस फ्राइडे रिलीज हुई अनुराग कश्यप की फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर के सरदार खान। लगभग 18 साल का सफर। 38 छोटी-बड़ी फिल्मों में काम। एक्टिंग की हर बार तारीफ। कई अवार्ड। बॉलीवुड में ऐसी पहचान तो मनोज बाजपेयी की ही हो सकती है।

यही वह एक्टर हैं जो मानते हैं कि उनका बेस्ट आना अभी बाकी है। स्क्रिप्ट और डायरेक्टर देखकर फिल्में साइन करने वाले मनोज बाजपेयी बॉलीवुड में झारखंड और बिहार के टैलेंट को देखकर बहुत खुश होते हैं। उनके अनुसार झारखंड-बिहार में टैलेंट की फैक्ट्री है। बॉलीवुड एक्टर मनोज बाजपेयी से inextlive.com ने बात की। क्या बातें हुई, आइए जानते हैं।

आपने अबतक जितनी भी फिल्में की हैं उनमें गैंग्स ऑफ वासेपुर को किस रूप में देखते हैं और सरदार खान बाकी के कैरेक्टर से कैसे डिफरेंट है?

हर फिल्म और उसमें मेरे द्वारा प्ले किया हुआ हर कैरेक्टर एक दूसरे से डिफरेंट है। जहां तक गैंग्स ऑफ वासेपुर का सवाल है, यह फिल्म खुद अपनी पहचान अलग बनाएगी। इसकी स्टोरी धनबाद जैसे स्मॉल सिटी पर बेस्ड है, इसके डायरेक्टर अनुराग कश्यप काफी टैलेंटेड हैं और फिल्म का ट्रीटमेंट लाजवाब है।

1998 का समय था जब ऑडियंस की जुबान पर भीखू म्हात्रे का नाम था। भीखू मात्रे और सरदार खान तक आप अपने में किस तरह का चेंज फील करते हैं?

(कुछ देर तक चुप रहने और फिर मुस्कुराते हुए) चेंज तो यही महसूस करता हूं कि मेरी उम्र ज्यादा हो गई है। 14 साल बीत गए वह कैरेक्टर प्ले किए हुए। काम की बात की जाए तो जो लगन और जोश उस समय था उसमें कोई कमी नहीं आई है।

आपने रीयल इंसीडेंट्स पर बेस्ड मूवी के अलावा कई कॉमर्सियल फिल्में की हैं। आपको ज्यादा मजा किस तरह की मूवी में काम करके आया?

मैं तो एक्टर हूं। काम करता रहता हूं। हां इतना जरूर है कि स्क्रिप्ट और डायरेक्टर का जरूर ख्याल रखता हूं। अगर ये दोनों सही हो तो फिल्म करने में मजा आता है। अपने को खुशनसीब समझता हंू कि कई अच्छे डायरेक्टर के साथ काम करने का मौका मिला।

प्रकाश झा की राजनीति में आपकी एक्टिंग की काफी तारीफ हुई थी और उसका फायदा आपको कहां तक मिला। प्रकाश झा के साथ काम करने का एक्सपीरिएंस कैसा रहा?

प्रकाश जी के साथ काम करना हमेशा अच्छा होता है। ना सिर्फ मेरे लिए बल्कि बॉलीवुड के किसी भी एक्टर के लिए। उनकी इज्जत ना सिर्फ मैं बल्कि पूरा बॉलीवुड करता है।

बॉलीवुड में झारखंड के टैलेंट के बारे में क्या कहना चाहेंगे?

बहुत अच्छा लगता है। झारखंड और बिहार के टैलेंट को देखकर बहुत खुश होता हूं। इसका सबसे बड़ा कारण है कि वे छोटी जगहों से आते हैं और काफी कठिनाईयों का सामना करने के बाद यहां तक पहुंचते हैं। बॉलीवुड में इन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनाई है।

बॉलीवुड में फिल्में अब स्मॉल सिटीज की स्टोरी पर बेस्ड बनने लगी हैं, इसको आप कैसे देखते हैं?

बॉलीवुड ने अपना दायरा बढ़ाया है। मल्टीप्लेक्स कल्चर स्मॉल सिटीज में काफी तेजी से बढ़ा है। अब मेट्रोज में फ्लॉप फिल्में अगर स्मॉल सिटीज मे चल निकली तो वह हिट डिक्लेयर कर दी जाती हैं। आज की ऑडियंस स्मार्ट है चाहे वो कहीं की भी हो। अब फिल्म मेकर्स छोटे शहरों में कहानी तलाशते हैं।

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