जिस युद्धकालीन रिपोर्ट में ये बात कही गई है, वो 1942 में कैम्ब्रिज में पढ़ाने वाले जोसेफ मैककर्डी ने ब्रितानी खुफिया विभाग के लिए लिखी थी। इसके मुताबिक हार के बादल मंडराते देख हिटलर को ‘यहूदियों का भय’ ज्यादा से ज्यादा सताने लगा था।

बीबीसी की विदेशी प्रचार विश्लेषण ईकाई में काम करने वाले मार्क अब्राम्स ने ये रिपोर्ट लिखवाई थी। अब्राम्स के कार्य पर हुए शोध के दौरान यह रिपोर्ट प्रकाश में आई। मैककर्डी ने इस रिपोर्ट में लिखा है, “हिटलर भ्रांतियों के जाल में फंस गए हैं.”

हिटलर की सोच

उन्होंने रिपोर्ट में बताया है कि द्वितीय विश्व युद्ध का रुख जर्मनी के खिलाफ हो जाने के बाद कैसे हिटलर ने अपना ध्यान “यहूदी विष” पर केंद्रित कर लिया था।

हिटलर के बारे में मैककार्डी की रिपोर्ट कहती है, “यहूदी बुराई का अवतार हैं, जबकि वो (हिटलर) अच्छाई का अवतार हैं। वो भगवान हैं जिसके बलिदान से बुराई पर अच्छाई की जीत होगी। वो बहुत सारे शब्दों में ये बात नहीं कहते हैं, लेकिन उनकी कही बातों से इसी तरह के विचारों वाला एक तंत्र उभरता है.”

कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के इतिहासकार स्कोट एंथनी को मैककर्डी के काम पर शोध करते हुए ये रिपोर्ट मिली। एंथनी ने बताया, “मैककर्डी ने माना है कि बाहरी मोर्चे पर नाकामी के चलते नाजी नेता ने 'अंदरूनी दुश्मनों' यानी यहूदियों पर ध्यान केंद्रित किया.” ऐसा माना जाता है कि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान हिटलर के राज में हुए यहूदी नरसंहार में लगभग 60 लाख लोग मारे गए थे।

International News inextlive from World News Desk