BAREILLY: शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास स्कूल और कॉलेजेज में लागू वर्तमान सिलेबस में आधुनिकता के साथ प्राचीन मूल्यों के समावेश का भी पुरजोर वकालत कर रहा है। इसी उद्देश्य से न्यास ने बड़े पैमाने पर एनसीईआरटी समेत अन्य एजेंसी की पुस्तकों में बदलाव को लेकर केंद्र सरकार को प्रपोजल भेजा है। वहीं पूर्व में भी उन्होंने बदलाव कराए हैं। पत्रकारों के साथ बातचीत में न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी ने बताया कि वे ऐसे सिलेबस के खिलाफ हैं जो अपने संविधान और संस्कृति को फॉलो नहीं करते। सीबीएसई ने संस्कृत लैंग्वेज को हटाकर जर्मन लागू किया तो इसके विरोध को लेकर न्यास न्यायालय की शरण में गया। जिसके बाद न्यायालय का आदेश संस्कृत के पक्ष में रहा। स्कूलों में होने वाली प्रेयर पर उन्होंने थोड़ा बचते हुए कहा कि प्रेयर ऐसी हो जो बच्चों के दृष्टिकोण को बदले।

आयोजित हुई गोष्ठी

इस ऑकेजन पर सार्थक शिक्षा-समर्थ भारत विषय पर गोष्ठी भी आयोजित की गई। जिसमें वर्तमान सिलेबस में वैदिक गणित समेत अधिकांश प्राचीन विधियों और मूल्यों को शामिल करने पर बल दिया गया। खासकर नैतिक मूल्यों की पढ़ाई कराने पर भी बल दिया गया। इस ऑकेजन पर शिक्षाविद डॉ। एनएल शर्मा, डॉ। राजीव यादव, डॉ। संजीव अग्रवाल समेत कई वक्ताओं ने अपने विचार रखे।