आगरा। यमुना के डूब क्षेत्र में अवैध रूप से किए गए छोटे निर्माणों को तोड़कर अपने कर्तव्य से इतिश्री करने के बाद आखिरकार एडीए ने बड़े बिल्डरों पर कार्रवाई करने की हिम्मत दिखाई। शनिवार को पर्यावरण संबंधित एनओसी नहीं होने पर एडीए ने दयालबाग में पुष्पांजलि सीजंस और पुष्पांजलि हाइट्स पर सीलिंग की कार्रवाई की। बता दें, आई नेक्स्ट ने यमुना डूब क्षेत्र में आने वाली बिल्डिंग्स पर सीलिंग की कार्रवाई को लेकर अपने 22 मई के एडिशन में खुलासा किया था। इधर, एडीए ने छत्ता वार्ड के डूब क्षेत्र में बने 28 भवन स्वामियों को नोटिस थमा दिए हैं। नोटिस मिलने के बाद यहां रहने वालों में खलबली मची हुई है।

एक्शन से कतरा रहा था एडीए

बता दें, एनजीटी के नोटिस के बाद एडीए और प्रशासन के आला अधिकारियों ने यमुना डूब क्षेत्र का निरीक्षण किया था। इसके बाद यहां अवैध निर्माणों को ढहाने की कार्रवाई शुरू की गई। लेकिन शुरू से ही एडीए बड़ी बिल्डिंग्स पर एक्शन लेने से कतरा रहा था। शनिवार को सरकारी अमले के साथ दयालबाग पहुंचे एडीए अधिकारियों ने पुष्पांजलि सीजंस और पुष्पांजलि हाइट्स को सील कर दिया। एडीए के अधिशासी अभियंता राजीव दीक्षित ने बताया कि पुष्पांजलि ग्रुप की दोनों बिल्डिंग्स(पुष्पांजलि सीजंस और पुष्पांजलि हाईट्स) को सील किया गया है।

निशाने पर कृष्णा कॉलोनी

छत्ता वार्ड की कृष्णा विहार, कृष्णा कॉलोनी में 28 ऐसे भवन निर्माण कराए गए हैं, जिनके

एडीए से मैप पास नहीं कराए गए हैं। अधिशासी अभियंता राजीव दीक्षित ने बताया कि 28 लोगों को नोटिस जारी कर दिया गया है। इन सभी को 30 मई तक जवाब देना है। अगर नोटिस का कोई जवाब नहीं मिलता है तो अवैध निर्माण के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। बता दें, कि इस मामले में 26 मई को कोर्ट में सुनवाई होने जा रही है। सूत्रों के मुताबिक एडीए कोर्ट में तारीख लेने का प्रयास करेगा। वहीं एनजीटी में याचिकाकर्ता डीके जोशी भी पूरी तैयारी के साथ उपस्थित रहेंगे। उनकी नजर एडीए की कार्यशैली पर लगी हुई है।

एक ग्रुप पर ही कार्रवाई क्यों ?

यमुना डूब क्षेत्र में 58 निर्माणों को चिह्नित किया गया था। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिरकार एडीए अधिकारियों ने पर्यावरण संबंधी एनओसी नहीं होने पर पुष्पांजलि ग्रुप के खिलाफ ही एक्शन क्यों लिया? जबकि वहां कई अन्य बहुमंजिला इमारतें भी खड़ी हैं, जिनका निर्माण नियमों को ताक पर रखकर किया गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या एडीए अधिकारी 26 मई को कोर्ट में सुनवाई से ठीक पहले इस तरह की कार्रवाई कर औपचारिकता निभा रहे हैं, ताकि कोर्ट में अपनी गर्दन बचा सकें। या फिर अधिकारी दूसरे बिल्डर्स को बचाने में लगे हुए हैं।

पहले पास तो अब सील क्यों?

वहीं बिल्डर्स अपने प्रोजेक्ट को विज्ञापनों में एडीए एप्रूव्ड बताता था। ऐसे में अगर एडीए ने इन प्रोजेक्ट्स का नक्शा पास किया था तो अब सीलिंग की कार्रवाई क्यों की? क्या एडीए को पहले बिल्डर के पास पर्यावरण संबंधी एनओसी नहीं होने की जानकारी नहीं थी? क्या कुछ एडीए अधिकारियों की मिलीभगत से प्रोजेक्ट्स के नक्शे पास कराए गए? ऐसे ही कुछ सवाल एडीए की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगाते हैं।

सीलिंग से मुसीबत में बैंक

सूत्रों की मानें तो जिन रिहायशी प्रोजेक्ट्स को सील किया गया है, उनमें बंपर बुकिंग हो रखी थी। ऐसे में जाहिर है कि इन रिहायशी प्रोजेक्ट्स में भवन खरीदने वाले उन लोगों की संख्या अच्छी-खासी होगी, जिन्होंने बैंक से लोन लिया होगा। एडीए की इस कार्रवाई ने बैंकों के सामने भी मुश्किल हालात पैदा कर दिए हैं।

सिर्फ सीलिंग ही कार्रवाई

अक्सर देखा गया है कि एडीए की कार्रवाई सीलिंग तक ही सिमट जाती है। मुद्दा गर्म होने पर खुद को बचाने के लिए अधिकारी सीलिंग की कार्रवाई कर देते हैं, लेकिन जैसे ही मामला शांत हो जाता है, अधिकारी चुपके से बिल्डिंग पर लगी सील हटा देते हैं। कुछ दिनों तक बंद रहने के बाद प्रोजेक्ट पर निर्माण कार्य फिर शुरू हो जाता है।