- आरटीई के तहत प्राइवेट स्कूल्स में ऑनलाइन होगा गरीब बच्चों का दाखिला

- पोर्टल पर डीएम-बीएसए देखेंगे कि कहां हो रही नाफरमानी

GORAKHPUR: गरीब अभिभावकों को अब अपने बच्चों के प्रवेश के लिए शिक्षाधिकारियों व स्कूलों का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा। वे घर बैठे ही ऑनलाइन आवेदन कर प्रवेश करा सकेंगे। इसके बाद उन्हें एसएमएस के जरिए स्कूल का नाम और प्रवेश होने की सूचना मिल जाएगी। इसकेलिए शासन ने बेसिक शिक्षा विभाग केतहत शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009-आरटीई ऑनलाइन प्रवेश का पोर्टल तैयार किया है। जिसे इस महीने के अंतिम हफ्ते से शुरू कर दिया जाएगा। इस पोर्टल पर बीएसए और जिलाधिकारी आवेदन से लेकर बच्चों के प्रवेश तक की जानकारी रखेंगे।

नहीं लगाने पड़ेंगे चक्कर

शासन ने आरटीई के तहत प्राइवेट स्कूल्स की 25 प्रतिशत सीटों पर दुर्बल एवं अलाभित वर्ग के बच्चों को नि:शुल्क दाखिले का नियम बनाया है। इसके लिए पैरेंट्स को बेसिक शिक्षाधिकारी कार्यालय में आवेदन करना होता था। उसके बाद उन आवेदनों पर डीएम का अनुमोदन होता है। फिर बच्चों को प्राइवेट स्कूल्स में प्रवेश के लिए भेजा जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में कम से कम दो महीने से अधिक का समय लग जाता था। साथ ही पैरेंट्स को कई बार बीएसए ऑफिस और स्कूल का चक्कर लगाना पड़ता था। अब इस प्रक्रिया के ऑनलाइन हो जाने के बाद समय भी कम लगेगा और पैरेंट्स को दौड़ना भी नहीं पड़ेंगा। एसएमएस मिलने के बाद वो सीधे स्कूल पर जाएंगे और अपने बच्चों का प्रवेश करा सकेंगे।

रेड क्रॉस बताएगा लापरवाही

ऑनलाइन आवेदन के बाद गरीब बच्चों के पैरेंट्स को एसएमएस भेजा जाएगा। जिसमें उन्हें बताया जाएगा कि उनके बच्चे को किस स्कूल में प्रवेश लेना है और इसी से स्कूलों को भी बताया जाएगा कि उन्हें किन-किन बच्चों का प्रवेश लेना है। स्कूल्स को एडमिशन के लिए 10 दिन का समय दिया जाएगा। अगर स्कूल वालों ने बच्चों का प्रवेश लेने से मना किया तो पोर्टल पर उस बच्चे के आवेदन के आगे रेड क्रॉस दिखेगा। जिसका अधिकारी संज्ञान लेकर उन स्कूल्स को नोटिस जारी करेंगे। ऑनलाइन प्रवेश की ये प्रक्रिया चार राउंड में होगी। पहला राउंड फरवरी से अप्रैल के बीच एक महीने तक चलेगी। उसके बाद 10 जुलाई तक आवेदन की प्रक्रिया पूरी कर बच्चों की लिस्ट जारी की जाएगी।

वर्जन

ऑनलाइन आवेदन की सूचना मिली है। जनवरी के अंत में इसके शुरू हो जाने के बाद आए आवेदनों को भी उसी पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा। इस नियम से पैरेंट्स और बच्चों को राहत मिलेगी।

- ब्रम्हचारी शर्मा, नगर शिक्षाधिकारी