RANCHI : जब हायर एजुकेशन की बात आती है तो इसमें लड़कियां अक्सर पीछे रह जाती हैं। कोई पारिवारिक कारण तो कोई एडमिशन नहीं होने की वजह से कॉलेज की पूरी शिक्षा नहीं पूरी कर पाती हैं। रांची यूनिवर्सिटी में भी कई बार कई लड़कियों को कुछ ऐसे ही हालात से गुजरना पड़ता है। एडमिशन सीजन में लड़कियों को एडमिशन के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। एडमिशन की मारामारी में लड़कियां कई बार लड़कों से पिछड़ जाती है। ऐसे में चाहकर भी वे आगे की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाती हैं और हायर एजूकेशन की उनकी ख्वाहिश अधूरी रह जाती है।

सीट्स कम रहने से होती है दिक्कत

पीजी डिपार्टमेंट्स और कॉलेजेज में सीट्स कम होने से लड़कियों को एडमिशन में दिक्कतें आती हैं। वैसे कई कॉलेजेज में को-एजुकेशन की व्यवस्था है, पर लड़कियों की पहली पसंद कहीं न कहीं वीमेंस कॉलेजेज ही होती है। अब देखिए न। रांची वीमेंस कॉलेज में 17 डिपार्टमेंट्स हैं। इन डिपार्टमेंट्स में करीब सौ सीट्स हैं, लेकिन हर साल तीन हजार से ज्यादा लड़कियां एडमिशन के लिए अप्लाई करती हैं। लाजिमी है कि दो हजार लड़कियों को एडमिशन से वंचित रह जाना पड़ता है। इनमें से कुछ लड़कियां तो दूसरे कॉलेज में एडमिशन ले लेती हैं, पर कई लड़कियों की पढ़ाई पर यहीं ब्रेक लग जाता है।

पीजी की राह आसान नहीं

लड़कियों के लिए पीजी की भी राह आसान नहीं है। रांची यूनिवर्सिटी में चाहकर भी कई लड़कियां पीजी की पढ़ाई से वंचित रह जाती हैं। इसकी भी बड़ी वजह पीजी में भी लिमिटेड सीट्स का होना है। अगर कॉमर्स की बात की जाए तो रांची में रांची यूनिवर्सिटी, मारवाड़ी कॉलेज और रांची वीमेंस कॉलेज में ही पीजी कॉमर्स की पढ़ाई होती है। यहां कुल तीन सौ सीट्स हैं, पर एडमिशन के लिए चार हजार लड़कियां अप्लाई करती हैं। हर सीट के लिए करीब 13 लड़कियों की दावेदारी होती है। ऐसे में अधिकांश लड़कियों की पीजी करने की ख्वाहिश पूरी नहीं हो पाती है।

इंफ्रास्ट्रक्चर व फैसिलिटीज बढ़ाने की जरूरत

जिस तरह से हायर एजूकेशन के लिए लड़कियों की तादाद बढ़ रही है, वैसे में नए कॉलेज खोलने, कॉलेजेज में सीट्स की संख्या बढ़ाने और इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने की जरूरत है, ताकि लड़कियां सिर्फ एडमिशन नहीं होने की वजह से लड़कियों की पढ़ाई पर ब्रेक नहीं लग जाए। बेहतर होगा कि नए वीमेंस खोले जाने पर सरकार फोकस करे, ताकि लड़कियों को एडमिशन से संबंधित होनेवाली परेशानियों ने निजात मिल सके। इतना ही नहीं, लड़कियों को क्वालिटी एजुकेशन मिले, इसका भी ध्यान रखने की जरूरत है।